
अगर आपका या आपके किसी जानने वाले का बैंक अकाउंट किसी छोटे सहकारी बैंक में है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्नाटक के करवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (Karwar Urban Co-operative Bank) का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इसका मतलब है कि अब यह बैंक किसी भी तरह का बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकेगा और 23 जुलाई, 2025 से इसका कामकाज पूरी तरह बंद हो जाएगा.
इस फैसले का असर सैकड़ों खाताधारकों पर पड़ेगा. हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपकी जमा रकम का इंश्योरेंस पहले से तय है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आपका पैसा कितना सुरक्षित है और आप इसे निकाल सकते हैं या नहीं?
RBI ने क्यों रद्द किया बैंक का लाइसेंस?
आरबीआई के अनुसार, करवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी बची थी और न ही भविष्य में कोई अच्छी कमाई की संभावना. यानी बैंक अपने खर्च और देनदारियों को पूरा करने की स्थिति में नहीं था. ऐसे में रिजर्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस कैंसिल कर दिया और कर्नाटक सरकार से कहा है कि वह बैंक को बंद करने और एक लिक्विटेडर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करे.
अब बैंक में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है?
इस तरह की स्थिति के लिए सरकार की तरफ से DICGC यानी Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation नाम की एक बीमा सुविधा होती है. इसके तहत अगर कोई बैंक बंद हो जाता है, तो हर अकाउंटहोल्डर्स को उसकी जमा राशि में से अधिकतम 5 लाख रुपये तक वापस मिलते हैं.
ग्राहकों के जमा पैसों का क्या होगा?
जिन लोगों का खाता इस बैंक में है, उन्हें फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है. RBI की ओर से बैंक को बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और डीआईसीजीसी द्वारा तय सीमा तक पैसा वापस दिलाने की प्रक्रिया भी चल रही है.खाताधारकों को बैंक या डीआईसीजीसी से संपर्क कर अपने क्लेम के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स और प्रक्रिया की जानकारी लेनी चाहिए.
अगर आपकी जमा 5 लाख से ज्यादा है, तो बाकी रकम मिलने की कोई गारंटी नहीं है. इसलिए भविष्य में ऐसे बैंकों में पैसा जमा करने से पहले उनकी स्थिति की जांच जरूर करें.
इन बातों का रखें ध्यान
यह उन लोगों के लिए एक सबक है जो छोटे सहकारी बैंकों में अपनी बचत जमा करते हैं. किसी भी बैंक में पैसा रखने से पहले उसकी वित्तीय स्थिति, आरबीआई की रिपोर्ट और क्रेडिट रेटिंग को देखना बहुत जरूरी है.हमेशा सुरक्षित विकल्पों जैसे सरकारी बैंक या RBI द्वारा रेगुलेटेड वित्तीय संस्थानों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
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