आम लोगों के मन में डिजिटल रुपये को लेकर कई तरह के सवाल हैं. हर कोई यह जानना चाह रहा है कि डिजिटल रुपया या ई-रुपी क्या है और हम इसे कैसे खरीद सकते हैं या इसके जरिये लेनदेने कैसे की जा सकती है. कुछ लोगों का यह भी सवाल है कि ई-रुपी के जरिये लेनदेन यूपीआई पमेंट (UPI Payment) या नेट बैंकिंग से किस तरह अलग होगा. खैर, यह तो आम बात हो गई. हम जानकारियों के अभाव में अक्सर इस तरह की बातें सोचते हैं और यह हमारे दिमाग में आ ही जाता है. इसके अलावा कई और तरह के सवाल हैं जिसका जवाब आम लोग ढूंढ़ रहे हैं.
हालांकि, एक सबसे बड़ा सवाल जिससे लोगों में डर का माहौल बना हुआ है वो यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) डिजिटल रुपये के लॉन्च के बाद एक बार फिर नोटबंदी (Demonetisation) जैसा कोई बड़ा और सख्त फैसला लेने जा रहे हैं. तो चलिए पहले आपको बताते हैं कि डिजिटल रुपये के बारे में...
क्या है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपया (Digital Rupee) या ई-रुपया (e-Rupee) नोट और सिक्कों का डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है. इसे आसान शब्दों में समझें तो ई-रुपया के आने से अब आपको कैश रखने की जरूरत नहीं होगी. जिस तरह आप खरीदारी या किसी भी लेन-देन के लिए कागज के नोट या सिक्के का इस्तेमाल किया करते थे, उसी तरह आप ये लेनदेने डिजिटल रुपये के जरिये भी कर सकते हैं. फिलहाल आप भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), यस बैंक (YES Bank) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) के ऐप या वेबसाइट से डिजिटल रुपया खरीद सकते हैं. डिजिटल रुपये (Digital Rupee) में लेनदेन व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) के बीच किया जा सकता है.
जब आप किसी तरह की खरीदारी करेंगे तो दुकानदार या मर्चेंट की तरफ से आपको एक QR कोड दिया जाएगा.जिसे स्कैन करके आप अपने डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रुपी में पेमेंट कर सकते हैं. डिजिटल रुपये के आने के बाद डिजिटल पेमेंट और फंड्स का ऑनलाइन ट्रांसफर अधिक सेफ और जोखिम मुक्त हो जाएगा. डिजिटल रुपया (Digital Rupi) एक डिजिटल टोकन (Digital Token) है, जो कानूनी रूप से वैध है.
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर नोटबंदी जैसा फैसला ले सकते हैं?
आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश भर में नोटबंदी का ऐलान किया था .जिसके बाद रातों-रात 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट पर बैन लगा दिया गया था. केंद्र के इस फैसले के बाद देशभर में महीनों तक अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था.आम लोगों के सामने पुराने नोटों को जमा करने और उसे नए नोट में बदलने जैसी एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई थी. इससे लोगों के रोजगार और आम जीवन पर भारी संकट पड़ा. सरकार ने पुराने नोटों को बंद करने के बाद 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे. इसके कुछ दिन बाद 200 का नोट भी जारी किया गया था. साल 2016 में सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले पर अब तक सुप्रीम कोर्ट में बहस को दौर जारी है. डिमोनेटाइजेशन यानी नोटबंदी (Demonetisation) को लेकर सरकार ये कह रही है कि नोटबंदी के फैसले की सिफारिश रिजर्व बैंक ने की थी.
नोटबंदी का आम लोगों के जीवन पर सीधा पड़ा प्रभाव
देश में नोटबंदी के दौरान कैश यानी नकदी की काफी किल्लत हो गई थी. इस फैसले का असर सबसे ज्यादा उन उद्योगों पर देखने को मिला था, जो भारी मात्रा में नकद लेनदेन करते थे. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के एक आकड़ों से यह पता चला है कि 2017 के शुरूआती 4 महीनों में नोटबंदी के चलते करीब 15 लाख नौकरियां गई थी. वहीं, देश के जीडीपी पर भी नोटबंदी का प्रभाव साफ तौर पर देखा गया था. वित्त वर्ष 2017 की अप्रैल-जून की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई थी, जो कि पिछले तीन साल का सबसे निचला स्तर था.
ऐसे में जब एक बार फिर डिजिटल रुपया के लॉन्च होने के बाद यह बात सामने आ रही है कि इससे कैश रखने की जरूरत नहीं होगी, तो लोगों को एक बार फिर यह डर सताने लगा है कि क्या फिर से नोटबंदी होने वाली है. इसके साथ ही कुछ इस तरह की अफवाहें भी सामने आ रही हैं, जिसमें यह कहा जा रहा है कि अब मोदी सरकार डिजिटल रुपये के जरिये कैश यानी नकदी में लेनदेन के विकल्प को खत्म करने जा रही है.
जानें क्या करते हैं बैंकिंग एक्सपर्ट
इसको लेकर जब बैंकिंग एक्सपर्ट से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल डिजिटल रुपये को सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च की है. इसलिए आम लोगों को घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. सरकार जल्दबाजी में नोटबंदी जैसा कोई फैसला नहीं लेने जा रही है.एक्सपर्ट की मानें तो डिजिटल रुपये को लेकर अभी आम लोगों के बीच जानकारियों की कमीं है. इसके अलावा देश की एक बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार तब तक इसे पूरी तरह लॉन्च नहीं कर सकती है, जब तक इस से जुड़ी सभी प्रक्रिया को देश की पूरी आबादी के लिए आसान नहीं कर दिया जाए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए डिजिटल रुपये को समझना और इससे लेनदेन करना आसान नहीं होगा.
हालांकि, एक्सपर्ट का साफ तौर पर कहना है कि डिजिटल रुपया मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और कैश की जमाखोरी जैसी समस्याओं को कम करने का काम करेगा.