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हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिल सकती टैक्स राहत, GST घटाकर 5% किए जाने की संभावना

Health Insurance GST Rate: पिछले महीने, इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने IRDAI और फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट को प्रस्ताव दिया था कि इंश्योरेंस बिजनेस को इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेनिफिट देने के साथ-साथ हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कम से कम 12% की GST दर लगाई जानी चाहिए.

हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिल सकती टैक्स राहत, GST घटाकर 5% किए जाने की संभावना
GST Rate on Health Insurance Premium: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के लिए टैक्स रेट का रिव्यू करने वाले GoM (Group of Ministers) के अधिकांश सदस्य टैक्स कटौती के पक्ष में हैं.
नई दिल्ली:

अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम (Health Insurance Premium) भरते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. GST काउंसिल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम (Life Insurance Premium)पर टैक्स राहत देने का फैसला ले सकती है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ग्रॉस प्रीमियम पर मौजूदा समय में जो 18% GST लगता है, उसे घटाकर 5% किए जाने की संभावना है, जबकि इंश्योरेंस कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा बरकरार रखी जाएगी.

हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के लिए टैक्स रेट का रिव्यू करने वाले GoM (Group of Ministers) के अधिकांश सदस्य टैक्स कटौती के पक्ष में हैं.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक GoM के एक सदस्य ने बताया, "हम लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को GST से पूरी तरह छूट देने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन दरों को कम करना चाहते हैं. हमने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है, अब काउंसिल को डिसीजन लेना है." एक अन्य सदस्य ने कहा: "लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 5% GST से पॉलिसी होल्डर पर काफी बोझ कम होगा."

सभी राज्य इंश्योरेंस पर GST में कटौती पर सहमत

इस मामले पर विचार-विमर्श करने के लिए GST काउंसिल की अप्रैल या मई में बैठक होने की संभावना है, जहां वह इंश्योरेंस प्रीमियमों पर टैक्सेशन के संबंध में IRDAI  द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार करेगी. यानी मई तक GST काउंसिल अंतिम फैसला ले सकती है. बता दें कि अभी तक सभी राज्य इंश्योरेंस पर GST में कटौती पर सहमत हैं.

इंश्योरेंस कंपनियों की मांग

पिछले महीने, इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने IRDAI और फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट को प्रस्ताव दिया था कि इंश्योरेंस बिजनेस को इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेनिफिट देने के साथ-साथ हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कम से कम 12% की GST दर लगाई जानी चाहिए. इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि अगर टैक्स को घटाकर 5% कर दिया जाता है, तो इससे इंश्योरेंस इंडस्ट्री को कॉस्ट में नुकसान होगा.

फरवरी में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को GST से पूरी तरह छूट देने से उनकी कॉस्ट में बढ़ोतरी हो सकती है, जो सरकार नहीं चाहती. अग्रवाल ने FE को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "पूरी तरह छूट देने से इंश्योरेंस कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा नहीं मिलेगा, जिसे लोगों से लिए जाने वाले प्रीमियम में शामिल किया जाएगा."

GoM के ज्यादातर सदस्य GST कम करने पर सहमत नहीं

GST कानूनों के तहत, उन वस्तुओं और सेवाओं के लिए ITC बेनिफिट नहीं मिलता है जिन्हें GST से छूट दी गई है.सूत्रों का कहना है कि GoM के ज्यादातर सदस्य GST कम करने पर सहमत नहीं हैं, क्योंकि इससे पॉलिसीहोल्डर को ज्यादा राहत नहीं मिलेगी.

पॉलिसी होल्डर को मिलेगी राहत

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार हेल्थ और इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स राहत देना चाहती है, लेकिन GST में पूरी तरह छूट देना सबसे अच्छा सॉल्यूशन नहीं है. अगर इंश्योरेंस को पूरी तरह से छूट दी जाती है, तो कंपनियां टैक्स क्रेडिट का क्लेम नहीं कर पाएंगी, जिससे उनका एक्सपेंस बढ़ सकता है और फिर वो बदले में प्रीमियम की कीमतें बढ़ा सकते हैं. इसलिए GoM एक बेहतर समाधान पर विचार कर रहा है. GST को घटाकर 5% करने से पॉलिसी होल्डर को भी राहत मिलेगी और कंपनियों को भी  इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा मिलेगा.

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