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आजादी के आंदोलन को नकारने का सिलसिला है
- Friday November 12, 2021
- Ravish Kumar
क्या किसी को पद्म पुरस्कार इसलिए दिया जाता है कि वह आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी कहे और देश को बांटने वाला कहे. क्या इसलिए दिया जाता है कि पुरस्कार मिल जाने के बाद भारत की आज़ादी और उसके लिए बलिदान देने वाले असंख्य शहीदों का अपमान करे?
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काम वालों को काम चाहिए, नाम वालों को नाम चाहिए है
- Saturday August 7, 2021
- Ravish Kumar
जब हॉकी को प्रायोजक की ज़रूरत थी, पैसे की ज़रूरत थी तब कोई आगे नहीं आया लेकिन हॉकी के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हुआ तो सब खिलाड़ियों की मेहनत में अपना हिस्सा जोड़ने पहुंच गए हैं. भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी पदक नहीं जीत सकी लेकिन हारकर भी देश का दिल जीत लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि “देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!” इस बात की तारीफ होने लगी और हॉकी को लेकर नवीन पटनायक की तारीफ से सुस्त पड़ा मीडिया ऊर्जावान हो गया. तभी याद दिलाया गया कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर तो पहले से पुरस्कार है जिसे 2002 में शुरू किया गया था और 10 लाख रुपया दिया जाता है. ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट इन स्पोर्टस एंड गेम्स. उसका क्या होगा. कहीं उसका नाम किसी नेता के नाम पर तो नहीं रख दिया जाएगा.
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रैमॉन मैगसेसे अवार्ड मिलने के बाद रवीश कुमार ने यूं किया दर्शकों का शुक्रिया अदा
- Monday September 16, 2019
- Ravish Kumar
मुझे 25 साल के इस पेशे में यह बात आपके बीच रहकर समझ आई है कि दर्शक या पाठक होना पत्रकार के होने से भी बड़ी ज़िम्मेदारी का काम है. जीवन भर लोगों को सुबह उठकर आदतन आधे अधूरे मन से अख़बार पलटते देखा करता था. कइयों को अख़बार लपेट कर शौच के लिए जाते देखा करता था. कुछ लोगों के लिए अखबार यहां से वहां उठाकर रख देने के बीच कुछ पलट कर देख लेने का माध्यम हो सकता है, रिमोट से एक न्यूज़ चैनल से दूसरे न्यूज़ चैनल बदल कर अपनी बोरियत दूर करने का ज़रिया हो सकता है मगर निश्चित रूप से यह दर्शक या पाठक होना नहीं है.
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मनीला में मिली जीप की 'जीपनी', तिकोने मुंह वाले विक्रम की आ गई याद
- Tuesday September 10, 2019
- Ravish Kumar
उन्होंने लिखा कि मनीला के लोगों ने इसे थोड़ा बेहतर और कलात्मक बना दिया है. आज भी यह जुगाड़ से ही बनती है. बहुत सस्ती है. पांच किमी के नौ पेसो लगते हैं.इस वक्त मनीला की पहचान है मगर यहां ट्रैफिक की समस्या विकराल हो चुकी है. आम लोग जीपनी का इस्तमाल करते हैं. जीप की जीपनी. ठेला और ठूंसा के चलने का अभ्यास और अनुभव भारतीयों का भी है. ऐसी गाड़ियाँ रेलगाड़ी से गुज़रते वक्त फाटक पर खड़ी मिलती हैं. तिकोने मुँह वाले विक्रम की याद आ गई.
