दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में अभ्यास करते हुए युवा जिमनास्ट
नई दिल्ली:
भारत की मशहूर जिमनास्ट दीपा कर्मकार का नाम फोर्ब्स पत्रिका ने एशिया की चुनिंदा 30 सुपर एचीवर्स में शामिल किया है. दीपा की वजह से भारतीय जिमनास्टिक्स की दुनिया में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. दिल्ली में हो रहे एशियन चैंपियनशिप के ट्रायल्स में हिस्सा ले रहे देशभर से आए एथलीट इस खेल की उम्मीदों को बड़ा करने लगे हैं. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में इन दिनों देश भर से 100 से ज़्यादा चुनिंदा जिमनास्ट ज़ोर-आज़माइश कर रहे हैं. ये रौनक अगले महीने बैंकॉक में होने वाली एशियन चैंपियनशिप को लेकर है. कोच, खिलाड़ी और जानकार कहते हैं कि इस खेल में ऐसा नज़ारा रियो ओलिंपिक्स के बाद ही देखने को मिल रहा है.
पांव में हुई सर्जरी की वजह से हाल ही में पद्मश्री से नवाज़ी गई भारत की इकलौती जिमनास्ट दीपा कर्मकार इस ट्रायल्स का हिस्सा नहीं हैं. लेकिन वे बाहर रहकर दूसरे जिमनास्ट्स का हौसला बढ़ा रही है. एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतने वाले इकलौते भारतीय जिमनास्ट आशीष कुमार भी इसके ज़रिये वापसी की कोशिश कर रहे हैं. कोच बीएस नंदी, दीपा कर्मकार और दूसरे दिग्गज मानते हैं कि इस खेल में अब जूनियर खिलाड़ियों के सपने भी बड़े हो गए हैं. दीपा के कोच बीएस नंदी कहते हैं, "चोट किसी को लग सकती है. रोनाल्डो घुटने में कई सर्जरी के बाद भी मैदान पर उतरे. इसलिए दीपा की चोट को लेकर अच्छा तो नहीं लग रहा, लेकिन अब 3-4 महीने का वक्त रिकवरी में लगेगा और हम इसके लिए कोई जल्दबाज़ी नहीं कर रहे." वे यह भी कहते हैं, "इस ट्रॉयल्स में हिस्सा ले रहे खिलाड़ी अब पदक जीतने के बारे में सोचते हैं. ये सिर्फ़ हिस्सा लेने या टीम में जगह बनाने के लिहाज़ से प्रैक्टिस नहीं कर रहे."
अपने साथी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रहीं दीपा कहती हैं, "इस टूर्नामेंट में भी कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनसे बड़ी उम्मीदें बंध रही हैं." उनकी साथी जिमनास्ट अरुणा रेड्डी कहती हैं, "दीदी (दीपा) की वजह से हम सबको लगने लगा है कि हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत सकती हैं. दीपा दीदी सबमें जोश भरती रहती हैं" फ़ेडरेशन की ग़ैर मौजूदगी में भारतीय खेल प्राधिकरण इस खेल की ज़िम्मेदारी उठा रहा है. लेकिन इस खेल में नतीजा बेहतर हो सके इसके लिए कई स्तर पर इस खेल को ऊपर उठाने की ज़रूरत है. दिल्ली में हो रहे ट्रायल्स इस बात का संकेत है कि खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों को कमर कसने की ज़रूरत है.
पांव में हुई सर्जरी की वजह से हाल ही में पद्मश्री से नवाज़ी गई भारत की इकलौती जिमनास्ट दीपा कर्मकार इस ट्रायल्स का हिस्सा नहीं हैं. लेकिन वे बाहर रहकर दूसरे जिमनास्ट्स का हौसला बढ़ा रही है. एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतने वाले इकलौते भारतीय जिमनास्ट आशीष कुमार भी इसके ज़रिये वापसी की कोशिश कर रहे हैं. कोच बीएस नंदी, दीपा कर्मकार और दूसरे दिग्गज मानते हैं कि इस खेल में अब जूनियर खिलाड़ियों के सपने भी बड़े हो गए हैं. दीपा के कोच बीएस नंदी कहते हैं, "चोट किसी को लग सकती है. रोनाल्डो घुटने में कई सर्जरी के बाद भी मैदान पर उतरे. इसलिए दीपा की चोट को लेकर अच्छा तो नहीं लग रहा, लेकिन अब 3-4 महीने का वक्त रिकवरी में लगेगा और हम इसके लिए कोई जल्दबाज़ी नहीं कर रहे." वे यह भी कहते हैं, "इस ट्रॉयल्स में हिस्सा ले रहे खिलाड़ी अब पदक जीतने के बारे में सोचते हैं. ये सिर्फ़ हिस्सा लेने या टीम में जगह बनाने के लिहाज़ से प्रैक्टिस नहीं कर रहे."
अपने साथी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रहीं दीपा कहती हैं, "इस टूर्नामेंट में भी कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनसे बड़ी उम्मीदें बंध रही हैं." उनकी साथी जिमनास्ट अरुणा रेड्डी कहती हैं, "दीदी (दीपा) की वजह से हम सबको लगने लगा है कि हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत सकती हैं. दीपा दीदी सबमें जोश भरती रहती हैं" फ़ेडरेशन की ग़ैर मौजूदगी में भारतीय खेल प्राधिकरण इस खेल की ज़िम्मेदारी उठा रहा है. लेकिन इस खेल में नतीजा बेहतर हो सके इसके लिए कई स्तर पर इस खेल को ऊपर उठाने की ज़रूरत है. दिल्ली में हो रहे ट्रायल्स इस बात का संकेत है कि खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं लेकिन अधिकारियों को कमर कसने की ज़रूरत है.
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