दीपा कर्मकार ने NDTV से की खास बातचीत
- दीपा कर्मकार ने NDTV से खास बातचीत की
- बोलीं- जब तक मैंने जो ठाना है वो हासिल नहीं कर लेती मुझे बेचैनी रहती है
- बोलीं- जब हम कहते थे कि हम जिमनसास्ट हैं तो लोग हंसते थे
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नई दिल्ली:
जिमनास्टिक्स की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के बाद दीपा कर्मकार देश लौट आई है. उनका यहां इतना ज़ोरदार स्वागत हुआ जिसकी इस चैंपियन खिलाड़ी को भी उम्मीद नहीं थी. इस दौरान वह NDTV के दफ्तर आईं और खास बातचीत में अपने इस सफर और ओलिंपिक की कहानी को बयान किया. (यहां देखें दीपा का पूरा इंटरव्यू)
ओलिंपिक में जो कामयाबी मिली, उसके बाद जीवन कैसे बदल गया है?
दीपा कर्मकार : मैं तो नहीं बदली हूं लेकिन मेरे आसपास ज़रुर काफी कुछ बदल गया है. अब लोग मुझे पहचानने लगे हैं लेकिन मुझे इन बातों से फर्क नहीं पड़ता. बड़ी बात ये है कि अब लो जिमनास्टिक्स कोई एक खेल के रूप में जानने लगे हैं.
... लेकिन ये खेल खेलने की आपको सूझी कैसे? हमारे पास तो कोई हीरो था नहीं जिमनास्ट से...
दीपा कर्मकार: मेरे पिताजी वेटलिफ्टर थे और वो मुझे जिमनास्ट बनाना चाहते थे. वो ही मुझे 6 साल की उम्र में कोच बीएस नंदी के पास ले गए.
नंदी साहब, दीपा से जुड़ी पहली बात क्या आपको याद है?
बीएस नंदी : वो 6 साल की मेरे पास आई थी. शुरु से ही मुझे लगा कि इस लड़की में एक ऐसी ज़िद है कि मुझे बस करना है तो करना है. अगर वो किसी लक्ष्य को ठान ले तो बस उसे वो हासिल करना ही है. एक साल के भीतर वो अपने से बड़ी लड़कियों को हराने की कोशिश कर रही थी.
दीपा, क्या आप ज़िद्दी हैं?
दीपा कर्मकार : हां मैं बहुत बहुत जिद्दी हूं. जब तक मैंने अपने लिए जो काम ठाना है वो हासिल नहीं कर लेती, मुझे बहुत बेचैनी होती है. मुझे अंदर से आवाज़ आती है कि अभी काम पूरा नहीं है.
जिमनास्टिक्स को लोग सर्कस मानते रहे? आपको कभी ऐसे हालात का सामना करना पड़ा?
दीपा कर्मकार : हां, जब भी हम किसी कैंप में जाते थे तो लोग पूछते थे कि किस खेल के खिलाड़ी हो? जब हम कहते थे कि हम जिमनास्ट से हैं तो वो हंसते थे और कहते थे कि क्या तुम्हें सर्कस जॉइन करना है?
उस दिन के बारे में कुछ बताइए कि फ़ाइनल में जाने से पहले आपकी कैसी तैयारियां थीं?
दीपा कर्मकार : मैं बहुत नर्वस थी, मुझे मेरे कोच ने जॉनी लीवर के जोक्स सुनाए. मैं हंस तो रही थी मगर भीतर बहुत टेंशन थी. मगर जब फाइनल के लिए एक बार हम लोगों का नाम बुलाया गया तब बेचैनी खत्म हो गई और मेरा पूरा ध्यान अपने खेल पर था.
आप बस थोडे के लिए मेडल चूक गई इस बात से निराशा हुई होगी?
दीपा कर्मकार : नहीं, जैसे मैंने अपना फाइनल जम्प पूरा किया तब मुझे पता था कि मैं चौथे नंबर पर रहूंगी. लेकिन जो भी तीन लोग मुझसे आगे थे, वो मुझसे काफी बेहतर थे और उनमें से तो एक मेरी रोल मॉडल है. मुझे अपने खेल के स्तर को बढ़ाना होगा, अगर मेडल जीतना है तो....
हमने सुना, आपने 4 महीने तक आइसक्रीम नहीं खाई थी?
दीपा कर्मकार : जी हां.. मेरे कोच ने कहा था कि अगर कामयाब होना है तो कुछ कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी. लेकिन जैसे ही मेरा खेल खत्म हुआ मैंने खूब जंक फूड खाया और आइसक्रीम खाई.
जब आप भारत आईं तो आपको मिले स्वागत से हैरान थीं?
दीपा कर्मकार : जी हां.. इतने सारे पत्रकार एयरपोर्ट पर थे... मैं तो हैरान रह गई. दो बार माइक मेरे सिर पर लगा .. अभी भी वहां सूजन है. पर मैं खुश थी कि अपने देश को कुछ शानदार लम्हे दे पाई.
दीपा, आप वहां तो कमाल कर गईं, लेकिन सुना आपको अपने MA का एग्जाम देना है और आप काफी डरी हुई हैं.
दीपा कर्मकार : जी हां.. मेरी मां का मानना है कि पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए. मैं 9:30 बजे अगरतला पहुंचूंगी और 2 बजे मेरा पेपर है और मैंने कुछ खास नहीं पढ़ा है.
कोच साब और दीपा .. आप लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
बीएस नंदी : आज दीपा को देखकर काफी लोग जिमनास्ट बनना चाहते हैं. ये अच्छी बात है .. लेकिन कामयाबी इतनी आसान नहीं है. दीपा को 16 साल लग गए.. लेकिन अगर आप मेहनत करने के लिए तैयार हों तो आप ज़रुर कामयाब होंगे.
