प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
वर्ष 1900 में आयोजित पेरिस ओलिंपिक में पहली बार क्रिकेट को खेल के रूप में शामिल किया गया। उसमें शुरुआत में बेल्जियम, फ्रांस, ब्रिटेन और नीदरलैंड्स की टीमों ने टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए हामी भरी लेकिन बाद में बेल्जियम और नीदरलैंड्स के प्रतिस्पर्द्धा से बाहर होने के कारण केवल ब्रिटेन और फ्रांस की टीमें ही बचीं। हालांकि इन टीमों का चयन संबंधित देशों ने राष्ट्रीय स्तर पर नहीं किया था और क्लब स्तर की टीमों ने ही शिरकत की थी। लिहाजा इन दोनों देशों की टीमों के बीच दो दिन का केवल एक मैच खेला गया।
दो दिन का मैच
पहली पारी में ब्रिटेन ने 117 रन बनाए और फ्रांस को महज 78 रनों पर आउट कर दिया। दूसरी पारी में ब्रिटेन ने 145 रन बनाकर फ्रांस को कुल 185 रन का लक्ष्य दिया। फ्रांस केवल 26 रन बनाकर आउट हो गया और ब्रिटेन ने वह मैच 158 रनों से जीता लेकिन पूरी टीम को आउट करने में अंग्रेजों को पसीना आ गया। दूसरे दिन मैच खत्म होने के महज पांच मिनट पहले वे मैच जीतने में कामयाब हो पाए। उस मैच को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी ने 1912 में मान्यता दी और ब्रिटेन को गोल्ड और फ्रांस को रजत पदक दिया गया।
वास्तव में उस मैच की अनोखी बात यह थी कि दोनों टीमों को यह अहसास नहीं था कि वे ओलिंपिक खेलों का हिस्सा हैं क्योंकि उनके मैच को वैश्विक मेले के अंतर्गत प्रचारित किया गया था। स्थानीय मीडिया में भी उसे कोई तवज्जो नहीं दी गई। पर्याप्त इंट्री नहीं मिलने के कारण उसके बाद से क्रिकेट को कभी ओलिंपिक में शामिल नहीं किया गया।
अनोखा रिकॉर्ड
1900 के पेरिस ओलिंपिक इतिहास के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। वह एकमात्र ऐसा ओलिंपिक आयोजन था जिसमें जीवित कबूतरों को शूटिंग स्पर्द्धाओं में लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया।
दो दिन का मैच
पहली पारी में ब्रिटेन ने 117 रन बनाए और फ्रांस को महज 78 रनों पर आउट कर दिया। दूसरी पारी में ब्रिटेन ने 145 रन बनाकर फ्रांस को कुल 185 रन का लक्ष्य दिया। फ्रांस केवल 26 रन बनाकर आउट हो गया और ब्रिटेन ने वह मैच 158 रनों से जीता लेकिन पूरी टीम को आउट करने में अंग्रेजों को पसीना आ गया। दूसरे दिन मैच खत्म होने के महज पांच मिनट पहले वे मैच जीतने में कामयाब हो पाए। उस मैच को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी ने 1912 में मान्यता दी और ब्रिटेन को गोल्ड और फ्रांस को रजत पदक दिया गया।
वास्तव में उस मैच की अनोखी बात यह थी कि दोनों टीमों को यह अहसास नहीं था कि वे ओलिंपिक खेलों का हिस्सा हैं क्योंकि उनके मैच को वैश्विक मेले के अंतर्गत प्रचारित किया गया था। स्थानीय मीडिया में भी उसे कोई तवज्जो नहीं दी गई। पर्याप्त इंट्री नहीं मिलने के कारण उसके बाद से क्रिकेट को कभी ओलिंपिक में शामिल नहीं किया गया।
अनोखा रिकॉर्ड
1900 के पेरिस ओलिंपिक इतिहास के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। वह एकमात्र ऐसा ओलिंपिक आयोजन था जिसमें जीवित कबूतरों को शूटिंग स्पर्द्धाओं में लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया।
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