आर्थिक धोखाधड़ी होने पर ई-वॉलेट कंपनियां मनमानी करें तो ऐसे अपनी गाढ़ी कमाई वापस पाएं

साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, पहले किसी धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए वॉलेट के साथ ही बैंक वेबसाइट, फोन बैंकिग, एसएमएस, ई मेल, आईवीआर, टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, होम ब्रांच में संपर्क करने जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करें. बात न बने तो अन्य उपाय अपनाएं.

आर्थिक धोखाधड़ी होने पर ई-वॉलेट कंपनियां मनमानी करें तो ऐसे अपनी गाढ़ी कमाई वापस पाएं

Cyber Fraud से बचने के लिए आऱबीआई ने बैंक ग्राहकों को दिए तमाम अधिकार

नई दिल्ली:

कोरोना (Corona Cyber Crime) के डेढ़ साल में साइबर धोखाधड़ी (Cyber Fraud) के 3.17 लाख मामले सामने आए हैं, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पैनल पर ये शिकायतें दर्ज की गई हैं. इनमें बड़ी संख्या में ई वॉलेट के जरिये ग्राहकों को चूना लगाया गया. हालांकि अक्सर ऐसी आर्थिक धोखाधड़ी (Financial Fraud) की शिकायतों में ई वॉलेट कंपनियों (E Wallet Companies) की उदासीनता और हिचकिचाहट देखी गई है. साइबर धोखाधड़ी के शिकार लोगों का कहना है कि ई वॉलेट कंपनियों का शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है और आम जनमानस के लिए इसके जरिये समाधान पाना बेहद मुश्किल है. लेकिन सतर्कता बरतने के साथ इन उपायों से ग्राहकअपनी गाढ़ी कमाई वापस पा सकते हैं.

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साइबर लॉ एवं डेटा सिक्योरिटी एक्सपर्ट विशाल कुमार के अनुसार,पहले किसी धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए वॉलेट के साथ ही बैंक वेबसाइट, फोन बैंकिग, एसएमएस, ई मेल, आईवीआर, टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, होम ब्रांच में संपर्क करने जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करें. बात न बने तो अन्य उपाय अपनाएं.
 
ग्राहक धोखाधड़ी होने पर ऐसे पाएं जानकारी
ई-वॉलेट के माध्यम से ठगी या फ्रॉड हो जाने पर धोखे की घटना की जानकारी उसे दें. ये ईमेल या ऐप पर बने सिस्टम के जरिये करें. आप ई-वॉलेट कंपनी से पूछ सकते हैं कि व्यक्तिगत डेटा के बारे में क्या प्रोसेस किया जा रहा है. आप उन प्रोसेसर की सूची मांग सकते है जिनके साथ उसका व्यक्तिगत डेटा साझा किया गया है. कितने दिन में आपकी शिकायत पर कार्रवाई होगी या बैंक में क्या जरूरी कार्यवाही करनी होगी.

टोल फ्री और 24X7 कॉल सेंटर होना जरूरी
ई-वॉलेट की जिम्मेदारी है कि अलर्ट करने के लिए ग्राहकों का फोन और ईमेल जरूर रजिस्टर हों. कंपनियों को यह निर्देश है कि टोल-फ्री हेल्पलाइन, 24X7 कॉल सेंटर और वेबसाइट के जरिये फर्जी लेनदेन या प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के नुकसान की सूचना ग्राहकों को तुरंत मिले. अब उन्हें शिकायत दर्ज करने के लिए ऐप या वेबसाइटों पर सीधा लिंक देना जरूरी है. साथ ही कंपनी को उन्हें शिकायत पर तुरंत प्रतिक्रिया भी देनी होगी. इस सभी डिजिटल संवादों का रिकॉर्ड भी रखें.

