बत्तीस साल बाद ओलिंपिक खेलने का भारतीय महिला हॉकी टीम का सपना क्वालीफायर के फाइनल में द. अफ्रीका से मिली 1-3 से हार के साथ ही चूर-चूर हो गया।
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नई दिल्ली:
बत्तीस साल बाद ओलिंपिक खेलने का भारतीय महिला हॉकी टीम का सपना क्वालीफायर के फाइनल में द. अफ्रीका से मिली 1-3 से हार के साथ ही चूर-चूर हो गया।
मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम पर अच्छी खासी तादाद में जमा दर्शकों के सामने खेले गए कमोबेश एकतरफा फाइनल में टूर्नामेंट की सर्वोच्च रैंकिंग वाली टीम दक्षिण अफ्रीका ने मेजबान को हर विभाग में उन्नीस साबित कर दिया। लीग चरण में अच्छा प्रदर्शन करके उम्मीदें जगाने वाली भारतीय टीम तीसरे ही मिनट में शुरुआती गोल गंवाने के बाद दबाव से उबर ही नहीं सकी।
दक्षिण अफ्रीका के लिए रसेल शेली (तीसरा मिनट), पीएटी कोत्जी (29वां मिनट), कप्तान मार्शा मारेशिया (52वां मिनट) ने गोल दागे जबकि भारत के लिए जसप्रीत कौर (56वां मिनट) ने एकमात्र गोल पेनल्टी कार्नर पर किया।
भारत एफआईएच के किसी बड़े टूर्नामेंट में पहली बार फाइनल में पहुंचा था। ओलिंपिक में भारतीय टीम 1980 के मास्को ओलिंपिक में खेली थी जब महिला हॉकी को पहली बार शामिल किया गया था। उस समय भारत आमंत्रण के जरिये इसमें खेला था।
पिछली बार 2008 के बीजिंग ओलिंपिक के लिए कजान में खेले गए क्वालीफायर में भारत चौथे स्थान पर रहा था।
भारतीय टीम एक बार फिर खराब फिनिशिंग का शिकार हुई और शुरुआती क्षणों में गोल गंवाने की कमजोरी से पार नहीं पा सकी।
पहले हाफ में द. अफ्रीका ने भारतीय गोल पर कई हमले बोले और तीसरे मिनट में शेली ने डिफेंस को पूरी तरह नेस्तनाबूद करके पहला गोल दाग दिया।
मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम पर अच्छी खासी तादाद में जमा दर्शकों के सामने खेले गए कमोबेश एकतरफा फाइनल में टूर्नामेंट की सर्वोच्च रैंकिंग वाली टीम दक्षिण अफ्रीका ने मेजबान को हर विभाग में उन्नीस साबित कर दिया। लीग चरण में अच्छा प्रदर्शन करके उम्मीदें जगाने वाली भारतीय टीम तीसरे ही मिनट में शुरुआती गोल गंवाने के बाद दबाव से उबर ही नहीं सकी।
दक्षिण अफ्रीका के लिए रसेल शेली (तीसरा मिनट), पीएटी कोत्जी (29वां मिनट), कप्तान मार्शा मारेशिया (52वां मिनट) ने गोल दागे जबकि भारत के लिए जसप्रीत कौर (56वां मिनट) ने एकमात्र गोल पेनल्टी कार्नर पर किया।
भारत एफआईएच के किसी बड़े टूर्नामेंट में पहली बार फाइनल में पहुंचा था। ओलिंपिक में भारतीय टीम 1980 के मास्को ओलिंपिक में खेली थी जब महिला हॉकी को पहली बार शामिल किया गया था। उस समय भारत आमंत्रण के जरिये इसमें खेला था।
पिछली बार 2008 के बीजिंग ओलिंपिक के लिए कजान में खेले गए क्वालीफायर में भारत चौथे स्थान पर रहा था।
भारतीय टीम एक बार फिर खराब फिनिशिंग का शिकार हुई और शुरुआती क्षणों में गोल गंवाने की कमजोरी से पार नहीं पा सकी।
पहले हाफ में द. अफ्रीका ने भारतीय गोल पर कई हमले बोले और तीसरे मिनट में शेली ने डिफेंस को पूरी तरह नेस्तनाबूद करके पहला गोल दाग दिया।