रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार ने NDTV के दर्शकों से कहा, शुक्रिया दिल से...

रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद रवीश कुमार ने एनडीटीवी के दर्शकों का धन्यवाद अदा किया.

नई दिल्ली:

रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद रवीश कुमार ने एनडीटीवी के दर्शकों का धन्यवाद अदा किया.

शुक्रिया दिल से

आप सभी दर्शकों का बहुत-बहुत शुक्रिया, एनडीटीवी के साथ बने रहने के लिए और एनडीटीवी के संघर्ष को समझने के लिए भी. मैं आप दर्शकों को ख़ासतौर से रेखांकित करता हूं क्योंकि इसमें आपकी बहुत बड़ी भूमिका है. भारत भर में और दुनिया भर में जहां भी आप हैं और जिस भी हालत में आप हैं, आपने बहुत सोच समझकर हमें अपना समर्थन दिया है. मैं यह बात कहने के लिए नहीं कह रहा हूं पर मैं जानता हूं अपने दिल से कि आपका होना हमारे होने के लिए कितना ज़रूरी है. आप नहीं होते तो हम यहां नहीं होते. आप दर्शकों की वजह से मैं यहां हूं.

मनीला के इस रैमॉन मैगसेसे अवॉर्ड फाउंडेशन के कंपाउंड से, अहाते से, परिसर से, मैं आपको ख़ूब याद करता रहा और चाहता हूं दिल से कि मेरा शुक्रिया आप सभी तक पहुंच जाए, किसी भी तरह से, कैसे भी. जो आज पूरी दुनिया में मीडिया की स्थिति बनी हुई है, हमने कभी भी इसके सवालों पर गंभीरता से नहीं सोचा. इसके भीतर की बुराइयों को रोज़ की समस्या मानकर हम दरकिनार करते रहे. आप भी और हम भी. किसी को अंदाज़ा नहीं था कि किस तरह की समस्या सामने आने वाली है और आज इसका पूरा वजूद, अस्तित्व दांव पर है. आप सभी को समझना है कि राजनीतिक चुनाव एक अलग चीज़ है, मीडिया का स्वतंत्र होना अलग चीज़ है. आप जिस किसी भी राजनीतिक दल को पसंद करते हों, उसी तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मीडिया का स्वतंत्र होना बहुत ज़रूरी है. इसलिए आपकी भूमिका न सिर्फ़ लोकतंत्र में है, बल्कि मीडिया को फिर से उसकी साख को बहाल करने के लिए बहुत ज़्यादा है. यह मेहनत आपको करनी है. आपको बहुत करीने से चुनाव करना है कि किस अख़बार पर आप पैसे खर्च कर रहे हैं और कौन सा टीवी चैनल देख रहे हैं और जो प्रोग्राम देख रहे हैं वह क्यों देख रहे हैं? उससे आपको क्या मिल रहा है? क्या वहां सिर्फ़ हंगामा है या फिर वाकई ऐसी कोई नई सूचना है जो दुनिया और उसके प्रति आपकी समझ को बढ़ा सकती है. 

एक बार फिर से एनडीटीवी परिवार की तरफ़ से आप सभी दर्शकों को बहुत-बहुत शुक्रिया. एनडीटीवी नहीं होता तो मैं यहां नहीं होता. मैं अपने सहयोगियों को भी ख़ूब याद कर रहा हूं, जिनसे लड़ा, झगड़ा. जिनसे कंधा मिलाकर काम करता रहा. यह सब प्यारे लोग अगर नहीं होते हैं, अगर आप इनकी अहमियत को नहीं समझते हैं, तो आप टीवी में कुछ भी नहीं हो सकते. अकेला कुछ भी नहीं होता. बहुत-बहुत शुक्रिया आप सभी का. यहां का दौरा, कार्यक्रम काफ़ी व्यस्त रहा. अब समाप्त होता है. लेकिन फिर से हम आपको याद करते हुए यहां से विदा लेते हैं. नमस्कार मैं रवीश कुमार.

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