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हर जंग जीतने के लिए नहीं, सिर्फ इसलिए लड़ी जाती है, ताकि दुनिया को बताया जा सके, कोई है, जो लड़ रहा है : रवीश कुमार
- Monday September 9, 2019
हिंदी पत्रकारिता के लिए गौरव का दिन है. आज फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे सम्मान प्रदान किया गया है. उनको सम्मान देने वालों ने माना है कि रवीश कुमार उन लोगों की आवाज़ बनते हैं जिनकी आवाज़ कोई और नहीं सुनता. पिछले दो दशकों में एनडीटीवी में अलग-अलग भूमिकाओं में और अलग-अलग कार्यक्रमों के ज़रिए रवीश कुमार ने पत्रकारिता के नए मानक बनाए हैं. एक दौर में रवीश की रिपोर्ट देश की सबसे मार्मिक टीवी पत्रकारिता का हिस्सा बनता रहा. बाद में प्राइम टाइम की उनकी बहसें अपने जन सरोकारों के लिए जानी गईं. और जब सत्ता ने उनके कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया तो रवीश ने जैसे प्राइम टाइम को ही नहीं, टीवी पत्रकारिता को ही नई परिभाषा दे डाली. सरकारी नौकरियों और इम्तिहानों के बहुत मामूली समझे जाने वाले मुद्दों को, शिक्षा और विश्वविद्यालयों के उपेक्षित परिसरों को उन्होंने प्राइम टाइम में लिया और लाखों-लाख छात्रों और नौजवानों की नई उम्मीद बन बैठे. जिस दौर में पूरी की पूरी टीवी पत्रकारिता तमाशे में बदल गई है- राष्ट्रवादी उन्माद के सामूहिक कोरस का नाम हो गई है, उस दौर में रवीश की शांत-संयत आवाज़ हिंदी पत्रकारिता को उनकी गरिमा लौटाती रही है. मनीला में रेमॉन मैगसेसे सम्मान से पहले अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि अब लोकतंत्र को नागरिक पत्रकार की बचाएंगे और वे ख़ुद ऐसे ही नागरिक पत्रकार की भूमिका में हैं.
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हिंदी पत्रकारिता के लिए गर्व का दिन : NDTV के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित
- Monday September 9, 2019
आज हिंदी पत्रकारिता के लिए गर्व का दिन है. फिलीपींस की राजधानी मनीला में एनडीटीवी के मनैजिंग एडिटर रवीश कुमार को रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस मौके पर आयोजनकर्ताओं की ओर से रवीश कुमार के जीवन और पत्रकारिता करियर के बारे में बताया गया. पुरस्कार लेने के बाद रवीश कुमार वहां आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा "हर जंग जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती... कुछ जंग सिर्फ इसलिए लड़ी जाती हैं, ताकि दुनिया को बताया जा सके, कोई है, जो लड़ रहा है..."
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आज दोपहर 2 बजे रवीश कुमार को मनीला में रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित
- Monday September 9, 2019
आज दोपहर 2 बजे NDTV के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को मनीला में रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. रवीश कुमार को यह सम्मान हिन्दी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए मिला है.
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सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा? रवीश कुमार ने दिया ये जवाब
- Friday September 6, 2019
मंच से स्पीच देने के बाद सवाल-जवाब सेशन में रवीश कुमार से ऑडियंस में से अनिकेत ने पूछा, ''अगर आप और फिल्मकार अनुराग कश्यप जैसी हस्तियां, जो सवाल पूछती हैं, सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा?'' इस पर रवीश कुमार ने कहा, ''सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार को जवाबदेह नहीं बना रहे हैं, बल्कि सरकार को गैर-जवाबदेह बने रहने में मदद कर रहे हैं. ट्विटर और फेसबुक 'पार्टिसिपेटरी डेमोक्रेसी' का भ्रम पैदा करते हैं, लेकिन वास्तव में ये डेमोक्रेसी को मार रहे हैं.''
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रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार : रवीश कुमार ने कहा- पीएम मोदी का बधाई न देना भी बधाई है, कोई बात नहीं
- Friday September 6, 2019
रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार से जब एक सवाल पूछा गया कि उनको पीएम मोदी ने अभी तक बधाई नहीं दी है तो इस पर उन्होंने कहा, कोई बात नहीं पीएम मोदी ने बधाई नहीं दी. उनका बधाई नहीं देना भी बधाई है.' आपको बता दें कि रवीश कुमार को 9 सितंबर को रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस सम्मान को पाने वाले रवीश कुमार हिंदी मीडिया के पहले पत्रकार हैं.
