ऑस्ट्रेलिया के मैट डॉसन और भारत के एसवी सुनील (Image credit: FIH/Getty Images)
लंदन:
लंदन के ओलिंपिक पार्क पर 60 मिनट के मैच के बाद नतीजे के लिए पेनाल्टी शूट आउट की ज़रूरत पड़ी तो दिल्ली में टीवी पर मैच देख रहे पूर्व भारतीय कोच एमके कौशिक ने माथा पकड़ लिया। दो साल पहले इंचियन में उनकी अगुआई में टीम इसी तरह के वाकये से गुज़र चुकी थी। तब सामने पाकिस्तान टीम थी और भारतीय टीम ने 1998 के बैंकॉक एशियाड के बाद फिर से स्वर्ण जीतने का कारनामा कर दिखाया। लेकिन इस बार सामने ऑस्ट्रेलियाई टीम थी और जिसका डर था वही बात हुई। कोच एमके कौशिक कहते हैं कि रियो में अगर हमें अच्छा करना है तो कई दूसरी चीज़ों के साथ पेनाल्टी शूट आउट के अभ्यास की भी ज़रूरत पड़ेगी।
पूर्व कोच कौशिक कहते हैं 'पेनाल्टी शूट आउट सिचुएशन के अलावा हमें पेनाल्टी कॉर्नर पर ध्यान देने की ज़रूरत है। हमने ऑस्ट्रेलिया को दसेक पेनल्टी कॉर्नर के मौक़े दे दिए। यह भी तारीफ़ करनी होगी कि ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को दस पेनाल्टी कॉर्नर के बावजूद गोल नहीं करने दिया।' लंदन के ओलिंपिक पार्क पर हुए चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में मुक़ाबला पहले से ही बेशक एकतरफ़ा माना जा रहा हो लेकिन भारतीय टीम ने सबको अपना लोहा मनवाने पर मजबूर कर दिया। 38 साल के चैंपिंयस ट्रॉफ़ी के इतिहास में भारत ने पहली बार रजत पदक जीता। 1982 के कांस्य के बाद भारत का इस टूर्नामेंट में यह सिर्फ़ दूसरा पदक है।
उथप्पा पहला गोल बनाने से चूके
पेनल्टी शूट आउट 1 - रोमांचक चैंपियंस ट्रॉफ़ी फ़ाइनल का नतीजा पेनाल्टी शूट आउट तक पहुंचा। ऑस्ट्रेलिया के एरन ज़ेलव्सकी ने भारत के ख़िलाफ़ पहला गोल बना लिया, जबकि एसके उथप्पा पहला गोल बनाने से चूक गए। पेनल्टी शूट आउट 2 - लेकिन डैनियल बील दूसरे गोल के लिए निकले तो गोलकीपर कप्तान श्रीजेश उनकी राह का कांटा बन गए। फ़ैसला वीडियो अंपायर को रेफ़र किया गया और यह विवाद की बड़ी वजह बन गई। मैच के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट ने इसे लेकर प्रोटेस्ट भी दर्ज किया। लेकिन क़रीब घंटे भर बाद फ़ैसला ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में सुना दिया गया। इसके बीद एसवी सुनील भी गोल बनाने से चूक गए।
हरमनप्रीत का गोल
पेनल्टी शूट आउट 3 - ट्रेंट मिल्टन को रोककर श्रीजेश ने एक बार फिर कारनामा किया, फिर हरमनप्रीत ने गोल दागकर स्कोर को 2-1 पर पहुंचा दिया। पेनल्टी शूट आउट 4 - साइमन ऑर्चर्ड ने स्कोर को 3-1 पर पहुंचाया और फिर सुरिन्दर गोल बनाने से चूक गए। चैंपियंस ट्रॉफ़ी का ख़िताब 14वीं बार ऑस्ट्रेलियाई टीम के नाम हो गया। लेकिन पेनल्टी शूट आउट के स्कोर पूरे मैच की दास्तां बिल्कुल नहीं कहते। विश्व चैंपियन, विश्व नंबर 1 और चैंपियंस ट्रॉफ़ी की 13 बार चैंपियन रह चुकी टीम के सामने भारत का पलड़ा हल्का माना जा रहा था। लेकिन पूरे मैच के दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने बॉल पॉसेशन, सर्किल पेनेट्रेशन और खेल के हर पहलू में वर्ल्ड चैंपियन टीम को दबाव में बनाए रखा।
यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को पेनाल्टी स्ट्रोक का (दूसरे क्वार्टर में) भी मौक़ा मिला लेकिन श्रीजेश हमेशा की तरह कमाल का प्रदर्शन करते रहे। ऑस्ट्रेलियाई टीम पेनाल्टी कॉर्नर के मौक़ों को भी गोल में बदलने में नाकाम रही लेकिन जीत आख़िरकार ऑस्ट्रेलियाई टीम के ही नाम रही। यह और बात है कि इन सबके बावजूद भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में रजत पदक अपने नाम कर भारतीयों का दिल जीत लिया।
पूर्व कोच कौशिक कहते हैं 'पेनाल्टी शूट आउट सिचुएशन के अलावा हमें पेनाल्टी कॉर्नर पर ध्यान देने की ज़रूरत है। हमने ऑस्ट्रेलिया को दसेक पेनल्टी कॉर्नर के मौक़े दे दिए। यह भी तारीफ़ करनी होगी कि ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को दस पेनाल्टी कॉर्नर के बावजूद गोल नहीं करने दिया।' लंदन के ओलिंपिक पार्क पर हुए चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में मुक़ाबला पहले से ही बेशक एकतरफ़ा माना जा रहा हो लेकिन भारतीय टीम ने सबको अपना लोहा मनवाने पर मजबूर कर दिया। 38 साल के चैंपिंयस ट्रॉफ़ी के इतिहास में भारत ने पहली बार रजत पदक जीता। 1982 के कांस्य के बाद भारत का इस टूर्नामेंट में यह सिर्फ़ दूसरा पदक है।
उथप्पा पहला गोल बनाने से चूके
पेनल्टी शूट आउट 1 - रोमांचक चैंपियंस ट्रॉफ़ी फ़ाइनल का नतीजा पेनाल्टी शूट आउट तक पहुंचा। ऑस्ट्रेलिया के एरन ज़ेलव्सकी ने भारत के ख़िलाफ़ पहला गोल बना लिया, जबकि एसके उथप्पा पहला गोल बनाने से चूक गए। पेनल्टी शूट आउट 2 - लेकिन डैनियल बील दूसरे गोल के लिए निकले तो गोलकीपर कप्तान श्रीजेश उनकी राह का कांटा बन गए। फ़ैसला वीडियो अंपायर को रेफ़र किया गया और यह विवाद की बड़ी वजह बन गई। मैच के बाद भारतीय टीम मैनेजमेंट ने इसे लेकर प्रोटेस्ट भी दर्ज किया। लेकिन क़रीब घंटे भर बाद फ़ैसला ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में सुना दिया गया। इसके बीद एसवी सुनील भी गोल बनाने से चूक गए।
हरमनप्रीत का गोल
पेनल्टी शूट आउट 3 - ट्रेंट मिल्टन को रोककर श्रीजेश ने एक बार फिर कारनामा किया, फिर हरमनप्रीत ने गोल दागकर स्कोर को 2-1 पर पहुंचा दिया। पेनल्टी शूट आउट 4 - साइमन ऑर्चर्ड ने स्कोर को 3-1 पर पहुंचाया और फिर सुरिन्दर गोल बनाने से चूक गए। चैंपियंस ट्रॉफ़ी का ख़िताब 14वीं बार ऑस्ट्रेलियाई टीम के नाम हो गया। लेकिन पेनल्टी शूट आउट के स्कोर पूरे मैच की दास्तां बिल्कुल नहीं कहते। विश्व चैंपियन, विश्व नंबर 1 और चैंपियंस ट्रॉफ़ी की 13 बार चैंपियन रह चुकी टीम के सामने भारत का पलड़ा हल्का माना जा रहा था। लेकिन पूरे मैच के दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने बॉल पॉसेशन, सर्किल पेनेट्रेशन और खेल के हर पहलू में वर्ल्ड चैंपियन टीम को दबाव में बनाए रखा।
यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को पेनाल्टी स्ट्रोक का (दूसरे क्वार्टर में) भी मौक़ा मिला लेकिन श्रीजेश हमेशा की तरह कमाल का प्रदर्शन करते रहे। ऑस्ट्रेलियाई टीम पेनाल्टी कॉर्नर के मौक़ों को भी गोल में बदलने में नाकाम रही लेकिन जीत आख़िरकार ऑस्ट्रेलियाई टीम के ही नाम रही। यह और बात है कि इन सबके बावजूद भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में रजत पदक अपने नाम कर भारतीयों का दिल जीत लिया।
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