कोई भी जब बाज़ार में निवेश करता है, तो सबसे पहली ख्वाहिश होती है ज़्यादा से ज़्यादा रिटर्न पाना. आमतौर पर बैंक में करवाई गई एफ़डी (FD) या India Post की छोटी बचत योजनाओं NSC या किसान विकास पत्र (KVP) में किया गया निवेश लगभग 10 साल में रकम को दोगुना करता है, लेकिन इक्विटी से जुड़े निवेश (Investment) का विकल्प आपकी रकम को सिर्फ़ 5 साल में ही 5 गुना से भी ज़्यादा कर सकता है.
आज की तारीख में बाज़ार में कई ऐसे म्यूचुअल फ़ंड हैं, जिनके निवेशकों की रकम पिछले 5 साल में चार से सात गुना तक बढ़ गई. गौर से देखें, तो सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान, यानी SIP के ज़रिये निवेश करने वालों को भी पिछले 5 साल के दौरान 40 से 50 फ़ीसदी तक एन्युलाइज़्ड रिटर्न हासिल हुआ है. आज हम आपको ऐसे ही सात इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड के बारे में बता रहे हैं, जिनका प्रदर्शन पिछले पांच साल के दौरान बेहतरीन रहा है.
याद रखें, इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का फ़ैसला सोच-समझकर करें...
पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फ़ंड में निवेश लोकप्रिय विकल्प बनता जा रहा है. इसकी वजह शेयर बाज़ारों की तरह अच्छा रिटर्न मिलना है. शेयर मार्केट की तुलना में म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने में रिस्क भी तुलनात्मक रूप से कम होता है, क्योंकि म्यूचुअल फ़ंड में पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होता है. इसके अलावा, अगर इक्विटी म्यूयुअल फ़ंड में SIP के ज़रिये निवेश किया जाए, तो कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ भी हासिल होता है.
लेकिन इस सबके बावजूद यह याद रखना बेहद ज़रूरी है कि इक्विटी में निवेश भले ही म्यूचुअल फ़ंड या SIP के ज़रिये किया जाए, बाज़ार से जुड़ा जोखिम तो रहेगा ही. विशेष रूप से स्मॉलकैप और मिडकैप फ़ंड ज़्यादा जोखिम-भरे माने जाते हैं, सो, म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का फ़ैसला करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को भली प्रकार समझ लें, और हो सके, तो किसी अच्छे निवेश सलाहकार से सलाह-मशविरा भी कर लें.
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