बैंक में पड़ी रकम से कुछ ज़्यादा ब्याज कमाने के लिए आमतौर पर FD, यानी फ़िक्स्ड डिपॉज़िट का विकल्प चुन लिया जाता है, जिस पर बैंक सचमुच बचत खाते की तुलना में ज़्यादा ब्याज अदा करते हैं, लेकिन नियमित निवेश करने वालों के पास एक ऐसा विकल्प भी हो सकता है, जिसमें ब्याज भी आमतौर पर FD के ज़रिये मिलने वाले ब्याज से ज़्यादा मिलेगा, और उस ब्याज पर इनकम टैक्स भी नहीं देना पड़ेगा. जी हां, आपने सही पढ़ा, पूरी तरह टैक्स फ़्री ब्याज कमाने का नुस्खा हर हिन्दुस्तानी के पास मौजूद है, जिसे लोक भविष्य निधि या पब्लिक प्रॉविडेंट फ़ंड या पीपीएफ़ या PPF के नाम से जाना जाता है.
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'EEE' (करमुक्त, करमुक्त, करमुक्त) श्रेणी की योजना है PPF
PPF हमारे देश में सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है, और PPF खाता नियमानुसार 15 साल की अवधि में मैच्योर हो जाया करता है. PPF योजना इनकम टैक्स के नियमों के लिहाज़ से EEE (करमुक्त, करमुक्त, करमुक्त) श्रेणी की योजना है, जिसका अर्थ है, खाते में प्रत्येक वर्ष निवेश की जाने वाली ₹1.5 लाख तक की रकम पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा, हर साल इस पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स फ़्री होताी है, और मैच्योरिटी पर मिलने वाली समूची रकम भी पूरी तरह टैक्स फ़्री होती है, यानी उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगाया जाता.
PPF खाता एक्सटेंड करने पर निवेश करना अनिवार्य नहीं रहता
PPF खाते से जुड़े नियमों का सबसे रोचक पहलू यह है कि PPF खाते को 15 साल की मैच्योरिटी अवधि पूरा हो जाने के बाद पांच-पांच साल के ब्लॉक में एक्सटेंड किया जा सकता है, और आइंदा निवेश करने या नहीं करने का विकल्प भी निवेशक के पास रहता है. वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक, यदि निवेशक को तुरंत किसी रकम की आवश्यकता नहीं है, यानी यदि निवेशक को धन की फ़ौरी ज़रूरत नहीं है, तो PPF खाते को 15 साल पर होने वाली मैच्योरिटी के बाद भी जारी रखना चाहिए. दिल्ली में बसे चार्टर्ड अकाउंटेंट वैभव रस्तोगी कहते हैं, "15 साल की ब्लॉक अवधि के बाद भी PPF खाते को चलाए रखना बेहतर होता है... 15 साल के बाद, यानी मैच्योरिटी के बाद एक्सटेंशन की अवधि के दौरान खाते में लगातार निवेश करने की बाध्यता नहीं रहती, और इसके अलावा साल में एक बार निवेशक को रकम निकासी की सुविधा भी दी जाती है..."
हर साल एक बार निकाल सकते हैं PPF खाते से टैक्स फ़्री पैसा
PPF खाते के नियम एक्सटेंशन अवधि के दौरान आंशिक निकासी की अनुमति देते हैं, और सबसे बड़ी विशेषता यह है कि PPF अकाउंट से निकाली जाने वाली किसी भी रकम पर इनकम टैक्स नहीं लगाया जाता. अगर निवेशक PPF खाते को एक्सटेंड करते समय नया निवेश नहीं करने का विकल्प (without-contribution mode) चुनता है, तो भी उसके बाद हर साल ब्याज की रकम तो निकाल ही सकता है. याद रहे, प्रत्येक वर्ष में सिर्फ एक बार पैसे की निकासी मुमकिन होगी.
केंद्र सरकार मौजूदा समय में PPF अकाउंट पर सालाना 7.1 फ़ीसदी ब्याज अदा करती है, जो लगभग सभी राष्ट्रीयकृत या निजी बैंकों की FD, यानी फ़िक्स्ड डिपॉज़िट या FD से कहीं बेहतर दर है. बहुत-से बैंक तो वरिष्ठ नागरिकों, यानी सीनियर सिटिज़न को भी इससे कम ब्याज अदा करते हैं, सो, PPF खाते को मैच्योर करने के बजाय इसे एक्सटेंड किया जा सकता है.
FD के ब्याज पर चुकाना पड़ता है इनकम टैक्स
वैभव रस्तोगी का कहना है, "यदि PPF अकाउंटहोल्डर को पैसे की ज़रूरत पड़ती है, तो भी बैंक की FD के मुकाबले PPF से पैसा निकालना बेहतर होगा, क्योंकि FD पर आपको PPF की तुलना में कम ब्याज मिल रहा है, और FD पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स भी चुकाना होगा, जबकि PPF खाते से निकाली रकम पर कोई टैक्स नहीं लगने वाला..." गौरतलब है कि बैंकों या पोस्ट ऑफिसों में कराई जाने वाली FD (सावधि जमा खाता) या RD (आवर्ती जमा खाता या रिकरिंग डिपॉज़िट) पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह करयोग्य (टैक्सेबल) होता है, यानी उस पर इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है.
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