भारत के स्टार पहलवान सुशील कुमार ने शनिवार को कहा कि ग्लासगो में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में जीता गया स्वर्ण पदक उनके लिए रियो डी जनेरियो में होने वाले आगामी ओलिम्पिक के लिए प्रेरणादायी साबित होगा।
ओलिम्पिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में दो बार पदक जीतने वाले सुशील कुमार भारत के एकमात्र खिलाड़ी हैं और अब उनका लक्ष्य ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने पर है।
सुशील ने बीजिंग ओलिम्पिक-2008 में जहां कांस्य पदक हासिल किया, वहीं अगले ही लंदन ओलिम्पिक-2012 में एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने रजत पदक पर कब्जा जमाया।
ओलिम्पिक में सुशील ने यह दोनों पदक हालांकि 66 किलोग्राम भारवर्ग में जीते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) ने पिछले वर्ष कुश्ती में नए भारवर्ग लागू करते हुए इस भारवर्ग को हटा दिया।
सुशील अब नए भारवर्ग (74 किलोग्राम) के तहत हिस्सा लेते हैं, तथा ग्लासगो में जीता गया स्वर्ण पदक नए भारवर्ग के तहत दूसरा अंतरराष्ट्रीय पदक है। लेकिन इसे उनके पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पदक के रूप में देखा जा रहा है।
सुशील ने पाकिस्तानी पहलवान कमर अब्बास को फाइनल मुकाबले में मात्र एक मिनट 47 सेकेंड में पटखनी देकर राष्ट्रमंडल खेल-2014 में स्वर्ण पदक हासिल किया।
ग्लासगो से स्वर्ण पदक जीतकर सुशील शनिवार को भारत वापस लौट आए और उनका भव्य स्वागत किया गया। सुशील ने कहा, "मेरे लिए इस पदक की बहुत अहमियत है। यह 74 किलोग्राम भारवर्ग में मेरा दूसरा स्वर्ण पदक है, तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला बड़ा पदक भी। मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी और अब मैं इसे हासिल कर बेहद खुश हूं।"
सुशील ने कहा, "अब मैं रियो ओलम्पिक की तैयारियों में लगूंगा और यह स्वर्ण पदक मुझे वहां अच्छा करने की प्रेरणा देता रहेगा।"
सुशील इन दिनों बेहद शानदार फॉर्म में हैं, और उनके हालिया पदक दिलाने वाले मुकाबले उनके लिए काफी आसान साबित हुए हैं।
सुशील से जब पूछा गया कि क्या उनके भारवर्ग में चुनौतियां मामूली ही हैं, तो उन्होंने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। मेरी जीत मेरी तैयारियों की वजह से आसान लगती है। इस समय मैं सबसे शानदार फॉर्म में हूं। पिछले छह महीने तैयारियों के लिहाज से वास्तव में बेहद कठिन रहे। मैं इस पदक को जीतने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ था।"
सुशील ने हालांकि आने वाले दो वर्षो को अपने लिए बेहद अहम बताया।
सुशील ने कहा, "मुझे आने वाले दो वर्षों में भार उठाने की लगातार कठिन कोशिश करनी होगी। मैंने अभी-अभी चार किलोग्राम वजन अधिक उठाना शुरू किया है और अब मैं उसे आसानी से कर ले रहा हूं। नए भारवर्ग में लड़ना चुनौतीपूर्ण है, और अब मेरा अगला लक्ष्य रियो ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक हासिल करना है।"
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