दीपा कर्मकार : अगर आपने मन में तय कर लिया और आप उसके लिए पूरी लगन से मेहनत करते हैं तो आप को कोई नहीं रोक सकता. बेटी पढ़ाओ, बेटी बढाओ और मेडल पाओ.
ओलिंपिक में जो कामयाबी मिली, उसके बाद जीवन कैसे बदल गया है?
दीपा कर्मकार : मैं तो नहीं बदली हूं लेकिन मेरे आसपास ज़रुर काफी कुछ बदल गया है. अब लोग मुझे पहचानने लगे हैं लेकिन मुझे इन बातों से फर्क नहीं पड़ता. बड़ी बात ये है कि अब लो जिमनास्टिक्स कोई एक खेल के रूप में जानने लगे हैं.
... लेकिन ये खेल खेलने की आपको सूझी कैसे? हमारे पास तो कोई हीरो था नहीं जिमनास्ट से...
दीपा कर्मकार: मेरे पिताजी वेटलिफ्टर थे और वो मुझे जिमनास्ट बनाना चाहते थे. वो ही मुझे 6 साल की उम्र में कोच बीएस नंदी के पास ले गए.
नंदी साहब, दीपा से जुड़ी पहली बात क्या आपको याद है?
बीएस नंदी : वो 6 साल की मेरे पास आई थी. शुरु से ही मुझे लगा कि इस लड़की में एक ऐसी ज़िद है कि मुझे बस करना है तो करना है. अगर वो किसी लक्ष्य को ठान ले तो बस उसे वो हासिल करना ही है. एक साल के भीतर वो अपने से बड़ी लड़कियों को हराने की कोशिश कर रही थी.
दीपा, क्या आप ज़िद्दी हैं?
दीपा कर्मकार : हां मैं बहुत बहुत जिद्दी हूं. जब तक मैंने अपने लिए जो काम ठाना है वो हासिल नहीं कर लेती, मुझे बहुत बेचैनी होती है. मुझे अंदर से आवाज़ आती है कि अभी काम पूरा नहीं है.
जिमनास्टिक्स को लोग सर्कस मानते रहे? आपको कभी ऐसे हालात का सामना करना पड़ा?
दीपा कर्मकार : हां, जब भी हम किसी कैंप में जाते थे तो लोग पूछते थे कि किस खेल के खिलाड़ी हो? जब हम कहते थे कि हम जिमनास्ट से हैं तो वो हंसते थे और कहते थे कि क्या तुम्हें सर्कस जॉइन करना है?
उस दिन के बारे में कुछ बताइए कि फ़ाइनल में जाने से पहले आपकी कैसी तैयारियां थीं?
दीपा कर्मकार : मैं बहुत नर्वस थी, मुझे मेरे कोच ने जॉनी लीवर के जोक्स सुनाए. मैं हंस तो रही थी मगर भीतर बहुत टेंशन थी. मगर जब फाइनल के लिए एक बार हम लोगों का नाम बुलाया गया तब बेचैनी खत्म हो गई और मेरा पूरा ध्यान अपने खेल पर था.
आप बस थोडे के लिए मेडल चूक गई इस बात से निराशा हुई होगी?
दीपा कर्मकार : नहीं, जैसे मैंने अपना फाइनल जम्प पूरा किया तब मुझे पता था कि मैं चौथे नंबर पर रहूंगी. लेकिन जो भी तीन लोग मुझसे आगे थे, वो मुझसे काफी बेहतर थे और उनमें से तो एक मेरी रोल मॉडल है. मुझे अपने खेल के स्तर को बढ़ाना होगा, अगर मेडल जीतना है तो....
हमने सुना, आपने 4 महीने तक आइसक्रीम नहीं खाई थी?
दीपा कर्मकार : जी हां.. मेरे कोच ने कहा था कि अगर कामयाब होना है तो कुछ कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी. लेकिन जैसे ही मेरा खेल खत्म हुआ मैंने खूब जंक फूड खाया और आइसक्रीम खाई.
जब आप भारत आईं तो आपको मिले स्वागत से हैरान थीं?
दीपा कर्मकार : जी हां.. इतने सारे पत्रकार एयरपोर्ट पर थे... मैं तो हैरान रह गई. दो बार माइक मेरे सिर पर लगा .. अभी भी वहां सूजन है. पर मैं खुश थी कि अपने देश को कुछ शानदार लम्हे दे पाई.
दीपा, आप वहां तो कमाल कर गईं, लेकिन सुना आपको अपने MA का एग्जाम देना है और आप काफी डरी हुई हैं.
दीपा कर्मकार : जी हां.. मेरी मां का मानना है कि पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए. मैं 9:30 बजे अगरतला पहुंचूंगी और 2 बजे मेरा पेपर है और मैंने कुछ खास नहीं पढ़ा है.
कोच साब और दीपा .. आप लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
बीएस नंदी : आज दीपा को देखकर काफी लोग जिमनास्ट बनना चाहते हैं. ये अच्छी बात है .. लेकिन कामयाबी इतनी आसान नहीं है. दीपा को 16 साल लग गए.. लेकिन अगर आप मेहनत करने के लिए तैयार हों तो आप ज़रुर कामयाब होंगे.
दीपा कर्मकार : अगर आपने मन में तय कर लिया और आप उसके लिए पूरी लगन से मेहनत करते हैं तो आप को कोई नहीं रोक सकता. बेटी पढ़ाओ, बेटी बढाओ और मेडल पाओ.
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