महाराष्ट्र की सियासत में खींचतान का जो दौर जारी
महाराष्ट्र:
शिवसेना की कमान ठाकरे परिवार के हाथों से चली गई है. लगभग 57 साल में यह पहली बार हुआ है. निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को 'असली शिवसेना' के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण’ भी उसे आवंटित कर दिया था. हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अभी तक हार नहीं मानी है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आइए आपको बताते हैं, इस मुद्दे से जुड़ी बढ़ी बातें...!
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
शिवसेना की स्थापना 19 जून 1966 को बालासाहेब ठाकरे ने की थी. तब से अब तक ये पहला मौका है, जब पार्टी की कमान ठाकरे परिवार से बाहर गई है.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने अब चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका दायर की है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने शनिवार को एक कैविएट दायर की है. इसमें मांग की गई है कि ठाकरे की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले उन्हें सुना जाए.
एकनाथ शिंदे ने कहा था कि चुनाव आयोग का फैसला सच्चाई की जीत. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि चुनाव आयोग के आदेश ने अपने फैसले में कई संवैधानिक पहलुओं पर विचार नहीं किया.
शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट के पास जाने के बाद, पार्टी कार्यालयों के नियंत्रण को लेकर राज्य में नई जंग छिड़ सकती है। शिवसेना की मुंबई में 227 शाखाएं हैं.