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सेविंग अकाउंट की इन 10 ट्रांजैक्शन से बढ़ सकती है आपकी मुसीबत, Income Tax विभाग भेज सकता है नोटिस

Savings Account Tax Rule: एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ खास तरह के ट्रांजैक्शन ऐसे हैं जिन्हें बैंक और टैक्स विभाग विशेष रूप से ट्रैक करते हैं. यदि इन ट्रांजैक्शनों की वजह से आपकी आमदनी से मेल नहीं खाते, तो नोटिस आ सकता है. 

सेविंग अकाउंट की इन 10 ट्रांजैक्शन से बढ़ सकती है आपकी मुसीबत, Income Tax विभाग भेज सकता है नोटिस
Income Tax Rules 2025: आपके बैंक द्वारा रिपोर्ट किया गया ब्याज अगर आपकी इनकम टैक्स रिटर्न से नहीं मिल रहा, तो आपको नोटिस आ सकता है.
नई दिल्ली:

आप रोज अपनी सेविंग अकाउंट से पेमेंट, ट्रांसफर, नकद जमा‑निकासी करते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि ये रोजमर्रा के काम भी कभी‑कभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की निगरानी में आ सकते हैं? अगर आप सोचते हैं कि सेविंग अकाउंट सिर्फ पैसे रखने और खर्च करने का जरिया है, तो जान लें कि आजकल आपकी हर बड़ी ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर हो सकती है. खासकर अगर आपके अकाउंट में बार-बार ज्यादा पैसा आ-जा रहा है, या आप ऐसे खर्च कर रहे हैं जो आपकी आमदनी से मेल नहीं खाते.

मिल सकता है इनकम टैक्स का नोटिस

एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ खास तरह के ट्रांजैक्शन ऐसे हैं जिन्हें बैंक और टैक्स विभाग विशेष रूप से ट्रैक करते हैं. यदि इन ट्रांजैक्शनों की वजह से आपकी आमदनी से मेल नहीं खाते, तो नोटिस आ सकता है. 

ET की रिपोर्ट के मुताबिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अभिषेक सोनी और तरुण कुमार मदान के अनुसार, कई बार आम दिखने वाले ट्रांजैक्शन भी इनकम टैक्स की जांच का कारण बन सकते हैं.

आइए जानते हैं वो 10 वजहें जो आपकी सेविंग अकाउंट को टैक्स विभाग के रडार पर ला सकती हैं.

बैंक में ज्यादा नकद जमा किया?

अगर किसी एक फाइनेंशियल ईयर में आपने 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा कैश डिपॉजिट किया, तो बैंक इसे इनकम टैक्स को रिपोर्ट करता है. ये गैरकानूनी नहीं है, लेकिन आपको इसका सोर्स बताना पड़ सकता है. गिफ्ट, प्रॉपर्टी सेल या बिजनेस इनकम से जुड़ी रसीदें संभाल कर रखें.

क्रेडिट कार्ड का बड़ा पेमेंट किया?

अगर आपने किसी साल 1 रुपये लाख से ज्यादा नकद या 10 लाख रुपये से ऊपर कुल पेमेंट क्रेडिट कार्ड के लिए किया है, तो ये रिपोर्ट होता है. डिपार्टमेंट यह चेक करता है कि आपकी लाइफस्टाइल आपकी टैक्स रिटर्न वाली इनकम से मेल खाती है या नहीं.

बार-बार या भारी कैश विड्रॉल

अगर अकाउंट से बार-बार बड़ी रकम निकाली जाती है, या अचानक कैश फ्लो ज्यादा बढ़ गया, तो भी बैंक अलर्ट हो सकता है. इस पर सवाल उठ सकते हैं, खासकर अगर यह आपकी इनकम से मेल नहीं खा रही हो.

30 लाख रुपये या उससे ज्यादा की प्रॉपर्टी डील

अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची है जिसकी वैल्यू 30 लाख रुपये या उससे ज्यादा है (चाहे वो मार्केट रेट हो या स्टाम्प वैल्यू), तो रजिस्ट्रार इसे रिपोर्ट करता है. टैक्स डिपार्टमेंट यह देखता है कि आपने यह पैसा कहां से लाया.

इनएक्टिव अकाउंट में अचानक ट्रांजैक्शन

अगर कोई पुराना बंद पड़ा अकाउंट अचानक एक्टिव होता है और उसमें बड़ी ट्रांजैक्शन होती है, तो बैंक इसे फ्लैग कर सकता है. ऐसे में बिजनेस, इनहेरिटेंस या दूसरी वाजिब वजहों के डॉक्युमेंट संभाल कर रखें.

विदेश में ज्यादा खर्च किया या पैसा आया?

अगर आपने एक साल में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा विदेशी ट्रांजैक्शन किए जैसे इंटरनेशनल कार्ड पेमेंट या फॉरेक्स, तो ये इनकम टैक्स के नोटिस का कारण बन सकता है, खासकर अगर आपकी इनकम उससे कम दिख रही हो.

बैंक ब्याज और ITR में फर्क

आपके बैंक द्वारा रिपोर्ट किया गया ब्याज अगर आपकी इनकम टैक्स रिटर्न से नहीं मिल रहा, तो आपको नोटिस आ सकता है. Form 26AS और AIS (Annual Info Statement) से अपने ब्याज को चेक करें और सब कुछ सही-सही दिखाएं.

सेविंग अकाउंट का ब्याज कम सही, छुपाएं नहीं

भले ही आपका ब्याज 10,000 रुपये से कम है, लेकिन वो AIS में दिखेगा ही. अगर आपने उसे रिटर्न में नहीं दिखाया, तो मिसमैचडेटा के चलते ऑटोमैटिक नोटिस आ सकता है.

कई अकाउंट हैं, पर ब्याज नहीं जोड़ा?

कई सेविंग अकाउंट होना कोई समस्या नहीं, लेकिन सभी का ब्याज जोड़कर ITR में दिखाना जरूरी है. सिस्टम बहुत सेंसिटिव है और छोटी चूक भी पकड़ सकता है.

दूसरों के लिए पेमेंट करके खुद न फंस जाएं

त्योहारों में अगर आपने किसी और के लिए अपने कार्ड से पेमेंट किया और उसने आपको कैश में पैसे वापस दिए, तो वो भी ट्रैक हो सकता है. ये पैसा आपके अकाउंट में आने पर रिपोर्टिंग लिमिट पार हो सकती है और टैक्स नोटिस आ सकता है.

इनकम टैक्स की नजर से कैसे बचें ?

टैक्स विभाग PAN बेस्ड ऑटो रिपोर्टिंग सिस्टम से सभी बड़े लेन-देन पर नजर रखता है. इसलिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :

  • ITR फाइल करने से पहले अपनी AIS और Form 26AS की जांच करें.
  • हर लेन-देन के लिए डॉक्युमेंटेशन रखें.
  • दूसरों के लिए ट्रांजैक्शन करते वक्त सबकुछ क्लियर और ट्रैक्ड रखें.

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