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बैठक में दो सांसद आपस में भिड़े, BAP विधायक ने बीजेपी सांसद से कहा- 'लड़ना है तो बाहर आ जाओ'

जिला परिषद के ईडीपी सभागार में हुई बैठक में बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत, उनकी पार्टी के आसपुर सीट से विधायक उमेश डामोर तथा उदयपुर से भाजपा सांसद मन्नालाल रावत हिस्सा ले रहे थे.

बैठक में दो सांसद आपस में भिड़े, BAP विधायक ने बीजेपी सांसद से कहा- 'लड़ना है तो बाहर आ जाओ'
राजस्थान में दो सांसदों के बीच टकराव
राजस्थान:

डूंगरपुर में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (DISHA) की एक बैठक में दो सांसदों की नोकझोंक की वजह से जमकर हंगामा हुआ. वहीं अब दो पार्टियों के सांसदों के बीच तू-तू मैं-मैं सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.  सोमवार (29 दिसंबर) को जिला परिषद के ईडीपी सभागार में हुई बैठक में बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत, उनकी पार्टी के आसपुर सीट से विधायक उमेश डामोर तथा उदयपुर से भाजपा सांसद मन्नालाल रावत हिस्सा ले रहे थे. लेकिन बैठक के दौरान ही वहां नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई और माहौल इतना गरमा गया कि सुरक्षाकर्मियों को बीच में आकर बीच बचाव करना पड़ा. इसी बहस के दौरान बीएपी विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल रावत को धमकी दे डाली.

बैठक की शुरुआत में बीएपी सांसद राजकुमार रोत अपनी बात रख रहे थे. लेकिन उस एजेंडे से हटकर वह राज्य सरकार के मुद्दे उठाने लगे. इस बात पर बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत ने आपत्ति की और एजेंडे के अनुसार केंद्र सरकार की योजनाओं के मुद्दे रखने की बात कहने लगे. इसी बात पर रोत और रावत के बीच बहस शुरू हो गई. रोत ने कहा,"बैठक का अध्यक्ष मैं हूं और यहां क्षेत्र की हर उस समस्या पर चर्चा हो सकती है जो जनता से जुड़ी है." बहस तब और बढ़ गई जब रोत ने आरोप लगाया कि मन्नालाल रावत केवल माहौल खराब करने आए हैं और वे डूंगरपुर का विकास नहीं चाहते.

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आसपुर विधायक ने कहा लड़ना है तो बाहर जाओ

लेकिन विवाद और बढ़ने लगा. मन्नालाल रावत ने जब खुद को 'धमकाया जाने वाला निर्वाचित जनप्रतिनिधि' बताया, तो आसपुर विधायक उमेश डामोर भी इस बहस में कूद पड़े. विधायक डामोर और सांसद रावत के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि विधायक उमेश डामोर ने सांसद मन्नालाल को धमकी दे डाली और कहा कि अगर 'लड़ाई करनी है तो बाहर आ जाओ'.

करीब 15 मिनट तक चले इस हाई-वोल्टेज ड्रामे के कारण बैठक का माहौल पूरी तरह गरमा गया. इससे सुरक्षाकर्मियों को बीच में आकर बचाव करना पड़ा. सदन में मौजूद अन्य सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों पक्षों को शांत कराया. बीच-बचाव के बाद ही बैठक की कार्यवाही दोबारा सुचारू रूप से शुरू हो सकी.

सांसदों के बीच टकराव की असल वजह

हालांकि दोनों भारतीय आदिवासी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का जो टकराव देखने को मिला उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि है आदिवासी वोट बैंक को लेकर खींच तान. आदिवासी क्षेत्र में वन वासी कल्याण परिषद् ने सालों से काम किया है इस मक़सद से की बांसवाड़ा डूंगरपुर और उदयपुर के आदिवासी भील इलाक़ों में इस अहम मतदाता को बड़े हिन्दू पहचान  में समां लें, और इसके राजनीतिक फयदा भी भाजपा को मिलने लगा की एक दम से भारतीय आदिवासी पार्टी के एंट्री मारने से समीकरण कुछ बिगड़ गए.

दक्षिण राजस्थान के आदिवासी अंचल में भारतीय आदिवासी पार्टी का उदय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक आंदोलन के रूप में हुआ है. यह पार्टी आदिवासी समाज की आवाज़ बनकर उभरी है और  पिछले पाँच वर्षों में भारतीय आदिवासी पार्टी ने अपना वोट शेयर दोगुना कर लिया है, जो क्षेत्र में बढ़ते जन समर्थन का संकेत है. जाहिर है भारतीय आदिवासी पार्टी दोनों कांग्रेस और भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है.

बढ़ रही बाप की ताकत

2018  में जब बाप बीटीपी कहलाती थी तब उनको 0.72 प्रतिशतवोट आये थे , और 2023 में उनको 2.33 प्रतिशत वोट आए जो पहले से तीन गुना ज्यादा है. 2018 के बाद BTP से अलग होकर राजकुमार रोत के नेतृत्व में BAP पार्टी बनी. 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय आदिवासी पार्टी ने आदिवासी अंचल में 27 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से 3 विधानसभा सीटें जीतने में सफलता पाई. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की और एक सांसद (लोकसभा सदस्य) चुना गया, जो आदिवासी मतदाताओं के बीच इसके समर्थन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है.

पांच वर्षों में पार्टी ने अपना वोट शेयर दोगुना करने के साथ-साथ राजस्थान की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की है और जनसमर्थन बढ़ाया है, विशेषकर युवा आदिवासी मतदाताओं के बीच और ट्राइबल पहचान की ये पार्टी अब दोनों भाजपा और कांग्रेस के लिए राजनीतिक परेशानी बन चुकी है. सोमवार को जिला कलेक्टर के सामने हुई ये तीखे नोकझोंक शायद उसी का प्रतीक है.

बता दें, उदयपुर चुनाव के दौरान मन्ना लाल रावत ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि भारतीय आदिवासी पार्टी अभी बच्चा ही है. इससे बाप बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.लेकिन लगता है बाप... बाप बनने चला है.

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