Blogs | राकेश कुमार मालवीय |बुधवार जून 13, 2018 10:26 AM IST अंतरराष्ट्रीय बाल श्रमिक दिवस भी ऐसा ही मौका है. भले ही हमें नोबेल पुरस्कार मिल गया हो, लेकिन शर्मनाक है कि देश में बाल मजदूरों की हालत अब भी चिंतनीय बनी हुई है. सरकारी आंखों को बाल मजदूर दिखाई ही नहीं देते हैं, इसलिए वह इस पर लगातार गलत जवाब देते हैं. इसलिए कोई कार्रवाई भी नहीं होती, सब हरा-हरा दिखाई देता है.