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This Article is From Mar 13, 2023

Income Tax विभाग ने 68,000 मामलों को ई-वेरिफिकेशन के लिया, टैक्सपेयर्स को 31 मार्च से पहले देना होगा जवाब

Income Tax Return e-verification: ई-वेरिफिकेशन योजना के अंतर्गत इनकम टैक्स विभाव टैक्सपेयर्स को वित्तीय लेनदेन और भरे गए आईटी रिटर्न के बारे में एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में असमानता के बारे में बताता है.

Income Tax विभाग ने 68,000 मामलों को ई-वेरिफिकेशन के लिया, टैक्सपेयर्स को 31 मार्च से पहले देना होगा जवाब
Income Tax Return e-verification के 35,000 मामलों (56 प्रतिशत) में टैक्सपेयर्स ने पहले ही अपडेटेड आईटीआर फाइल कर दिया है.
नई दिल्ली:

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने वित्त वर्ष 2019-20 में इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) में इनकम नहीं बताने या कम बताने को लेकर ई-वेरिफिकेशन (e-verification) के लिए लगभग 68,000 मामलों को लिया है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (Central Board of Direct Taxes) यानी सीबीडीटी (CBDT) प्रमुख नितिन गुप्ता  (Nitin Gupta) ने सोमवार को यह जानकारी दी. ई-वेरिफिकेशन योजना के अंतर्गत इनकम टैक्स विभाव टैक्सपेयर्स को वित्तीय लेनदेन और भरे गए आईटी रिटर्न के बारे में एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में असमानता के बारे में बताता है. वहीं, अगर टैक्सपेयर्स को लगता है कि ई-वेरिफिकेशन में बताई गई असमानता सही है तो वह इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अपना को जवाब भेज सकते हैं.

नितिन गुप्ता ने कहा, “विभाग ने शुरुआती तौर पर तय रिस्क मैनेजमेंट स्टैंडर्ड के आधार पर वित्त वर्ष 2019-20 के लगभग 68,000 मामले ई-वेरिफिकेशन के लिए उठाए हैं. इनमें से 35,000 मामलों (56 प्रतिशत) में टैक्सपेयर्स पहले से ही संतोषजनक जवाब भेज चुके हैं या अपडेटेड आईटीआर फाइल कर  दिया है.” उन्होंने बताया कि अब तक कुल 15 लाख संशोधित आईटीआर भरे जा चुके हैं और टैक्स के रूप में 1,250 रुपये एकत्रित हो चुके हैं. हालांकि, शेष 33,000 मामलों में टैक्सपेयर्स (Taxpayers) से कोई जवाब नहीं आया है.

आपको बता दें कि टैक्सपेयर्स के पास 2019-20 के लिए अपडेटेड आईटीआर जमा करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक समय है. इसके आगे सीबीडीटी (CBDT) प्रमुख ने कहा, “जब कोई इनकम टैक्सपेयर्स संशोधित आईटीआर भर देता है तो उसके मामले को जांच या पुनर्मूल्यांकन के लिए उठाए जाने की संभावना बहुत कम हो जाती है.”

उन्होंने कहा कि ई-वेरिफिकेशन के लिये रिस्क मैनेजमेंट स्टैंडर्ड हर साल तय किये जाते हैं. हालांकि, उन्होंने ई-वेरिफिकेशन के लिए मामले के चयन को लेकर स्टैंडर्ड का खुलासा नहीं किया.
 

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