अक्सर लोग अपनी पूरी सैलरी एक ही बैंक अकाउंट में रखते हैं. उसी अकाउंट से EMI जाती है, UPI पेमेंट होता है, किराया कटता है और शॉपिंग भी हो जाती है. नतीजा यह होता है कि महीने के आखिर में समझ ही नहीं आता पैसा कहां गया. न कोई सही ट्रैकिंग रहती है, न सेविंग की आदत बनती है और न ही सही तरीके से निवेश कर पाते हैं.
अगर आप भी ऐसी ही गलती कर रहे हैं, तो जान लें कि आपके पास 1,2 नहीं बल्कि 3 बैंक अकाउंट होने चाहिए ताकि आप अपने पैसे को सही से मैनेज कर पाएं.इसके साथ ही 30-30-40 रुल भी फॉलो करें तो आपका मनी मैनैजमेंट तो बढ़िया हो ही जाएगा इसके साथ ही आपको पैसा धीरे-धीरे बढ़ता भी जाएगा और फ्यूचर सेविंग की टेंशन भी खत्म हो जाएगी.
एक बैंक अकाउंट रहने के नुकसान
जब सैलरी, खर्च और इन्वेस्टमेंट सब एक ही अकाउंट से होते हैं, तो पैसे पर कंट्रोल खत्म हो जाता है. खर्च कब जरूरत बन जाता है और जरूरत कब आदत, इसका पता ही नहीं चलता. EMI और रोजमर्रा के खर्च मिलकर सेविंग को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं. इस समस्या से बचने के लिए अपनाएं 30-30-40 नियम...
30-30-40 का आसान नियम (30-30-40 Rule)
इस तरीके में आपकी इनकम को तीन हिस्सों में बांट लें:
- 30% रोजमर्रा के खर्च
- 30% EMI और लोन
- 40% सेविंग और इन्वेस्टमेंट
इस नियम को सही तरीके से फॉलो करने के लिए तीन अलग-अलग बैंक अकाउंट रखना सबसे सही तरीका माना जाता है.आइए जानते हैं कि ये तीनो अकाउंट कौन-कौन से हैं और किसमें किस तरह का ट्रांजैक्शन करना अच्छा रहेगा.
1. सैलरी अकाउंट (Income Account)
इस अकाउंट में सिर्फ आपकी सैलरी आए.इससे कोई खर्च न करें.महीने की शुरुआत में ही सिर्फ दो ही ट्रांजैक्शन करें
- पहली ट्रांजैक्शन 30% खर्च के लिए और 30% EMI के लिए यानी टोटल 60% दूसरे अकाउंट यानी एक्सपेंस अकाउंट में ट्रांसफर कर लें.
- दूसरा ट्रांजैक्शन निवेश वाला अकाउंट में करें. इसमें सैलरी का बचा हुआ 40% ट्रांसफर कर दें.
2. एक्सपेंस अकाउंट (Expense Account)
इस अकाउंट में आपकी इनकम का करीब 60% हिस्सा 30% रोजमर्रा के खर्च के लिए और 30% EMI, लोन और बिल्स के लिए है. रेंट ग्रॉसरी , शॉपिंग बिल्स, UPI ट्रंजैक्शन के साथ साथ डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड इसी अकाउंट से लिंक करें. इससे खर्च कंट्रोल में रहता है और ओवरस्पेंडिंग कम होती है.
3. इन्वेस्टमेंट अकाउंट (Investment Account)
यह सबसे खास अकाउंट होता है. इसमें इनकम का 40% हिस्सा रखें. स्टॉक्स,म्यूचुअल फंड SIP, बॉन्ड्स, GOLS ETF, FD और RD सब यहां से करें. इससे जो रिटर्न आएगा वो भी आप इसी अकाउंट में एक जगह ट्रैक कर पाएंगे.यानी इस अकाउंट से सिर्फ निवेश करें, खर्च बिल्कुल नहीं. इससे वेल्थ बनाने की आदत अपने आप बनती है.
तीन अकाउंट रखने का फायदे
- आपको हमेशा पता रहता है पैसा कहां जा रहा है.
- निवेश नियमित और ऑटोमेटिक हो जाता है.
- खर्च पर कंट्रोल रहता है.
- फाइनेंशियल स्ट्रेस कम होता है.
- फाइनेंशियल फ्रीडम का रास्ता साफ होता है.
अगर आप चाहते हैं कि पैसा बढ़ता रहे तो 3 बैंक अकाउंट वाला तरीका अपनाना एक स्मार्ट फैसला हो सकता है. सही प्लानिंग और थोड़े से कंट्रोल के साथ आप आज के खर्चे भी संभाल सकते हैं और फ्यूचर के लिए मोटी बचत भी कर सकते हैं.
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