साइकलिंग रेस का एक दृश्य.
- प्रति दिन 70 से 80 किलोमीटर सफर कर रहे प्रतिभागी
- साइकिल रेस को आठ स्टेज में बांटा गया
- देश-विदेश के कुल 67 प्रतिभागी ले रहे भाग
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नई दिल्ली:
शिमला की वादियों से हीरो एमटीबी रेस शुरू हो गई है. यह साइकिल रेस एशिया की सबसे बड़ी और सबसे मुश्किल माउंटेन साइकिल रेस मानी जाती है. इस बार कुल 67 देशी और विदेशी राइडर इसमें हिस्सा ले रहे हैं. यह रेस शिमला से शुरू हुई और धर्मशाला में समाप्त होगी. 25 सितंबर को शुरू हुई यह रेस तीन अक्टूबर तक चलेगी. राइडर इस दौरान करीब 650 किलोमीटर का सफर तय करेंगे.
इस साइकिल रेस को आठ स्टेज में बांटा गया है. हर दिन राइडर करीब 70-80 किलोमीटर का मुश्किल सफर तय कर रहे हैं. हिमाचल की हसीन वादियों में साइकिल का सफर आसान नहीं है, लेकिन इसमें भाग लेने वालों को इसकी फिक्र नहीं है. इस रेस में शामिल भारतीय राइडर हर सीज़न के साथ बेहतर हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय राइडरों से मुकाबला करके इनके खेल में सुधार हो रहा है. 
युवा भारतीय राइडरों के लिए यह अनुभव कभी न भूलने वाला है. हर सीज़न के साथ उनका प्रदर्शन सुधर रहा है और विदेशों में भी ले जाकर उनके स्तर को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इस रेस का आयोजन कराने वाली संस्था हस्तपा के अध्यक्ष मोहित सूद का कहना है कि 'हमारा उद्देश्य हिमाचल में होने वाली इस रेस को दुनिया में पहचान दिलाना है. हर साल रेस की लोकप्रियता बढ़ रही है और वह दिन दूर नहीं जब भारत से कोई चैंपियन निकलेगा. हमारा उद्देश्य देश में माउंटेन साइकलिंग को बढ़ावा देना है.' 
हर दिन के अंत में राइडर स्थानीय लोगों से मिलते हैं और यहां की संस्कृति से भी वाकिफ होते हैं. इस तरीके के आयोजन न सिर्फ प्रोफेशनल राइडरों के लिए अच्छे हैं, बल्कि समाज में भी साइकलिंग जैसे खेल को बढ़ावा देते हैं.
इस साइकिल रेस को आठ स्टेज में बांटा गया है. हर दिन राइडर करीब 70-80 किलोमीटर का मुश्किल सफर तय कर रहे हैं. हिमाचल की हसीन वादियों में साइकिल का सफर आसान नहीं है, लेकिन इसमें भाग लेने वालों को इसकी फिक्र नहीं है. इस रेस में शामिल भारतीय राइडर हर सीज़न के साथ बेहतर हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय राइडरों से मुकाबला करके इनके खेल में सुधार हो रहा है.

युवा भारतीय राइडरों के लिए यह अनुभव कभी न भूलने वाला है. हर सीज़न के साथ उनका प्रदर्शन सुधर रहा है और विदेशों में भी ले जाकर उनके स्तर को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इस रेस का आयोजन कराने वाली संस्था हस्तपा के अध्यक्ष मोहित सूद का कहना है कि 'हमारा उद्देश्य हिमाचल में होने वाली इस रेस को दुनिया में पहचान दिलाना है. हर साल रेस की लोकप्रियता बढ़ रही है और वह दिन दूर नहीं जब भारत से कोई चैंपियन निकलेगा. हमारा उद्देश्य देश में माउंटेन साइकलिंग को बढ़ावा देना है.'

हर दिन के अंत में राइडर स्थानीय लोगों से मिलते हैं और यहां की संस्कृति से भी वाकिफ होते हैं. इस तरीके के आयोजन न सिर्फ प्रोफेशनल राइडरों के लिए अच्छे हैं, बल्कि समाज में भी साइकलिंग जैसे खेल को बढ़ावा देते हैं.
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