Keyoor Pathak Blog
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छठ और चुनाव, बिहार में एक साथ दो उत्सव
- Sunday October 26, 2025
- Randhir Kumar Gautam & Keyoor Pathak
बिहार-यूपी के गांवों से निकलकर आज अपनी वैश्विक पहचान बना चुके छठ पर्व की भावना और बिहार विधानसभा चुनाव पर रंधीर कुमार गौतम और केयूर पाठक की टिप्पणी.
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'विश्वसनीयता का मानक' है महाभारत के कर्ण का चरित्र
- Saturday October 18, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
टीवी सीरियल महाभारत में कर्ण का रोल करने वाले पंकज धीर का 15 अक्तूबर को निधन हो गया. उन्होंने कर्ण का किरदार ऐसे निभाया कि वह अंतिम समय तक उनसे चिपका रहा. कर्ण की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डाल रहे हैं डॉक्टर केयूर पाठक और अरुण कुमार गोंड.
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केवल 'दीवाना' ही नहीं मानसिक रूप से बीमार भी बना रहा है रील
- Tuesday September 2, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
पढ़िए सोशल मीडिया साइट पर अक्सर देखे जाने वाले रील का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और वो हमारी भावनाओं को किस तरह से प्रभावित करते हैं.
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प्रोफेसर नंदू राम: दलितों के जीवन को सामाजिक विज्ञान का विषय बनाने वाला प्रोफेसर
- Sunday August 3, 2025
- Dhiraj Kumar & Keyoor Pathak
भारत में दलित को समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय बनाने वाले जेएनयू के प्रोफेसर नंदू राम का पिछले दिनों निधन हो गया. उनके योगदान को याद कर रहे हैं डॉक्टर धीरज कुमार और डॉक्टर केयूर पाठक.
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सोशल मीडिया: लाइक, कमेंट, फॉलोवर और वायरल वीडियो की लत लोगों को बीमार बना रही है
- Sunday July 20, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल आज लोगों में किस तरह के मानसिक विकार पैदा कर रहा है, बता रहे हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केयूर पाठक और अरुण कुमार गोंड.
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ब्लॉग: संस्कृत एक प्राचीन सेतु है
- Tuesday July 15, 2025
- Keyoor Pathak & Chitranjan Subuddhi
निश्चय ही संस्कृत दक्षिण और उत्तर के भाषाई खाई के बीच एक पुल की तरह काम कर सकती है. सबसे पुराने लिखित साहित्य के साथ यह भारत को जितने मजबूती से संयुक्त कर सकती है, वह सामर्थ्य अन्य भाषाओं जैसे हिंदी और अंग्रेजी में तो नहीं ही है.
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सलमान रुश्दी और ‘नाइफ’: समय से आगे का सपना
- Sunday February 23, 2025
- keyoor pathak And Dheeraj kumar
प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी के पर हुई जानलेवा हमले के बाद उससे उबरने के बाद का रचनात्मक परिणाम है उनकी पुस्तक ‘नाइफ’- जो मूलतः मजहबी मतान्धता और बोलने की स्वतंत्रता के सन्दर्भ में लिखी गई है.
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बिहार यात्रा डायरी: बीते कल की गूंज और आज की सच्चाई, इतिहास और संस्कृति की एक खोज
- Tuesday February 11, 2025
- Keyoor Pathak
ऐतिहासिक अवशेष महज खंडहर नहीं होते. ये हमारे वर्तमान की बुनियाद हैं. दुर्भाग्य से इतिहास शेष बचे अवशेष को हम इतिहास में ही धंसते हुए देखते हैं.
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पुष्पा-2: ‘आदमी चाहे तो पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकता है’
- Sunday December 22, 2024
आदमी सोच सकता है इसलिए उसका अस्तित्व है. जो जितना बड़ा सोच सकता है उसका उतना बड़ा अस्तित्व है. भौतिक अस्तित्व हमेशा चेतना या विचार के अस्तित्व के सामने छोटी सिद्ध होती दिखाई पड़ती है.
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निर्वस्त्रता को अपना अस्त्र घोषित करतीं ईरानी महिलाएं
- Sunday November 24, 2024
- Keyoor Pathak
क्या हिंदुस्तान में किसी महिला के नाखून काटने पर या बाल काटने पर यहां के समाज और सत्ता को डर लग सकता है? निश्चय ही यह सवाल ही मजाकिया लगता है! यहां ऐसी घटनाएं खबरों में आकर गायब हो जाएंगी, लोग इन बातों को हंसी-मजाक में उड़ा देंगे. नाख़ून काटने और बाल काटने में कोई अंतर नहीं. दोनों ही शरीर के अतिरिक्त हिस्से हैं जिसकी कटाई छंटाई अपने मनमुताबिक की जाती है. लेकिन यह मजाकिया लगने वाली बातें भी बड़े विद्रोह का माध्यम बन सकती है. अगर महिलाएं बाल काटकर प्रतिरोध कर रही हैं तो इससे समझा जा सकता है कि मजहबी कानूनों से संचालित देशों में इक्कीसवीं सदी में महिलाओं की हैसियत क्या है! दासता जितनी मजबूत होती है, प्रतिरोध के तरीके उतने छोटे और मजाकिया लगते हैं. ईरान की महिलाओं का विद्रोह उसकी दासता की चरम स्थिति को बताता है, इसलिए वहां महिलाओं के विरोध के तरीके भी ऐसे ही हैं.
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“उगअ हे सूरज देव, अरग के बेर”: मानवीय संवेदनाओं और सरोकारों की महान सरगम थीं शारदा सिन्हा
- Wednesday November 6, 2024
- Keyoor Pathak
अगर पूछा जाए कि पूरी दुनिया में विचरते हुए बिहारियों को कौन सी एक चीज बांधे रखती है? जवाब होगा- छठ. यह पर्व महज पर्व ही नहीं, बल्कि वह सांस्कृतिक धारा है जो बिहार को सदियों के संताप से मुक्त करती आ रही है. और कोई भी सांस्कृतिक धारा अपने शीर्ष तक नहीं पहुंचती जब तक उसमें संगीतमय प्रवाह नहीं हो, शारदा सिन्हा के रूप में यहां एक ऐसी गाथाई गायिका रही जिन्होंने अपने गीतों से छठ को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया. इनके गीतों ने छठ को वह संवेदनात्मक स्वर दिया जिसे अब तक न किसी ने दिया था और शायद कभी दिया जाएगा.
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'Joker' से 'Joker: Folie à Deux' : विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति
- Tuesday October 1, 2024
- Keyoor Pathak
जब रचनात्मकता प्रतिबंधित हो जाती है, तो वहां फिर विध्वंस को सृजनशीलता की श्रेणी में रख दिया जाता है. 'Joker: Folie à Deux' उसी विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति होगी.
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जोगीरा सारारारा : भारतीय लोकतंत्र का प्रतिनिधि पर्व
- Wednesday March 6, 2024
- Keyoor Pathak
ऐसा लगता है कि भारतीय लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व अगर कोई त्योहार सबसे अधिक करता है, तो वह होली है. यह भारत की विविधता को स्वीकारने का बड़ा उत्सव है. अलग-अलग रंग, सब मिलकर एक.
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छठ और चुनाव, बिहार में एक साथ दो उत्सव
- Sunday October 26, 2025
- Randhir Kumar Gautam & Keyoor Pathak
बिहार-यूपी के गांवों से निकलकर आज अपनी वैश्विक पहचान बना चुके छठ पर्व की भावना और बिहार विधानसभा चुनाव पर रंधीर कुमार गौतम और केयूर पाठक की टिप्पणी.
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'विश्वसनीयता का मानक' है महाभारत के कर्ण का चरित्र
- Saturday October 18, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
टीवी सीरियल महाभारत में कर्ण का रोल करने वाले पंकज धीर का 15 अक्तूबर को निधन हो गया. उन्होंने कर्ण का किरदार ऐसे निभाया कि वह अंतिम समय तक उनसे चिपका रहा. कर्ण की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डाल रहे हैं डॉक्टर केयूर पाठक और अरुण कुमार गोंड.
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केवल 'दीवाना' ही नहीं मानसिक रूप से बीमार भी बना रहा है रील
- Tuesday September 2, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
पढ़िए सोशल मीडिया साइट पर अक्सर देखे जाने वाले रील का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और वो हमारी भावनाओं को किस तरह से प्रभावित करते हैं.
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प्रोफेसर नंदू राम: दलितों के जीवन को सामाजिक विज्ञान का विषय बनाने वाला प्रोफेसर
- Sunday August 3, 2025
- Dhiraj Kumar & Keyoor Pathak
भारत में दलित को समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय बनाने वाले जेएनयू के प्रोफेसर नंदू राम का पिछले दिनों निधन हो गया. उनके योगदान को याद कर रहे हैं डॉक्टर धीरज कुमार और डॉक्टर केयूर पाठक.
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सोशल मीडिया: लाइक, कमेंट, फॉलोवर और वायरल वीडियो की लत लोगों को बीमार बना रही है
- Sunday July 20, 2025
- Arun Kumar Gond & Keyoor Pathak
सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल आज लोगों में किस तरह के मानसिक विकार पैदा कर रहा है, बता रहे हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केयूर पाठक और अरुण कुमार गोंड.
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ब्लॉग: संस्कृत एक प्राचीन सेतु है
- Tuesday July 15, 2025
- Keyoor Pathak & Chitranjan Subuddhi
निश्चय ही संस्कृत दक्षिण और उत्तर के भाषाई खाई के बीच एक पुल की तरह काम कर सकती है. सबसे पुराने लिखित साहित्य के साथ यह भारत को जितने मजबूती से संयुक्त कर सकती है, वह सामर्थ्य अन्य भाषाओं जैसे हिंदी और अंग्रेजी में तो नहीं ही है.
