पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बावजूद बाल मजदूरी (Child Labour) के गोरखधंधे पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकी है. ताजा मामला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के नरेला (Narela) इलाके का है. यह दो फैक्टरियों में काम कर रहे 60 से ज्यादा नाबालिगों को बाल मजदूरी के चंगुल से मुक्त कराया गया है. इसमें लड़कियां भी शामिल हैं. सस्ती मजदूरी के लिए इन्हें बिहार से दिल्ली लाया गया था.
राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में छापामारी कर 61 नाबालिग़ व मासूम बच्चों को निकाला गया, जिसमें 13 नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं. ये बच्चे नरेला की दो फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे. एक एनजीओ और प्रशासन के संयुक्त ऑपरेशन के बाद एक जूता और एक गीजर फैक्ट्री में छापामारी करके 61 बच्चों को रेस्क्यू करवाया गया.
जानकारी के मुताबिक, फैक्ट्रियों में सस्ती लेबर के चलते इन बच्चों को बिहार से लाया गया था. इनको प्रतिदिन 100-150 रूपये दिहाड़ी दी जाती थी. इनकी उम्र 12 वर्ष से लेकर 17 वर्ष है. इन बच्चों से तक़रीबन दो साल से इन फैक्ट्रियों में बंधवा मजदूरों की तरह काम करवाया जा रहा था.
रेस्क्यू फाउंडेशन के चेयरमैन त्रिवेणी आचार्य ने कहा कि दो कारखानों से इन बच्चों को छुड़ाया गया है. फिलहाल, दोनों फैक्ट्रियों को सील करके फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
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