Supreme Court On Section 377
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
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समलैंगिकता के फैसले पर अनेक सवाल
- Friday September 7, 2018
- विराग गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में मीडिया द्वारा फोटोग्राफी निषेध है. इसके बावजूद समलैंगिकता पर फैसले के बाद पूरा परिसर इन्द्रधनुषीय रंग से सराबोर हो गया. दो वयस्क लोगों का निजी सम्बन्ध मानते हुए समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया परन्तु इस फैसले के लिए अपनाई गयी कानूनी प्रक्रिया पर अनेक सवाल खड़े हो गये हैं.
- ndtv.in
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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने पर नजर
- Friday September 7, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को समलैंगिक अपनी आज़ादी के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी लंबी लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है. अब उनकी नज़र समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने पर है.
- ndtv.in
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निजता में घुसपैठ सरकार का काम नहीं
- Thursday September 6, 2018
- रवीश कुमार
कई बार सर्वोच्च अदालत के कुछ फैसलों को इसलिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए कि वो आपके हिसाब से आया है, बल्कि इसलिए भी पढ़ा जाना चाहिए कि फैसले तक पहुंचने से पहले तर्कों की प्रक्रिया क्या है. उसकी भाषा क्या है, भाषा की भावना क्या है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता पर सियासत...
- Thursday September 6, 2018
- अखिलेश शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर दिया. इस फैसले का जमकर स्वागत हो रहा है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
- ndtv.in
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अब महिला और पुरुष के बीच अप्राकृतिक यौनाचार भी अपराध नहीं...
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
गुरुवार सुबह तक भारत में समलैंगिकता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इसे अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अब अपराध नहीं, सवर्णों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा, पढ़ें दिन भर की 5 बड़ीं खबरें...
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
SC/ST एक्ट के विरोध में सवर्णों ने भारत बंद बुलाया. इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आईं. बिहार के कई जिलों में सवर्णों ने ट्रेनें रोकी और कई जगहों पर हाई-वे को भी बंद किया. उधर, नई दिल्ली में गुरुवार को भारत और अमेरिका के बीच अहम सैन्य समझौते COMCASA पर दस्तखत किए गए. अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस व विदेशमंत्री माइक पॉम्पियो तथा भारतीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के बीच 2+2 वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि भारत और अमेरिका के बीच अहम सैन्य समझौते COMCASA पर दस्तखत किए गए, जिसके ज़रिये भारत को महत्वपूर्ण अमेरिकी रक्षा तकनीक हासिल करने में मदद मिलेगी.
- ndtv.in
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Section 377 Verdict: समलैंगिकता अब अपराध नहीं, लेकिन इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नहीं पड़ेगा फर्क...
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को समलैंगिकता (Homosexuality) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा. चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से यह फ़ैसला सुनाया. करीब 55 मिनट में सुनाए इस फ़ैसले में धारा 377 (section 377) को रद्द कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा कि LGBT समुदाय को भी समान अधिकार है.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर RSS ने कहा- समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानते, लेकिन समर्थन भी नहीं करते
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: अखिलेश शर्मा, Edited by: नवनीत मिश्र
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जारी बयान में कहा है- समलैंगिक विवाह और संबंध प्रकृति से सुसंगत एवं नैसर्गिक नहीं है, इसलिए हम इस प्रकार के संबंधों का समर्थन नहीं करते.
- ndtv.in
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Section 377 पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जबरन बनाए गए संबंध, बच्चों और पशुओं के साथ यौनाचार अब भी अपराध, 10 बातें
- Thursday September 6, 2018
- Edited by: अरुण बिंजोला
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरूवार को एकमत से 158 साल पुरानी आईपीसी की धारा 377 (Section 377) के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध था. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे में रखने वाली धारा 377 (Section 377) के हिस्से को तर्कहीन, सरासर मनमाना और बचाव नहीं किये जाने वाला करार दिया. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं. संविधान पीठ ने धारा 377 (Section 377) को आंशिक रूप से निरस्त करते हुये इसे संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला करार दिया. पीठ ने चार अलग अलग परंतु परस्पर सहमति के फैसले सुनाये.
- ndtv.in
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Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिकता अपराध है या नहीं, ( Homosexuality) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है. समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया और कहा कि समलैंगिक संबंध अब से अपराध नहीं हैं. संविधान पीठ ने सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को एक मत से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू बोले-समलैंगिकता पर जोर देकर देश की समस्याओं से हटाया जा रहा ध्यान
- Thursday September 6, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेज काटजू इस बात से सहमत हैं कि समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाना चाहिए. मगर उन्होंने फैसले को लेकर सवाल भी खडे़ किए हैं. उन्होंने धारा 377 पर आए फैसले को देश की प्रमुख समस्याओं से ध्यान भटकाने वाला करार दिया है.