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सलमान रुश्दी और ‘नाइफ’: समय से आगे का सपना
- Sunday February 23, 2025
- keyoor pathak And Dheeraj kumar
प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी के पर हुई जानलेवा हमले के बाद उससे उबरने के बाद का रचनात्मक परिणाम है उनकी पुस्तक ‘नाइफ’- जो मूलतः मजहबी मतान्धता और बोलने की स्वतंत्रता के सन्दर्भ में लिखी गई है.
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बिहार यात्रा डायरी: बीते कल की गूंज और आज की सच्चाई, इतिहास और संस्कृति की एक खोज
- Tuesday February 11, 2025
- Keyoor Pathak
ऐतिहासिक अवशेष महज खंडहर नहीं होते. ये हमारे वर्तमान की बुनियाद हैं. दुर्भाग्य से इतिहास शेष बचे अवशेष को हम इतिहास में ही धंसते हुए देखते हैं.
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पुष्पा-2: ‘आदमी चाहे तो पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकता है’
- Sunday December 22, 2024
आदमी सोच सकता है इसलिए उसका अस्तित्व है. जो जितना बड़ा सोच सकता है उसका उतना बड़ा अस्तित्व है. भौतिक अस्तित्व हमेशा चेतना या विचार के अस्तित्व के सामने छोटी सिद्ध होती दिखाई पड़ती है.
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निर्वस्त्रता को अपना अस्त्र घोषित करतीं ईरानी महिलाएं
- Sunday November 24, 2024
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क्या हिंदुस्तान में किसी महिला के नाखून काटने पर या बाल काटने पर यहां के समाज और सत्ता को डर लग सकता है? निश्चय ही यह सवाल ही मजाकिया लगता है! यहां ऐसी घटनाएं खबरों में आकर गायब हो जाएंगी, लोग इन बातों को हंसी-मजाक में उड़ा देंगे. नाख़ून काटने और बाल काटने में कोई अंतर नहीं. दोनों ही शरीर के अतिरिक्त हिस्से हैं जिसकी कटाई छंटाई अपने मनमुताबिक की जाती है. लेकिन यह मजाकिया लगने वाली बातें भी बड़े विद्रोह का माध्यम बन सकती है. अगर महिलाएं बाल काटकर प्रतिरोध कर रही हैं तो इससे समझा जा सकता है कि मजहबी कानूनों से संचालित देशों में इक्कीसवीं सदी में महिलाओं की हैसियत क्या है! दासता जितनी मजबूत होती है, प्रतिरोध के तरीके उतने छोटे और मजाकिया लगते हैं. ईरान की महिलाओं का विद्रोह उसकी दासता की चरम स्थिति को बताता है, इसलिए वहां महिलाओं के विरोध के तरीके भी ऐसे ही हैं.
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“उगअ हे सूरज देव, अरग के बेर”: मानवीय संवेदनाओं और सरोकारों की महान सरगम थीं शारदा सिन्हा
- Wednesday November 6, 2024
- Keyoor Pathak
अगर पूछा जाए कि पूरी दुनिया में विचरते हुए बिहारियों को कौन सी एक चीज बांधे रखती है? जवाब होगा- छठ. यह पर्व महज पर्व ही नहीं, बल्कि वह सांस्कृतिक धारा है जो बिहार को सदियों के संताप से मुक्त करती आ रही है. और कोई भी सांस्कृतिक धारा अपने शीर्ष तक नहीं पहुंचती जब तक उसमें संगीतमय प्रवाह नहीं हो, शारदा सिन्हा के रूप में यहां एक ऐसी गाथाई गायिका रही जिन्होंने अपने गीतों से छठ को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया. इनके गीतों ने छठ को वह संवेदनात्मक स्वर दिया जिसे अब तक न किसी ने दिया था और शायद कभी दिया जाएगा.
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'Joker' से 'Joker: Folie à Deux' : विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति
- Tuesday October 1, 2024
- Keyoor Pathak
जब रचनात्मकता प्रतिबंधित हो जाती है, तो वहां फिर विध्वंस को सृजनशीलता की श्रेणी में रख दिया जाता है. 'Joker: Folie à Deux' उसी विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति होगी.
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जोगीरा सारारारा : भारतीय लोकतंत्र का प्रतिनिधि पर्व
- Wednesday March 6, 2024
- Keyoor Pathak
ऐसा लगता है कि भारतीय लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व अगर कोई त्योहार सबसे अधिक करता है, तो वह होली है. यह भारत की विविधता को स्वीकारने का बड़ा उत्सव है. अलग-अलग रंग, सब मिलकर एक.
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