भविष्य निधि, यानी प्रॉविडेंट फ़ंड या Provident Fund या PF वह शब्द है, जिसका ज़िक्र हर शख्स की नौकरीपेशा ज़िन्दगी में कभी न कभी होता ही है, और हर नौकरीपेशा शख्स का किसी न किसी तरह की PF योजना से जुड़ाव भी होता है. प्रॉविडेंट फ़ंड से जुड़ी योजनाओं का मकसद रिटायरमेंट, यानी सेवानिवृत्ति के बाद की ज़िन्दगी खुशहाली से बिताने की खातिर थोड़ी रकम जोड़ने का अवसर प्रदान करना होता है. इन योजनाओं में नौकरी के दौरान नियमित रूप से निवेश करना पड़ता है, और उसी निवेश की बदौलत रिटायरमेंट पर कर्मचारी को एकमुश्त रकम मिल जाती है. मोटे तौर पर PF की सभी योजनाओं का प्रमुख उद्देश्य रिटायरमेंट के उपरांत कर्मचारी की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना ही होता है.
भविष्य निधि योजनाओं के तहत कर्मचारी को हर महीने अपनी तनख्वाह में से एक हिस्सा भविष्य निधि खाते में जमा करना पड़ता है, जो रिटायरमेंट पर ब्याज सहित उसी को एकमुश्त मिल जाया करता है, और यही नहीं, PF का एक भाग कर्मचारी को पेंशन के तौर पर भी मिल सकता है. दरअसल, हमारे देश में कई तरह की प्रॉविडेंट फ़ंड योजनाएं हैं - सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund या GPF), कर्मचारी भविष्य निधि (Employees' Provident Fund या EPF) और लोक भविष्य निधि (Public Provident Fund या PPF).
क्या है GPF, यानी सामान्य भविष्य निधि
General Provident Fund या GPF या सामान्य भविष्य निधि योजना सिर्फ़ सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है. सरकार के लिए एक साल या उससे अधिक लगातार सेवारत रह चुका प्रत्येक अस्थायी कर्मी, प्रत्येक स्थायी कर्मचारी तथा सेवानिवृत्ति के उपरांत फिर काम पर रखा गया पेंशनधारक कर्मी (जो Contributory Provident Fund या CPF या अंशदायी भविष्य निधि में शामिल होने की अर्हता नहीं रखता) GPF खाता खोल सकता है.
GPF पर सरकार की तरफ़ से दिए जाने वाले ब्याज़ की दर जुलाई-सितंबर, 2024 की तिमाही के लिए 7.1 फ़ीसदी है.
क्या है EPF, यानी कर्मचारी भविष्य निधि
कर्मचारी भविष्य निधि वह PF योजना है, जिसे निजी क्षेत्र में नौकरी करने वालों के लिए लागू किया गया है. इसे केंद्र सरकार की रिटायरमेंट फ़ंड संस्था कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, यानी Employees Provident Fund Organisation या EPFO द्वारा संचालित किया जाता है.
मौजूदा EPFO नियमों के अनुसार, हर कर्मी को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (Basic Salary and Dearness Allowance) का 12 फ़ीसदी हिस्सा (जिसकी अधिकतम सीमा ₹15000 तय की गई है) हर माह प्रॉविडेंट फ़ंड अकाउंट में जमा करना पड़ता है, और कर्मचारी को नौकरी पर रखने वाले, यानी एम्प्लॉयर को भी ऐन वही राशि कर्मी के खाते में जमा करनी पड़ती है.
सेवानिवृत्ति के उपरांत कर्मी EPF खाते को पूर्णतः बंद भी कर सकता है, या नौकरी में बदलाव की सूरत में PF खाते को स्थानांतरित भी किया जा सकता है. नौकरी पर रहने के दौरान भी EPF खाते से आंशिक निकासी मुमकिन होती है, लेकिन कर्मी को निकासी की अनुमति केवल चुनिंदा कारणों से दी जाती है, जिनमें ऋण की अदायगी, घर खरीदना या बनाना, परिवार के किसी सदस्य या सदस्यों का उपचार करवाना और बेटी की शादी जैसी वजहें शामिल हैं.
क्या है PPF, यानी लोक भविष्य निधि
सबसे ज़रूरी बात यह है कि PPF योजना अनिवार्य नहीं, ऐच्छिक योजना है, और कोई भी भारतीय नागरिक PPF खाता खुलवा सकता है, भले ही वह सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी नहीं भी करता हो.
PPF अकाउंट को रिटायरमेंट तक चलाया जाना ज़रूरी नहीं होता, बल्कि इसकी मैच्योरिटी अवधि 15 वर्ष होती है. वैसे, PPF अकाउंट खोलने वाला चाहे, तो PPF खाते को पांच-पांच साल के ब्लॉक में एक्सटेंड कर सकता है.
PPF अकाउंट खुलवाने के सातवें वित्तवर्ष से आंशिक निकासी भी मुमकिन होती है. PPF अकाउंट में जमा राशि पर दिए जाने वाली ब्याज़ की दर केंद्र सरकार हर तिमाही में निर्धारित किया करती है, और PPF अकाउंट पर दिए जाने वाले ब्याज़ की मौजूदा दर 7.1 फ़ीसदी है.
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