भारतीय फुटबॉल के लिए गुरुवार का दिन तब ऐतिहासिक बन गया, जब विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ब्राजील में अपनी कार्यकारी समिति की बैठक में भारत को 2017 में होने वाले फीफा अंडर-17 विश्वकप फुटबॉल की मेजबानी सौंपने का फैसला किया।
ब्राजील के साल्वाडोर डा बाहिया में फीफा की कार्यकारी समिति की बैठक में इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की मेजबानी भारत को सौंपने का फैसला किया गया। भारत ने मेजबानी की दौड़ में शामिल दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और उज्बेकिस्तान को पीछे छोड़ा। मेजबान देश होने के कारण भारत हर दो वर्ष में होने वाले 24 देशों के इस टूर्नामेंट में पहली बार भाग लेगा।
फीफा ने बैठक के बाद ट्वीट किया, फीफा कार्यकारी समिति ने फीफा अंडर-17 विश्वकप 2017 की मेजबानी भारत को सौंपने की पुष्टि की है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के महासचिव कुशाल दास ने कहा, हां, भारत ने 2017 अंडर-17 विश्वकप फुटबॉल की मेजबानी हासिल कर ली है। यह अब आधिकारिक है।
एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने इस घटना को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, यह ऐतिहासिक है। हम इसका इंतजार कर रहे थे। मैं फीफा कार्यकारी समिति का आभार व्यक्त करता हूं कि उसने हम पर भरोसा दिखाया और भारत को अंडर-17 विश्वकप 2017 की मेजबानी सौंपी। मैं भारत सरकार का भी आभारी हूं कि उसने जरूरी गारंटी देकर हमें पूरा सहयोग किया।
इस टूर्नामेंट की तिथियां बाद में तय की जाएंगी। संयुक्त अरब अमीरात ने इस साल टूर्नामेंट का आयोजन किया था, जबकि चिली 2015 में होने वाले टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा। सरकार से विभिन्न विषयों पर गारंटी मिलने में देरी से शुरू में भारत की आखिरी बोली दस्तावेजों के समय पर जमा करने को लेकर आशंका जताई जा रही थी, लेकिन आखिर में वह मेजबानी हासिल करने में सफल रहा। भारत को इस बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी छह से आठ शहरों में करनी होगी। नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, गुवाहाटी, मडगांव, कोच्चि और बेंगलुरु में इन मैचों का आयोजन किया जा सकता है।
भारत की मेजबानी हासिल करने की संभावना पहले से ही मजबूत थी, क्योंकि फीफा ने ही सबसे पहले भारत में इस टूर्नामेंट के आयोजन के लिए कहा था। विश्व संस्था का मानना है कि यदि भारत इस टूर्नामेंट का आयोजन करेगा, तो इस खेल को देश में लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी। फीफा अध्यक्ष सैप ब्लाटर और बाद में उसके सचिव जेरोम वाल्के ने भारत दौरे में जरूरी आधारभूत ढांचे के निर्माण और सुविधाओं के उपलब्ध होने पर यहां की मेजबानी का पक्ष लिया था। लेकिन भारत के लिए मेजबानी हासिल करने की राह आसान नहीं रही। जनवरी में भारत की शुरुआती बोली नामंजूर कर दी गई, क्योंकि फीफा सरकार से कई विषयों पर स्पष्ट गारंटी चाहता था।
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