केंद्रीय बैंक RBI इसी हफ्ते मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग करने वाला है. 3 से 5 दिसंबर तक होने वाली मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में गवर्नर संजय मल्होत्रा 5 दिसंबर को जानकारी देंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि आरबीआई दरों में एक बार फिर कटौती कर सकता है. HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का भी यही अनुमान है. आगे कुछ समय के लिए महंगाई लक्ष्य तय लेवल से कम बने रहने का अनुमान है, जिसे देखते हुए एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च ने संभावना जताई है कि आरबीआई की ओर से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है. ऐसा हुआ तो आने वाले समय में रेपो रेट लिंक्ड लोन सस्ता हो सकता है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का रेपो रेट को लेकर फैसला 5 दिसंबर को आएगा.
मजबूत बनी हुई है विकास दर
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास दर अभी तक मजबूत बनी हुई है, जिसे सरकारी खर्च और जीएसटी-कट लेड रिटेल खर्च से बढ़ावा मिल रहा है. इसके अलावा, नवंबर फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 56.6 से संकेत मिलता है कि जीएसटी के कारण वृद्धि अपने पीक पर पहुंच गई है क्योंकि कुल मिलाकर नए ऑर्डर कम आ रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 'अभी विकास दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन मार्च 2026 की तिमाही में इसमें नरमी आ सकती है. हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगामी दिसंबर नीति बैठक में पॉलिसी रेट को कम करेगा.'
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.2 फीसदी रही, जो कि जून तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी और हमारे 7.5 फीसदी के अनुमान से अधिक रही. वहीं, ग्रॉस वैल्यू एडेड वृद्धि दर 8.1 फीसदी और नॉमिनल जीडीपी 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी.
जीडीपी ग्रोथ की गति तेज रही, जिसके बहुत से कारण रहे. इनमें से एक महत्वपूर्ण कारक 22 सितंबर को लागू की गई जीएसटी दरों में कटौती रही, जिसे लेकर 15 अगस्त को घोषणा की गई थी.
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 'हमारा मानना है कि कंज्यूमर डिमांड में वृद्धि की उम्मीद से उत्पादन में वृद्धि देखी गई. हमारे हालिया शोध दर्शाता है कि कम आय वाले राज्य अब वृद्धि की राह पर आ गए हैं, यहां तक कि वे उच्च आय वाले राज्यों से भी तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं.' रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के निर्यात पर 50 फीसदी के अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के बावजूद भी भारत की विकास दर तेज गति से बढ़ती रही.
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