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नई दिल्ली:
अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक कमेटी (आईपीसी) और भारतीय खेल मंत्रालय के द्वारा पिछले महीने भारतीय पैरालिंपिक संघ पर लगे बैन के फ़ैसले के बाद से ही भारतीय पैरा एथलीट सकते में हैं।
लेकिन खेल मंत्रालय ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक कमेटी से गुज़ारिश की है कि भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगे के नीचे खेलने इजाज़त दी जाए। आईपीसी ने आपसी कलह का हवाला देकर भारतीय पैरालिंपिक संघ पर बैन लगा दिया था। बाद में भारतीय खेल मंत्रालय ने भी ग़ाज़ियाबाद में हुए नेशनल पैराएथलेटिक्स चैंपियनशिप्स के दौरान बदइंतज़ामी और खेल से खिलवाड़ का हवाला देते हुए भारतीय पैरालिंपिक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया।
दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय कमेटी ने भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त तो दे दी लेकिन शर्त ये लगाई कि ये खिलाड़ी आईपीसी के झंडे के नीचे ही हिस्सा ले सकेंगे। भारतीय खेल मंत्रालय ने आईपीसी के सीईओ ज़ेवियर गोंज़ालेज़ को ख़त लिखकर कहा है कि अगर खिलाड़ियों को तिरंगे के नीचे खेलने की इजाज़त नहीं मिलती है तो उनके मनोबल पर गहरा असर पड़ेगा।
2004 के एथेंस ओलिंपिक्स में अभिनव बिन्द्रा के स्वर्ण पदक के अलावा पैरालिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले राजस्थान के देवेन्द्र झाझरिया कहते हैं कि इस बात से राहत मिली है कि खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकेंगे।
वो कहते हैं, 'इस वक्त मेरी वर्ल्ड रैंकिंग 2 है और मैं दोहा में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा हूं। लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय ये है कि जीतने के बाद तिरंगे को ऊपर उठते देखना एकदम अलग बात होती है।' वो कहते हैं कि फ़ेडरेशन का विवाद जल्दी ख़त्म हो जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी अपना फ़ोकस खल पर ही रख सकें। वो ये भी कहते हैं कि आईपीसी ने उन्हीं खिलाड़ियों को इजाज़त दी है जिनके लाइसेंस (एसडीएमएस यानी स्पोर्ट्स डाटा मैनेजमेंट सर्विस) बने हुए हैं। पद्मश्री देवेन्द्र चाहते हैं कि इस मुद्दे पर भी भारतीय एथलीटों को छूट मिलनी चाहिए।
खेल मंत्रालय ने भी आईपीसी को लिखे खत में उन खिलाड़ियों के भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त मांगी है जो स्पोर्ट्स डाटा मैनेजमेंट सीस्टम के तहत लाइसेंस हासिल नहीं है।
खेल मंत्रालय ने ये भी लिखा है कि जबतक आईपीसी भारत में इन खेलों को चलाने के लिए किसी एडहॉक बॉडी को इजाज़त देता है तबतक साई यानी भारतीय खेल प्राधिकरण को खिलाड़ियों को संभालने की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। खेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक साई के पास इन खिलाड़ियों को संभालने का तरीका और हुनर दोनों हासिल है।
लेकिन खेल मंत्रालय ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक कमेटी से गुज़ारिश की है कि भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगे के नीचे खेलने इजाज़त दी जाए। आईपीसी ने आपसी कलह का हवाला देकर भारतीय पैरालिंपिक संघ पर बैन लगा दिया था। बाद में भारतीय खेल मंत्रालय ने भी ग़ाज़ियाबाद में हुए नेशनल पैराएथलेटिक्स चैंपियनशिप्स के दौरान बदइंतज़ामी और खेल से खिलवाड़ का हवाला देते हुए भारतीय पैरालिंपिक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया।
दो दिन पहले अंतरराष्ट्रीय कमेटी ने भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त तो दे दी लेकिन शर्त ये लगाई कि ये खिलाड़ी आईपीसी के झंडे के नीचे ही हिस्सा ले सकेंगे। भारतीय खेल मंत्रालय ने आईपीसी के सीईओ ज़ेवियर गोंज़ालेज़ को ख़त लिखकर कहा है कि अगर खिलाड़ियों को तिरंगे के नीचे खेलने की इजाज़त नहीं मिलती है तो उनके मनोबल पर गहरा असर पड़ेगा।
2004 के एथेंस ओलिंपिक्स में अभिनव बिन्द्रा के स्वर्ण पदक के अलावा पैरालिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले राजस्थान के देवेन्द्र झाझरिया कहते हैं कि इस बात से राहत मिली है कि खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकेंगे।
वो कहते हैं, 'इस वक्त मेरी वर्ल्ड रैंकिंग 2 है और मैं दोहा में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा हूं। लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय ये है कि जीतने के बाद तिरंगे को ऊपर उठते देखना एकदम अलग बात होती है।' वो कहते हैं कि फ़ेडरेशन का विवाद जल्दी ख़त्म हो जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी अपना फ़ोकस खल पर ही रख सकें। वो ये भी कहते हैं कि आईपीसी ने उन्हीं खिलाड़ियों को इजाज़त दी है जिनके लाइसेंस (एसडीएमएस यानी स्पोर्ट्स डाटा मैनेजमेंट सर्विस) बने हुए हैं। पद्मश्री देवेन्द्र चाहते हैं कि इस मुद्दे पर भी भारतीय एथलीटों को छूट मिलनी चाहिए।
खेल मंत्रालय ने भी आईपीसी को लिखे खत में उन खिलाड़ियों के भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त मांगी है जो स्पोर्ट्स डाटा मैनेजमेंट सीस्टम के तहत लाइसेंस हासिल नहीं है।
खेल मंत्रालय ने ये भी लिखा है कि जबतक आईपीसी भारत में इन खेलों को चलाने के लिए किसी एडहॉक बॉडी को इजाज़त देता है तबतक साई यानी भारतीय खेल प्राधिकरण को खिलाड़ियों को संभालने की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। खेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक साई के पास इन खिलाड़ियों को संभालने का तरीका और हुनर दोनों हासिल है।
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