डिएगो मैराडोना की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
वर्ल्ड कप विजेता और अर्जेंटीना की फ़ुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान डिएगो मैराडोना ने फ़ीफ़ा के अधिकारियों की गिरफ़्तारी की खबर को लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने ये भी चेतावनी दे डाली कि अगला नंबर अब फीफा के अध्यक्ष सेप ब्लैटर का ही है।
फीफा के 7 अधिकारी ज़्यूरिख के लक्जरी होटल में गिरफ़्तार किए गए थे, जिनमें फीफा के दो उपाध्यक्ष भी शामिल हैं, जिन पर करीब डेढ़ करोड़ डॉलर यानी करीब 1000 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगा है।
मैराडोना ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी करीब 10 साल से इन सबके पीछे पड़े हुए थे। उनका मानना है कि अब सेप ब्लैटर को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा और वह अगली बार फीफा के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
मैराडोना ने कहा कि अब ब्लैटर को सफाई देने के लिए अमेरिका जाना पड़ सकता है। उनका कहना है कि अमेरिकी अधिकारी ब्लैटर के पीछे पिछले 10 साल से पड़े हुए हैं। बड़ी बात यह भी है कि फ़ीफ़ा अधिकारियों की गिरफ़्तारी तब हुई, जब ब्लैटर दो दिन बाद होने वाले चुनाव में पांचवीं बार अध्यक्ष बनने की उम्मीद कर रहे हैं।
इस बीच यूएफा (यूनियन ऑफ़ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन) ने शुक्रवार को होने वाले फीफा के चुनाव को टालने की अपील कर दी है। डिएगो मैराडोना और सेप ब्लैटर के बीच कटुता का एक इतिहास रहा है। मैक्सिको में हुए 1986 वर्ल्ड कप के दौरान मैराडोना ने ब्लैटर का इस बात को लेकर विरोध किया था कि उस दौरान मैच दोपहर की धूप में करवाए गए थे।
इत्तिफ़ाकन मैराडोना 1986 वर्ल्ड कप के सुपरस्टार रहे थे। उन्होंने अपने दम पर अर्जेंटीना की कप्तानी करते हुए अपनी टीम को वर्ल्ड कप का ख़िताब हासिल करवाया था। मैराडोना ने अखबारों में लेख लिखकर ब्लैटर के खिलाफ मुहिम भी चलाई, ताकि वो फिर से चुनाव नहीं जीत सकें। मैराडोना ने 'टेलिग्राफ' में लिखा है कि 'ब्लैटर एक तानाशाह हैं और फीफा भ्रष्टाचारियों का मैदान'।
मैराडोना कहते हैं कि वो यह बातें लंबे समय से ज़ाहिर करते रहे हैं, लेकिन तब लोग उन्हें दीवाना समझते थे। अब एफबीआई ने एक शानदार काम करते हुए उनकी बात को सच साबित कर दिया है।
इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ब्लैटर का समर्थन किया है। उनका कहना है कि अमेरिका अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है। वैसे यह ध्यान देने वाली बात है कि 2018 में वर्ल्ड कप की मेज़बानी का मौका रूस को ही मिला है।
एफ़बीआई के आरोप के मुताबिक 2018 में रूस में होने वाले वर्ल्ड कप और 2022 में कतर में होने वाले वर्ल्ड कप की मेज़बानी को लेकर फीफा अधिकारियों ने रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार किया है।
फीफा के 7 अधिकारी ज़्यूरिख के लक्जरी होटल में गिरफ़्तार किए गए थे, जिनमें फीफा के दो उपाध्यक्ष भी शामिल हैं, जिन पर करीब डेढ़ करोड़ डॉलर यानी करीब 1000 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगा है।
मैराडोना ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी करीब 10 साल से इन सबके पीछे पड़े हुए थे। उनका मानना है कि अब सेप ब्लैटर को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा और वह अगली बार फीफा के अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
मैराडोना ने कहा कि अब ब्लैटर को सफाई देने के लिए अमेरिका जाना पड़ सकता है। उनका कहना है कि अमेरिकी अधिकारी ब्लैटर के पीछे पिछले 10 साल से पड़े हुए हैं। बड़ी बात यह भी है कि फ़ीफ़ा अधिकारियों की गिरफ़्तारी तब हुई, जब ब्लैटर दो दिन बाद होने वाले चुनाव में पांचवीं बार अध्यक्ष बनने की उम्मीद कर रहे हैं।
इस बीच यूएफा (यूनियन ऑफ़ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन) ने शुक्रवार को होने वाले फीफा के चुनाव को टालने की अपील कर दी है। डिएगो मैराडोना और सेप ब्लैटर के बीच कटुता का एक इतिहास रहा है। मैक्सिको में हुए 1986 वर्ल्ड कप के दौरान मैराडोना ने ब्लैटर का इस बात को लेकर विरोध किया था कि उस दौरान मैच दोपहर की धूप में करवाए गए थे।
इत्तिफ़ाकन मैराडोना 1986 वर्ल्ड कप के सुपरस्टार रहे थे। उन्होंने अपने दम पर अर्जेंटीना की कप्तानी करते हुए अपनी टीम को वर्ल्ड कप का ख़िताब हासिल करवाया था। मैराडोना ने अखबारों में लेख लिखकर ब्लैटर के खिलाफ मुहिम भी चलाई, ताकि वो फिर से चुनाव नहीं जीत सकें। मैराडोना ने 'टेलिग्राफ' में लिखा है कि 'ब्लैटर एक तानाशाह हैं और फीफा भ्रष्टाचारियों का मैदान'।
मैराडोना कहते हैं कि वो यह बातें लंबे समय से ज़ाहिर करते रहे हैं, लेकिन तब लोग उन्हें दीवाना समझते थे। अब एफबीआई ने एक शानदार काम करते हुए उनकी बात को सच साबित कर दिया है।
इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ब्लैटर का समर्थन किया है। उनका कहना है कि अमेरिका अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है। वैसे यह ध्यान देने वाली बात है कि 2018 में वर्ल्ड कप की मेज़बानी का मौका रूस को ही मिला है।
एफ़बीआई के आरोप के मुताबिक 2018 में रूस में होने वाले वर्ल्ड कप और 2022 में कतर में होने वाले वर्ल्ड कप की मेज़बानी को लेकर फीफा अधिकारियों ने रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार किया है।
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