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मैं रोजाना 2000 से 5000 शब्द लिखता हूं क्योंकि यह मेरे माइंडसेट को क्लियर रखता है: रवीश कुमार
- Friday September 6, 2019
उन्होंने कहा, ''मैं रोजाना 2000 से 5000 शब्द लिखता हूं क्योंकि यह आपके माइंडसेट को क्लियर रखता है. मुझे ऐसा दिवंगत पत्रकार प्रभास जोशी ने कहा था. उन्होंने ही मुझे सुझाव दिया था कि रोजाना 2000 शब्द लिखने चाहिए. मुझे लगा कि वह मजाकिया लहजे में कह रहे हैं और मैंने पलटकर उनसे पूछा कि क्या आप ऐसा करते हैं तो उनका जवाब हां में था. उसके बाद से मैं आज भी रोजाना 2000 शब्द से ज्यादा लिखता हूं. कई बार 5000 से ज्यादा बार कई मुद्दों पर लिखता रहता हूं.''
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नागरिकों को दो भागों में बांट दिया गया है, राष्ट्रवादी और राष्ट्रद्रोही : रवीश कुमार
- Friday September 6, 2019
रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार ने कहा कि नागरिकों को दो समूहों में बांट दिया गया है एक राष्ट्रवादी और दूसरी ओर राष्ट्रद्रोही. अपने भाषण में और बाद में सवाल-जवाब वाले सेशन में रवीश कुमार कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यह समय नागरिक होने के इम्तिहान का है.
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रैमॉन मैगसेसे के मंच से रवीश कुमार का संबोधन, पढ़ें पूरी स्पीच
- Friday September 6, 2019
दुनियाभर में सूरज की आग में तपते लोकतंत्र को चांद की ठंडक तो चाहिए. यह ठंडक आएगी कहां से...? सूचनाओं की वास्तविकता से, प्रामाणिकता से, पवित्रता से, और साहस से, न कि नेताओं की ऊंची आवाज़ से. सूचना जितनी पवित्र होगी, प्रामाणिक होगी, नागरिकों के बीच भरोसा उतना ही गहरा होगा. देश सही सूचनाओं से बनता है. फ़ेक न्यूज़, प्रोपेगंडा और झूठे इतिहास से हमेशा भीड़ बनती है.
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आजादी के आंदोलन को नकारने का सिलसिला है
- Friday November 12, 2021
- Ravish Kumar
क्या किसी को पद्म पुरस्कार इसलिए दिया जाता है कि वह आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी कहे और देश को बांटने वाला कहे. क्या इसलिए दिया जाता है कि पुरस्कार मिल जाने के बाद भारत की आज़ादी और उसके लिए बलिदान देने वाले असंख्य शहीदों का अपमान करे?
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काम वालों को काम चाहिए, नाम वालों को नाम चाहिए है
- Saturday August 7, 2021
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जब हॉकी को प्रायोजक की ज़रूरत थी, पैसे की ज़रूरत थी तब कोई आगे नहीं आया लेकिन हॉकी के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हुआ तो सब खिलाड़ियों की मेहनत में अपना हिस्सा जोड़ने पहुंच गए हैं. भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी पदक नहीं जीत सकी लेकिन हारकर भी देश का दिल जीत लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि “देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!” इस बात की तारीफ होने लगी और हॉकी को लेकर नवीन पटनायक की तारीफ से सुस्त पड़ा मीडिया ऊर्जावान हो गया. तभी याद दिलाया गया कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर तो पहले से पुरस्कार है जिसे 2002 में शुरू किया गया था और 10 लाख रुपया दिया जाता है. ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट इन स्पोर्टस एंड गेम्स. उसका क्या होगा. कहीं उसका नाम किसी नेता के नाम पर तो नहीं रख दिया जाएगा.
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रैमॉन मैगसेसे अवार्ड मिलने के बाद रवीश कुमार ने यूं किया दर्शकों का शुक्रिया अदा
- Monday September 16, 2019
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मुझे 25 साल के इस पेशे में यह बात आपके बीच रहकर समझ आई है कि दर्शक या पाठक होना पत्रकार के होने से भी बड़ी ज़िम्मेदारी का काम है. जीवन भर लोगों को सुबह उठकर आदतन आधे अधूरे मन से अख़बार पलटते देखा करता था. कइयों को अख़बार लपेट कर शौच के लिए जाते देखा करता था. कुछ लोगों के लिए अखबार यहां से वहां उठाकर रख देने के बीच कुछ पलट कर देख लेने का माध्यम हो सकता है, रिमोट से एक न्यूज़ चैनल से दूसरे न्यूज़ चैनल बदल कर अपनी बोरियत दूर करने का ज़रिया हो सकता है मगर निश्चित रूप से यह दर्शक या पाठक होना नहीं है.
