91 रन की नाबाद पारी के लिए मैन ऑफ द मैच बने धोनी ने कहा, मैंने कई ऐसे फैसले लिए कि हम नहीं जीतते तो मुझ पर सवालों की बौछार हो जाती।
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Mumbai:
भारत को 28 बरस बाद विश्व चैम्पियन बनाने में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले करिश्माई कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने फाइनल में श्रीलंका पर छह विकेट से मिली जीत के बाद कहा कि उन पर खुद को साबित करने की जिम्मेदारी थी, जो उन्होंने निभाई। अपनी 91 रन की नाबाद पारी के लिए मैन ऑफ द मैच बने धोनी ने कहा, मैंने कई ऐसे फैसले लिए कि हम नहीं जीतते तो मुझ पर सवालों की बौछार हो जाती। मसलन श्रीसंत को क्यों चुना गया, अश्विन को क्यों नहीं। युवराज इतने अच्छे फॉर्म में हैं, तो बल्लेबाजी करने मैं पहले क्यों उतरा। उन्होंने कहा, इससे मुझे अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली। पिछले मैचों में ऐसा नहीं कर पाया था। मुझ पर खुद को साबित करने की जिम्मेदारी थी, लिहाजा मैं बल्लेबाजी करने पहले आया। कोच गैरी कर्स्टन और सीनियर खिलाड़ियों ने भी मेरा समर्थन किया। उन्होंने विश्व कप के सफर को यादगार बताते हुए कहा कि सभी खिलाड़ियों ने अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया। फाइनल के बारे में उन्होंने कहा, सचिन और वीरू के जल्दी आउट होने के बाद गौतम और विराट ने अच्छी पारियां खेलीं। उन्होंने सिंगल्स लेकर श्रीलंकाई स्पिनरों पर दबाव बनाया। हालांकि गौतम का शतक पूरा होता तो और अच्छा रहता। उसने सूत्रधार की भूमिका निभाई जो काबिले तारीफ है।
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