उपभोक्ता फॉरम में जाने का विकल्प 
अगर ई-वॉलेट कंपनियां ग्राहकों को पैसा लौटाने में मदद नहीं करती हैं तो ग्राहकों के पास उपभोक्ता फोरम में जाने का भी विकल्प है. साइबर लॉ एवं डेटा सिक्योरिटी एक्सपर्ट (Cyber Law and Data Security Expert) विशाल कुमार का कहना है कि आरबीआई ने जगहों पर ई-वॉलेट अन्य भुगतान सेवा प्रदाताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का विकल्प दे रखा है. अगर ई-वॉलेट कंपनी आपकी समस्या का सही से निवारण न करें तो आपके पास उपभोक्ता फोरम में शिकायत दाखिल कर सकते हैं. आप RBI के इस पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं :  . इसके अलावा नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराना न भूलें. 

साइबर फ्रॉड होने के 3 दिन में करें शिकायत
अगर आपके बैंक खाते से कोई ई वॉलेट या अन्य माध्यम से गलत तरीके से रकम निकाल लेता है और आप तीन दिन के अंदर इस मामले के बारे में बैंक को शिकायत करते हैं तो आपको नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. RBI ने कहा है कि निर्धारित समय में बैंक को सूचना दे देने पर ग्राहक के खाते से धोखाधड़ी कर निकाली गई रकम 10 दिन के अंदर उसके बैंक खाते में वापस आ जाएगी.

बैंक को सूचना न दी तो होगा नुकसान
अगर ग्राहक एटीएम पिन, कार्ड नंबर जैसी निजी जानकारियां किसी और के साथ जाने या अनजाने में शेयर कर देते हैं तो जब तक बैंक को धोखाधड़ी की सूचना न दी जाए तब तक ग्राहक को ही पूरा नुकसान उठाना होगा.

थर्ड पार्टी से फ्रॉड तो 10 हजार तक की भरपाई
अगर बैंक या ग्राहक दोनों की ही गलती से नहीं बल्कि किसी तीसरी पार्टी की गलती की वजह से फ्रॉड हुआ हो तो फिर ग्राहक को 10,000 या उससे कम की राशि का ही भुगतान किया जाएगा. ये लिमिट 5 लाख तक के सेविंग बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड और जिनका सालाना बैलेंस 25 लाख तक का है, उन पर ही लागू होगा. अगर तीन के भीतर ही शिकायत दर्ज कराई जाती है तो पूरे पैसे वापस होंगे.

7 दिन बाद शिकायत की तो मुश्किलें
करेंट अकाउंट, ओवरड्राफ्ट अकाउंट और 5 लाख से ज्यादा की लिमिट के क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम लिमिट 25 हजार रुपए है.  सेविंग्स बैंक अकाउंट के लिए ये लिमिट 5 हजार रुपये है. अगर 7 या उसके बाद शिकायत की गई तो फिर बैंक का बोर्ड तय करेगा कि क्या करना है.

पहले इन माध्यमों से करें शिकायत
बैंक अपने ग्राहकों के रजिस्टर्ड फोन नंबर और ईमेल अकाउंट पर हर ट्रांजेक्शन का एसएमएस और मेल भेजती है. आरबीआई की सिफारिश है कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के समय ग्राहकों से मोबाइल नंबर भी पूछा जाए ताकि ग्राहक को लेनदेन का पता रहे. अभी बैंक एसएमएस सर्विस के लिए पैसे चार्ज करते हैं. हालांकि आरबीआई की गाइडलाइन में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि एसएमएस के पैसे कौन भरेगा.

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हर बैंक या संस्था की वेबसाइट या ऐप पर डायरेक्ट लिंक हो
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए एक डायरेक्ट लिंक भी उपलब्ध कराएं. इसमें बैंक की वेबसाइट के होम पेज पर किसी अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन को रिपोर्ट करने की सुविधा उपलब्ध हो. बैंकों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि शिकायत करने के तुरंत बाद ही ग्राहकों को एक ऑटो रिस्पांस प्राप्त हो जाए. निकट भविष्य में बैंक ग्राहकों को एसएमएस और ईमेल के रिप्लाई का जवाब देने का ऑप्शन भी देंगे.