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मनीला में मिली जीप की 'जीपनी', तिकोने मुंह वाले विक्रम की आ गई याद
- Tuesday September 10, 2019
- Ravish Kumar
उन्होंने लिखा कि मनीला के लोगों ने इसे थोड़ा बेहतर और कलात्मक बना दिया है. आज भी यह जुगाड़ से ही बनती है. बहुत सस्ती है. पांच किमी के नौ पेसो लगते हैं.इस वक्त मनीला की पहचान है मगर यहां ट्रैफिक की समस्या विकराल हो चुकी है. आम लोग जीपनी का इस्तमाल करते हैं. जीप की जीपनी. ठेला और ठूंसा के चलने का अभ्यास और अनुभव भारतीयों का भी है. ऐसी गाड़ियाँ रेलगाड़ी से गुज़रते वक्त फाटक पर खड़ी मिलती हैं. तिकोने मुँह वाले विक्रम की याद आ गई.
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हर जंग जीतने के लिए नहीं, सिर्फ इसलिए लड़ी जाती है, ताकि दुनिया को बताया जा सके, कोई है, जो लड़ रहा है : रवीश कुमार
- Monday September 9, 2019
हिंदी पत्रकारिता के लिए गौरव का दिन है. आज फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे सम्मान प्रदान किया गया है. उनको सम्मान देने वालों ने माना है कि रवीश कुमार उन लोगों की आवाज़ बनते हैं जिनकी आवाज़ कोई और नहीं सुनता. पिछले दो दशकों में एनडीटीवी में अलग-अलग भूमिकाओं में और अलग-अलग कार्यक्रमों के ज़रिए रवीश कुमार ने पत्रकारिता के नए मानक बनाए हैं. एक दौर में रवीश की रिपोर्ट देश की सबसे मार्मिक टीवी पत्रकारिता का हिस्सा बनता रहा. बाद में प्राइम टाइम की उनकी बहसें अपने जन सरोकारों के लिए जानी गईं. और जब सत्ता ने उनके कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया तो रवीश ने जैसे प्राइम टाइम को ही नहीं, टीवी पत्रकारिता को ही नई परिभाषा दे डाली. सरकारी नौकरियों और इम्तिहानों के बहुत मामूली समझे जाने वाले मुद्दों को, शिक्षा और विश्वविद्यालयों के उपेक्षित परिसरों को उन्होंने प्राइम टाइम में लिया और लाखों-लाख छात्रों और नौजवानों की नई उम्मीद बन बैठे. जिस दौर में पूरी की पूरी टीवी पत्रकारिता तमाशे में बदल गई है- राष्ट्रवादी उन्माद के सामूहिक कोरस का नाम हो गई है, उस दौर में रवीश की शांत-संयत आवाज़ हिंदी पत्रकारिता को उनकी गरिमा लौटाती रही है. मनीला में रेमॉन मैगसेसे सम्मान से पहले अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि अब लोकतंत्र को नागरिक पत्रकार की बचाएंगे और वे ख़ुद ऐसे ही नागरिक पत्रकार की भूमिका में हैं.
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हिंदी पत्रकारिता के लिए गर्व का दिन : NDTV के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित
- Monday September 9, 2019
आज हिंदी पत्रकारिता के लिए गर्व का दिन है. फिलीपींस की राजधानी मनीला में एनडीटीवी के मनैजिंग एडिटर रवीश कुमार को रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस मौके पर आयोजनकर्ताओं की ओर से रवीश कुमार के जीवन और पत्रकारिता करियर के बारे में बताया गया. पुरस्कार लेने के बाद रवीश कुमार वहां आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा "हर जंग जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती... कुछ जंग सिर्फ इसलिए लड़ी जाती हैं, ताकि दुनिया को बताया जा सके, कोई है, जो लड़ रहा है..."
