बैडमिंटन में चीनी दबदबे को चुनौती देने वाली एकमात्र भारतीय साइना नेहवाल उम्मीद लगाए हैं कि उनका लंदन ओलिंपिक का कांस्य पदक कम से कम आधा दर्जन खिलाड़ियों को उनके साथ शीर्ष स्तर पर पहुंचने और पारपंरिक पावरहाउस को चुनौती देने के लिए प्रेरित करेगा।
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नई दिल्ली:
बैडमिंटन में चीनी दबदबे को चुनौती देने वाली एकमात्र भारतीय साइना नेहवाल उम्मीद लगाए हैं कि उनका लंदन ओलिंपिक का कांस्य पदक कम से कम आधा दर्जन खिलाड़ियों को उनके साथ शीर्ष स्तर पर पहुंचने और पारपंरिक पावरहाउस को चुनौती देने के लिए प्रेरित करेगा।
साइना ने कहा, ‘‘मैं भारत से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को शीर्ष स्तर पर देखना चाहती हूं क्योंकि मैं चीन की तरह ही ऐसा चाहती हूं, जहां पांच-छह खिलाड़ियों ने दबदबा बनाया हुआ है। मैं भारत में भी ऐसा ही कुछ चाहती हूं। कभी कभार हम 11 चीनी खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हैं, उन्हें एक रणनीति के हिसाब से खेलना होता है लेकिन मुझे उन सभी के लिए रणनीति बनानी होती है।’’
इस 22 वर्षीय ने पिछले हफ्ते वेम्बले एरिना में कांस्य पदक से भारत को बैडमिंटन में पहला ओलिंपिक पदक दिलाया। लेकिन चार साल पहले बीजिंग ओलिंपिक के क्वार्टरफाइनल में मिली हार, उन्हें अब भी खटकती है।
साइना ने कहा, ‘‘पदक जीतकर मैं बहुत खुश हूं लेकिन मैं बीजिंग का मैच नहीं भूल सकती। इसे भुलाना काफी मुश्किल है क्योंकि मैं अपने पहले ही प्रयास में सेमीफाइनल में पहुंच सकती थी लेकिन मैं हार गई। बीजिंग में हारना निराशाजनक था, यह आसान मैच था लेकिन मैंने इसे मुश्किल बना दिया था।’’
यह पूछने पर कि वह पिछले चार वर्षों में किन बदलावों से गुजरी है तो साइना ने कहा, ‘‘मैं अब दबाव नहीं लेती हूं क्योंकि मैं काफी टूर्नामेंट खेल चुकी हूं। बतौर खिलाड़ी भी मैं परिपक्व हुई हूं, आसानी से हार नहीं मानती और हर अंक के लिए लड़ती हूं। इससे पहले मैं दबाव ले लेती थी लेकिन अब मैं इसे सहजता से लेती हूं।’’
साइना ने कहा, ‘‘पिछले साल इंडिया ओपन और एबीसी के दौरान मैं अच्छे दौर से नहीं गुजर रही थी लेकिन मैंने थाइलैंड ओपन और इंडोनेशिया ओपन खिताब जीता इसलिए अगर मैं दबाव से नहीं निकली होती तो मैं ये खिताब नहीं जीत सकती थी। अब मैं सहज हो गई हूं।’’
उन्होंने कहा कि जब से वह इस खेल में आयी हैं, उनका एकमात्र लक्ष्य ओलिंपिक पदक प्राप्त करना था। साइना ने कहा, ‘‘मैं नौ वर्ष की उम्र से ही ओलिंपिक पदक जीतना चाहती थी। मैं पोडियम, पदक का अहसास महसूस करना चाहती थी। अंत में अब पदक मेरे गले में था और मैं पोडियम पर थी तो सबकुछ वैसा ही हो रहा था जैसा मैं चाहती थी। यह बहुत भावनात्मक था।’’
यह पूछने पर कि क्या वह 2016 रियो डि जेनेरियो ओलिंपिक के बारे में सोच रही हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘रियो अभी मेरे दिमाग में नहीं है, चार साल का समय बहुत दूर है। मैं अभी सिर्फ अगले कुछ महीनों में आने वाले आगामी टूर्नामेंट के बारे में सोच रही हूं। मुझे अब खुद को और फिट और मजबूत बनाना होगा।’’
साइना ने कहा, ‘‘मैं भारत से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को शीर्ष स्तर पर देखना चाहती हूं क्योंकि मैं चीन की तरह ही ऐसा चाहती हूं, जहां पांच-छह खिलाड़ियों ने दबदबा बनाया हुआ है। मैं भारत में भी ऐसा ही कुछ चाहती हूं। कभी कभार हम 11 चीनी खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हैं, उन्हें एक रणनीति के हिसाब से खेलना होता है लेकिन मुझे उन सभी के लिए रणनीति बनानी होती है।’’
इस 22 वर्षीय ने पिछले हफ्ते वेम्बले एरिना में कांस्य पदक से भारत को बैडमिंटन में पहला ओलिंपिक पदक दिलाया। लेकिन चार साल पहले बीजिंग ओलिंपिक के क्वार्टरफाइनल में मिली हार, उन्हें अब भी खटकती है।
साइना ने कहा, ‘‘पदक जीतकर मैं बहुत खुश हूं लेकिन मैं बीजिंग का मैच नहीं भूल सकती। इसे भुलाना काफी मुश्किल है क्योंकि मैं अपने पहले ही प्रयास में सेमीफाइनल में पहुंच सकती थी लेकिन मैं हार गई। बीजिंग में हारना निराशाजनक था, यह आसान मैच था लेकिन मैंने इसे मुश्किल बना दिया था।’’
यह पूछने पर कि वह पिछले चार वर्षों में किन बदलावों से गुजरी है तो साइना ने कहा, ‘‘मैं अब दबाव नहीं लेती हूं क्योंकि मैं काफी टूर्नामेंट खेल चुकी हूं। बतौर खिलाड़ी भी मैं परिपक्व हुई हूं, आसानी से हार नहीं मानती और हर अंक के लिए लड़ती हूं। इससे पहले मैं दबाव ले लेती थी लेकिन अब मैं इसे सहजता से लेती हूं।’’
साइना ने कहा, ‘‘पिछले साल इंडिया ओपन और एबीसी के दौरान मैं अच्छे दौर से नहीं गुजर रही थी लेकिन मैंने थाइलैंड ओपन और इंडोनेशिया ओपन खिताब जीता इसलिए अगर मैं दबाव से नहीं निकली होती तो मैं ये खिताब नहीं जीत सकती थी। अब मैं सहज हो गई हूं।’’
उन्होंने कहा कि जब से वह इस खेल में आयी हैं, उनका एकमात्र लक्ष्य ओलिंपिक पदक प्राप्त करना था। साइना ने कहा, ‘‘मैं नौ वर्ष की उम्र से ही ओलिंपिक पदक जीतना चाहती थी। मैं पोडियम, पदक का अहसास महसूस करना चाहती थी। अंत में अब पदक मेरे गले में था और मैं पोडियम पर थी तो सबकुछ वैसा ही हो रहा था जैसा मैं चाहती थी। यह बहुत भावनात्मक था।’’
यह पूछने पर कि क्या वह 2016 रियो डि जेनेरियो ओलिंपिक के बारे में सोच रही हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘रियो अभी मेरे दिमाग में नहीं है, चार साल का समय बहुत दूर है। मैं अभी सिर्फ अगले कुछ महीनों में आने वाले आगामी टूर्नामेंट के बारे में सोच रही हूं। मुझे अब खुद को और फिट और मजबूत बनाना होगा।’’
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