- ndtv.in
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धारा 377 पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, समलैंगिगता कोई मानसिक विकार नहीं
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को किया रद्द, संविधान पीठ ने 55 मिनट के फैसले में बदला कानून
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई
- Tuesday July 10, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
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समलैंगिकता के फैसले पर अनेक सवाल
- Friday September 7, 2018
- विराग गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के प्रांगण में मीडिया द्वारा फोटोग्राफी निषेध है. इसके बावजूद समलैंगिकता पर फैसले के बाद पूरा परिसर इन्द्रधनुषीय रंग से सराबोर हो गया. दो वयस्क लोगों का निजी सम्बन्ध मानते हुए समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया परन्तु इस फैसले के लिए अपनाई गयी कानूनी प्रक्रिया पर अनेक सवाल खड़े हो गये हैं.
- ndtv.in
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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने पर नजर
- Friday September 7, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को समलैंगिक अपनी आज़ादी के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी लंबी लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है. अब उनकी नज़र समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने पर है.
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निजता में घुसपैठ सरकार का काम नहीं
- Thursday September 6, 2018
- रवीश कुमार
कई बार सर्वोच्च अदालत के कुछ फैसलों को इसलिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए कि वो आपके हिसाब से आया है, बल्कि इसलिए भी पढ़ा जाना चाहिए कि फैसले तक पहुंचने से पहले तर्कों की प्रक्रिया क्या है. उसकी भाषा क्या है, भाषा की भावना क्या है.
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समलैंगिकता पर सियासत...
- Thursday September 6, 2018
- अखिलेश शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर दिया. इस फैसले का जमकर स्वागत हो रहा है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
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अब महिला और पुरुष के बीच अप्राकृतिक यौनाचार भी अपराध नहीं...
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
गुरुवार सुबह तक भारत में समलैंगिकता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध माना जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इसे अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है.
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समलैंगिकता अब अपराध नहीं, सवर्णों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा, पढ़ें दिन भर की 5 बड़ीं खबरें...
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
SC/ST एक्ट के विरोध में सवर्णों ने भारत बंद बुलाया. इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आईं. बिहार के कई जिलों में सवर्णों ने ट्रेनें रोकी और कई जगहों पर हाई-वे को भी बंद किया. उधर, नई दिल्ली में गुरुवार को भारत और अमेरिका के बीच अहम सैन्य समझौते COMCASA पर दस्तखत किए गए. अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस व विदेशमंत्री माइक पॉम्पियो तथा भारतीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के बीच 2+2 वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि भारत और अमेरिका के बीच अहम सैन्य समझौते COMCASA पर दस्तखत किए गए, जिसके ज़रिये भारत को महत्वपूर्ण अमेरिकी रक्षा तकनीक हासिल करने में मदद मिलेगी.
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Section 377 Verdict: समलैंगिकता अब अपराध नहीं, लेकिन इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नहीं पड़ेगा फर्क...
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को समलैंगिकता (Homosexuality) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा. चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से यह फ़ैसला सुनाया. करीब 55 मिनट में सुनाए इस फ़ैसले में धारा 377 (section 377) को रद्द कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा कि LGBT समुदाय को भी समान अधिकार है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर RSS ने कहा- समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानते, लेकिन समर्थन भी नहीं करते
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: अखिलेश शर्मा, Edited by: नवनीत मिश्र
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जारी बयान में कहा है- समलैंगिक विवाह और संबंध प्रकृति से सुसंगत एवं नैसर्गिक नहीं है, इसलिए हम इस प्रकार के संबंधों का समर्थन नहीं करते.
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Section 377 पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जबरन बनाए गए संबंध, बच्चों और पशुओं के साथ यौनाचार अब भी अपराध, 10 बातें
- Thursday September 6, 2018
- Edited by: अरुण बिंजोला
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरूवार को एकमत से 158 साल पुरानी आईपीसी की धारा 377 (Section 377) के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध था. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे में रखने वाली धारा 377 (Section 377) के हिस्से को तर्कहीन, सरासर मनमाना और बचाव नहीं किये जाने वाला करार दिया. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं. संविधान पीठ ने धारा 377 (Section 377) को आंशिक रूप से निरस्त करते हुये इसे संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला करार दिया. पीठ ने चार अलग अलग परंतु परस्पर सहमति के फैसले सुनाये.
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Section 377: क्या है धारा 377? अब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने से किया इनकार
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिकता अपराध है या नहीं, ( Homosexuality) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है. समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया और कहा कि समलैंगिक संबंध अब से अपराध नहीं हैं. संविधान पीठ ने सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को एक मत से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू बोले-समलैंगिकता पर जोर देकर देश की समस्याओं से हटाया जा रहा ध्यान
- Thursday September 6, 2018
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेज काटजू इस बात से सहमत हैं कि समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाना चाहिए. मगर उन्होंने फैसले को लेकर सवाल भी खडे़ किए हैं. उन्होंने धारा 377 पर आए फैसले को देश की प्रमुख समस्याओं से ध्यान भटकाने वाला करार दिया है.
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धारा 377 पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, समलैंगिगता कोई मानसिक विकार नहीं
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को किया रद्द, संविधान पीठ ने 55 मिनट के फैसले में बदला कानून
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- Reported by: आशीष भार्गव
संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई
- Tuesday July 10, 2018
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उच्चतम न्यायालय ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे.
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