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आज दोपहर 2 बजे रवीश कुमार को मनीला में रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित
- Monday September 9, 2019
आज दोपहर 2 बजे NDTV के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को मनीला में रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. रवीश कुमार को यह सम्मान हिन्दी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए मिला है.
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सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा? रवीश कुमार ने दिया ये जवाब
- Friday September 6, 2019
मंच से स्पीच देने के बाद सवाल-जवाब सेशन में रवीश कुमार से ऑडियंस में से अनिकेत ने पूछा, ''अगर आप और फिल्मकार अनुराग कश्यप जैसी हस्तियां, जो सवाल पूछती हैं, सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा?'' इस पर रवीश कुमार ने कहा, ''सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार को जवाबदेह नहीं बना रहे हैं, बल्कि सरकार को गैर-जवाबदेह बने रहने में मदद कर रहे हैं. ट्विटर और फेसबुक 'पार्टिसिपेटरी डेमोक्रेसी' का भ्रम पैदा करते हैं, लेकिन वास्तव में ये डेमोक्रेसी को मार रहे हैं.''
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रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार : रवीश कुमार ने कहा- पीएम मोदी का बधाई न देना भी बधाई है, कोई बात नहीं
- Friday September 6, 2019
रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार से जब एक सवाल पूछा गया कि उनको पीएम मोदी ने अभी तक बधाई नहीं दी है तो इस पर उन्होंने कहा, कोई बात नहीं पीएम मोदी ने बधाई नहीं दी. उनका बधाई नहीं देना भी बधाई है.' आपको बता दें कि रवीश कुमार को 9 सितंबर को रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस सम्मान को पाने वाले रवीश कुमार हिंदी मीडिया के पहले पत्रकार हैं.
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मैं रोजाना 2000 से 5000 शब्द लिखता हूं क्योंकि यह मेरे माइंडसेट को क्लियर रखता है: रवीश कुमार
- Friday September 6, 2019
उन्होंने कहा, ''मैं रोजाना 2000 से 5000 शब्द लिखता हूं क्योंकि यह आपके माइंडसेट को क्लियर रखता है. मुझे ऐसा दिवंगत पत्रकार प्रभास जोशी ने कहा था. उन्होंने ही मुझे सुझाव दिया था कि रोजाना 2000 शब्द लिखने चाहिए. मुझे लगा कि वह मजाकिया लहजे में कह रहे हैं और मैंने पलटकर उनसे पूछा कि क्या आप ऐसा करते हैं तो उनका जवाब हां में था. उसके बाद से मैं आज भी रोजाना 2000 शब्द से ज्यादा लिखता हूं. कई बार 5000 से ज्यादा बार कई मुद्दों पर लिखता रहता हूं.''
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नागरिकों को दो भागों में बांट दिया गया है, राष्ट्रवादी और राष्ट्रद्रोही : रवीश कुमार
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रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार ने कहा कि नागरिकों को दो समूहों में बांट दिया गया है एक राष्ट्रवादी और दूसरी ओर राष्ट्रद्रोही. अपने भाषण में और बाद में सवाल-जवाब वाले सेशन में रवीश कुमार कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यह समय नागरिक होने के इम्तिहान का है.
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रैमॉन मैगसेसे के मंच से रवीश कुमार का संबोधन, पढ़ें पूरी स्पीच
- Friday September 6, 2019
दुनियाभर में सूरज की आग में तपते लोकतंत्र को चांद की ठंडक तो चाहिए. यह ठंडक आएगी कहां से...? सूचनाओं की वास्तविकता से, प्रामाणिकता से, पवित्रता से, और साहस से, न कि नेताओं की ऊंची आवाज़ से. सूचना जितनी पवित्र होगी, प्रामाणिक होगी, नागरिकों के बीच भरोसा उतना ही गहरा होगा. देश सही सूचनाओं से बनता है. फ़ेक न्यूज़, प्रोपेगंडा और झूठे इतिहास से हमेशा भीड़ बनती है.
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