आपराधिक मामलों में अरोप तय होने वाले व्यक्तियों को प्रतिबंधित करने के लक्ष्य के साथ भारतीय ओलिंपिक संघ के संविधान में संशोधन के लिए सब कुछ स्पष्ट करते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने शुक्रवार को दिशा-निर्देश जारी किए किस तरह इस नियम को लागू किया जाए जिससे कि 'गैर-जरूरी कयासों या संदिग्ध अर्थ' से बचा जा सके।
आईओए को लिखे पत्र में आईओसी के महानिदेशक क्रिस्टोफ डि कीपर ने कहा है कि सभी व्याख्याओं की अगली बैठक में उचित तरीके से पुष्टि की जाए और ऐसा नहीं होने पर वैश्विक संचालन संस्था के पास जरूरी प्रतिबंध लगाने का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
इस पत्र में उपबंध की सूची सौंपी है जिसे आईओसी उम्मीद कर रहा है कि भारतीय संस्था लागू करेगी।
पत्र में कहा गया है, 'संबंधित सदस्य (आरोपित व्यक्ति) को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए (और अगर नहीं तो उसे अस्थाई तौर पर निलंबित किया जाना चाहिए) और वह चुनाव में हिस्सा लेने का पात्र नहीं होगा। इस प्रणाली को स्वत: ही लागू किया जाना चाहिए और यह तब तक वैध रहेगा जब तक कि अदालत में आरोप तय रहते हैं।'
इसके अनुसार, 'बल्कि यह मामाला फिर आईओए नैतिक आयोग को रैफर कर दिया जायेगा।' केपर ने यह भी कहा कि आईओए नैतिक आयोग संबंधित सदस्य के खिलाफ और सजा की सिफारिश कर सकता है, लेकिन वह इस उपबंध में मौजूद सजा को कम नहीं कर सकता।
पत्र ने यह साफ किया कि अगर इस उपबंध का अलग तरह से व्याखान हुआ या इसे अलग तरह से लागू किया गया तो आईओसी 'के पास जरूरी कदम उठाने या सजा देने का अधिकार होगा।'
इसके अनुसार, 'आईओसी आईओए के नये संविधान को अब सशर्त मंजूरी देगी जैसा कि 8 दिसंबर 2013 को संशोधन किया गया था।'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं