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15 अगस्त पर इंडिया गेट या फिर कहीं और क्यों नहीं फहराया जाता है तिरंगा? जानें लाल किले में ऐसा क्या है खास

Independence Day 2025: आजादी के बाद जब नेहरू ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा लहराया तो ये देश के लिए एक भावनात्मक पल था. गुलामी की जंजीरों से आजाद हुए देश के लिए लाल किला एक प्रतीक के तौर पर था.

15 अगस्त पर इंडिया गेट या फिर कहीं और क्यों नहीं फहराया जाता है तिरंगा? जानें लाल किले में ऐसा क्या है खास
लाल किले पर पीएम मोदी ने फहराया तिरंगा
  • भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद लाल किले से तिरंगा फहराने की परंपरा शुरू की थी
  • स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराना और पीएम का भाषण देना भारत की गुलामी से आजादी का प्रतीक बना
  • हर साल की तरह इस साल भी पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराने के बाद देश को संबोधित किया
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Independence Day 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया और यहां तिरंगा फहराया. इससे पहले भारत के तमाम प्रधानमंत्री ये काम कर चुके हैं, आजादी के बाद से ही लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. अब इसे लेकर लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा कि आखिर हर साल दिल्ली के लाल किले में ही पीएम तिरंगा क्यों फहराते हैं. आइए इसका जवाब जानते हैं. 

नेहरू ने शुरू की परंपरा

भारत में कुछ ऐसी परंपराएं हैं, जिन्हें आजादी के बाद शुरू किया गया और वो आज तक जारी हैं. ऐसी ही परंपरा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी शुरू की थी. आजादी के बाद जब नेहरू ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा लहराया तो ये देश के लिए एक भावनात्मक पल था. गुलामी की जंजीरों से आजाद हुए देश के लिए लाल किला एक प्रतीक के तौर पर था, जहां तिरंगा फहराकर देश के मुखिया ने दुनियाभर में बड़ा मैसेज दिया. 

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हालांकि आजादी के बाद पहली बार तिरंगा लाल किले पर नहीं, बल्कि इंडिया गेट के पास स्थित प्रिंसेस पार्क में फहराया गया था. इसके अलावा काउंसिल हाउस यानी संसद भवन में पहली संविधान सभा बैठक में तिरंगा फहराया गया. इसी बैठक में नेहरू ने अपना मशहूर भाषण Tryst with Destiny दिया था. 

लाल किले में ही क्यों मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस?

लाल किला मुगलों और अंग्रेजों के जमाने की एक ऐसी इमारत थी, जिसे उनकी ताकत के रूप में देखा जाता था. जब भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ जीत हासिल की और उन्हें देश छोड़ना पड़ा तो अंग्रेजों के इस बड़े मुख्यालय को ही आजादी के एक प्रतीक की तरह बना दिया गया. यहां से स्वतंत्रता दिवस का भाषण और तिरंगा फहराने का मतलब ये था कि भारत अब गुलामी की बेड़ियों को तोड़ चुका है और पूरी तरह आजाद है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी सपना था कि भारत का तिरंगा लाल किले पर फहराया जाए. 

अब इसी परंपरा को तमाम प्रधानमंत्री निभाते हैं और लाल किले से दुनियाभर को भारत की ताकत का एहसास करवाया जाता है. पीएम मोदी ने भी इस बार 103 मिनट के अपने भाषण में पाकिस्तान और अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों को बताया कि भारत अब खुद के दम पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है. 

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