उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों तहलका मचाए हुए कोडीनयुक्त कफ सिरप सिंडिकेट के सरगना शुभम जायसवाल समेत सभी आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है.इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सरगना सरगना शुभम जायसवाल समेत 40 आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया है. इस मामले के आरोपियों ने एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
फैसले में अदालत ने कहा क्या है
इस मामले के आरोपियों की याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई में जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अचल सचदेव की डिवीजन बेंच ने उसे खारिज कर दिया.इससे आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक भी अब खत्म हो गई है. इसके बाद अब पुलिस याचिकाकर्ताओं को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. अदालत ने अपने 40 पन्नों के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि निश्चित रूप से कोर्ट की यह राय है कि फेनसेडाइल दवा, जिसमें कोडीन एक घटक के रूप में था, उसकी इतनी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जा रहा था, जैसा कि एफआईआर पढ़ने से साफ है.
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों की जांच उन सभी एक्ट्स की सभी धाराओं के तहत की जानी चाहिए जिनके तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
कफ सिरप पर गरमाई यूपी की राजनीति
इस मामले पर उत्तर प्रदेश में राजनीति भी शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से शुरू हुआ. सदन में जाने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोडीनयुक्त कफ सिरप के पीछे समाजवादी पार्टी का हाथ बताया.उन्होंने कहा कि मामले की जांच जारी है और अब तक जितने भी लोग पकड़े गए हैं,उनके तार सपा से जुड़े हुए हैं. इसके बाद से सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है. इसमें इस मामले के एक आरोपी और यूपी पुलिस के बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ देखा जा सकता है.
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