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This Article is From Jan 26, 2014

लिएंडर पेस, पुलेला गोपीचंद को पद्म भूषण, युवराज सिंह को पद्मश्री

लिएंडर पेस, पुलेला गोपीचंद को पद्म भूषण, युवराज सिंह को पद्मश्री
लिएंडर पेस की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

टेनिस स्टार लिएंडर पेस और बैडमिंटन खिलाड़ी से कोच बने पुलेला गोपीचंद को प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चुना गया, जबकि क्रिकेटर युवराज सिंह उन सात खिलाड़ियों में शामिल रहे, जिन्हें इस साल पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया।

स्क्वाश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल, भारत की पूर्व महिला क्रिकेट कप्तान अंजुम चोपड़ा, सुनील डबास (कबड्डी), लव राज सिंह धर्मशक्तु (पर्वतारोहण), एच बोनीफेस प्रभु (व्हील चेयर टेनिस) और ममता सोढ़ा (पर्वतारोहण) उन अन्य खिलाड़ियों में शामिल रहे, जिन्हें पद्मश्री पुरस्कारों के लिए चुना गया।

देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्म भूषण किसी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिया जाता है, जबकि पद्मश्री किसी भी क्षेत्र में सराहनीय सेवा के लिए। ये पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में समारोह के दौरान राष्ट्रपति देते हैं।

राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार हासिल कर चुके 40-वर्षीय पेस 14 ग्रैंडस्लैम के साथ भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी हैं। उन्होंने आठ पुरुष युगल, जबकि छह मिश्रित युगल ग्रैंडस्लैम जीते। पिछले साल वह अमेरिकी ओपन के साथ अपना 14वां ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने में सफल रहे और इस दौरान मेजर खिताब जीतने वाले सबसे अधिक उम्र के खिलाड़ी बने।

देश के सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक गोपीचंद इस साल पद्म भूषण के लिए चुने जाने वाले दूसरे बड़े खिलाड़ी हैं। गोपीचंद को खिलाड़ी और कोच के रूप में शानदार करियर के लिए 1999 में अर्जुन पुरस्कार, 2001 में खेल रत्न, 2005 में पद्मश्री और 2009 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया।

गोपीचंद, प्रकाश पादुकोण के बाद ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले भारत के सिर्फ दूसरे खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2001 में यह उपलब्धि हासिल की। खेल से संन्यास लेने के बाद गोपीचंद ने हैदराबाद में अपनी अकादमी 'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' बनाई, जहां उन्होंने साइना नेहवाल, पारूपल्ली कश्यप, पीवी सिंधू और आरएमवी गुरूसाईदत्त जैसे भारत के मौजूदा शीर्ष खिलाड़ी तैयार किए।

बाएं हाथ के बल्लेबाज और स्पिनर युवराज फिलहाल भारतीय टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वह सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। उन्होंने 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले टी-20 विश्वकप और 2011 विश्वकप में टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। वह 2011 विश्वकप में 'मैन आफ द टूर्नामेंट' रहे थे। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित युवराज को उनके जुझारूपन के लिए जाना जाता है और वह कैंसर से उबरकर राष्ट्रीय टीम में वापसी करने में सफल रहे।

स्क्वाश खिलाड़ी दीपिका डब्ल्यूएसए रैंकिंग में शीर्ष 10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय बनी। धर्मशक्तु पांच बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं और 2003 में उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय एडवेंचर पुरस्कार दिया गया।

बोनिफेस प्रभु भारत में व्हीलचेयर टेनिस के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल हैं। वह सभी चार ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट की व्हीलचेयर स्पर्धा में खेले और इन सभी के सेमीफाइनल और फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने गोला फेंक, बैडमिंटन, भाला फेंक और चक्का फेंक सहित छह स्पर्धाओं में 52 बार भारत का प्रतिनिधित्व किया और इनमें कई पदक जीते। 27-वर्षीय ममता 2011 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल रही थी।

पुरस्कार विजेताओं की सूची इस प्रकार है :- पद्म भूषण - पुलेला गोपीचंद (बैडमिंटन) और लिएंडर पेस (टेनिस)। पद्म श्री - अंजुम चोपड़ा (क्रिकेट), सुनील डबास (कबड्डी), लव राज सिंह धर्मशक्तु (पर्वतारोहण), दीपिका पल्लीकल (स्क्वाश), एच बोनिफेस प्रभु (व्हील चेयर टेनिस), युवराज सिंह (क्रिकेट) और ममता सोढा (पर्वतारोहण)।

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