बीजिंग ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार लंदन में पदक जीतने के बारे में सोचकर परेशान नहीं हो रहे हालांकि उन्होंने पदक जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ने का वादा किया।
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सोनीपत:
बीजिंग ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार लंदन में पदक जीतने के बारे में सोचकर परेशान नहीं हो रहे हालांकि उन्होंने पदक जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ने का वादा किया।
सुशील ने यहां साइ सेंटर में बातचीत में कहा, मैं पदक के बारे में सोचकर अनावश्यक दबाव नहीं बनाना चाहता। इससे ओलिंपिक में मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। यदि पदक के बारे में ही सोचता रहूंगा तो दबाव बनेगा। मेरा लक्ष्य अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। उसने हालांकि कहा कि पिछले ओलिंपिक से उसे अनुभव मिल गया है और वह उससे बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है।
उन्होंने कहा, बीजिंग में चार साल पहले मिले कांस्य पदक से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैं उससे बेहतर प्रदर्शन करना चाहता हूं। उसने इन अटकलों को भी खारिज किया कि लंदन ओलिंपिक के बाद वह रिटायर हो जाएगा।
सुशील ने कहा, जब तक मेरा शरीर साथ देगा, मैं देश के लिए खेलता रहूंगा। उसने कहा कि कोलोरेडो स्प्रिंग्स में अभ्यास के दौरान पहलवानों ने अपनी रफ्तार और दमखम बेहतर की है।
उन्होंने कहा, ओलिंपिक की तैयारी में कोलोराडो स्प्रिंग्स का शिविर काफी कारगर साबित होगा। दो-तीन शीर्ष यूरोपीय देश वहां थे जिनके खिलाफ हमने अपने हुनर को आजमाया। शिविर पर्वतीय इलाके में था जिससे अतिरिक्त फायदा मिला।
सुशील ने कहा, हमारा फोकस रफ्तार, दमखम और पैरों की मूवमेंट पर था। मैं शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट हूं। शिविर सही समय पर लगा था। बेलारूस में लगने वाले आगामी अनुकूलन सह-अभ्यास शिविर के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें फोकस तकनीकी पहलू पर रहेगा।
यह पूछने पर कि भारत का ध्वजवाहक बनकर उसे कैसा लग रहा है, सुशील ने कहा, मुझे खुशी है कि मुझे उद्घाटन समारोह में तिरंगा थामने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुशील ने कहा, इससे देश में खेल की लोकप्रियता बढ़ेगी। पहली बार किसी पहलवान को राष्ट्रध्वज थामने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुझे फख्र महसूस हो रहा है।’ सुशील ने यह भी कहा कि ओलंपिक में जा रहे पांचों भारतीय पहलवानों में पदक जीतने का माद्दा है। उन्होंने कहा, ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पांचों भारतीय पहलवान पदक के दावेदार है। योगेश्वर बेहतरीन फॉर्म में हैं और मुझे उम्मीद है कि वह पदक जीतेगा। कठिन प्रतिद्वंद्वियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, जापान, रूस, अमेरिका, उक्रेन को हराना कठिन होगा।
सुशील ने यहां साइ सेंटर में बातचीत में कहा, मैं पदक के बारे में सोचकर अनावश्यक दबाव नहीं बनाना चाहता। इससे ओलिंपिक में मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। यदि पदक के बारे में ही सोचता रहूंगा तो दबाव बनेगा। मेरा लक्ष्य अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। उसने हालांकि कहा कि पिछले ओलिंपिक से उसे अनुभव मिल गया है और वह उससे बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है।
उन्होंने कहा, बीजिंग में चार साल पहले मिले कांस्य पदक से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैं उससे बेहतर प्रदर्शन करना चाहता हूं। उसने इन अटकलों को भी खारिज किया कि लंदन ओलिंपिक के बाद वह रिटायर हो जाएगा।
सुशील ने कहा, जब तक मेरा शरीर साथ देगा, मैं देश के लिए खेलता रहूंगा। उसने कहा कि कोलोरेडो स्प्रिंग्स में अभ्यास के दौरान पहलवानों ने अपनी रफ्तार और दमखम बेहतर की है।
उन्होंने कहा, ओलिंपिक की तैयारी में कोलोराडो स्प्रिंग्स का शिविर काफी कारगर साबित होगा। दो-तीन शीर्ष यूरोपीय देश वहां थे जिनके खिलाफ हमने अपने हुनर को आजमाया। शिविर पर्वतीय इलाके में था जिससे अतिरिक्त फायदा मिला।
सुशील ने कहा, हमारा फोकस रफ्तार, दमखम और पैरों की मूवमेंट पर था। मैं शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट हूं। शिविर सही समय पर लगा था। बेलारूस में लगने वाले आगामी अनुकूलन सह-अभ्यास शिविर के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें फोकस तकनीकी पहलू पर रहेगा।
यह पूछने पर कि भारत का ध्वजवाहक बनकर उसे कैसा लग रहा है, सुशील ने कहा, मुझे खुशी है कि मुझे उद्घाटन समारोह में तिरंगा थामने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुशील ने कहा, इससे देश में खेल की लोकप्रियता बढ़ेगी। पहली बार किसी पहलवान को राष्ट्रध्वज थामने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुझे फख्र महसूस हो रहा है।’ सुशील ने यह भी कहा कि ओलंपिक में जा रहे पांचों भारतीय पहलवानों में पदक जीतने का माद्दा है। उन्होंने कहा, ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पांचों भारतीय पहलवान पदक के दावेदार है। योगेश्वर बेहतरीन फॉर्म में हैं और मुझे उम्मीद है कि वह पदक जीतेगा। कठिन प्रतिद्वंद्वियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, जापान, रूस, अमेरिका, उक्रेन को हराना कठिन होगा।
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