- पंजाब के संगरूर में रोडवेज बस कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान विरोध प्रदर्शन हिंसक
- पुलिस ने हड़ताली कर्मचारियों को हटाने और गिरफ्तार करने की कोशिश की
- हड़ताल के कारण पंजाब के सभी 27 डिपो में लगभग तीन हजार बसें बंद हो गईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हुई
पंजाब के संगरूर में रोडवेज बस कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान विरोध प्रदर्शन अचानक से हिंसक हो गया. हड़ताली कर्मचारियों ने गिरफ्तारी की कोशिश के बीच अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने का भी प्रयास किया. सुबह से ही कर्मचारी बसों की छतों पर पेट्रोल की बोतलें लेकर बैठे थे. जैसे ही पुलिस ने उन्हें हटाने और गिरफ्तार करने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर तेल छिड़क लिया और आग लगाने की कोशिश की.

एक पुलिसकर्मी भी झुलसा
एक पुलिसकर्मी भी आग की चपेट में आकर झुलस गया. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद आग बुझाई और स्थिति को नियंत्रित किया. हड़ताल के चलते इलाके में तनाव का माहौल है और प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं, फिलहाल माहौल को काबू करने की कोशिश की जा रही है. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल करते देखा जा सकता है.

क्यों हड़ताल पर रोडवेज कर्मचारी
पंजाब रोडवेज, Punbus और Pepsu रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (PRTC) के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने शुक्रवार को हड़ताल कर दी, जिससे राज्यभर में बस सेवाएं ठप हो गईं. ये हड़ताल तब शुरू हुई जब पुलिस ने किलोमीटर स्कीम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कई यूनियन नेताओं को हिरासत में ले लिया. इस स्कीम के तहत निजी ऑपरेटरों को सरकारी रूट पर बसें चलाने की अनुमति दी जाती है, जिसका कर्मचारी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं.

3,000 से ज्यादा बसें सड़कों से गायब
हड़ताल के चलते पंजाब रोडवेज के सभी 27 डिपो में सेवाएं प्रभावित हुईं. करीब 8,000 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी इस विरोध में शामिल हो रहे हैं. राज्यभर में 3,000 से अधिक बसें सड़कों से हट गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. महिलाओं के लिए रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा भी बाधित हो रही है, जिस वजह से मुसाफिरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पंजाब के पटियाला, लुधियाना, जालंधर, मोगा, अमृतसर और फिरोजपुर समेत कई शहरों में यात्रियों को निजी बसों और टैक्सियों का सहारा लेना पड़ा, इससे उनकी यात्रा खर्च बढ़ गया. इंटर-स्टेट और इन्ट्रा-स्टेट दोनों रूट प्रभावित हुए.

किलोमीटर स्कीम पर विवाद
कर्मचारियों का आरोप है कि किलोमीटर स्कीम भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और सरकारी परिवहन व्यवस्था को कमजोर करती है. यूनियन नेताओं ने इसे "बैकडोर प्राइवेटाइजेशन" करार दिया और चेतावनी दी कि इससे सरकारी नौकरियां खत्म होंगी, बेरोजगारी बढ़ेगी और यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में प्रदर्शन हिंसक हो गया, जब हड़ताली कर्मचारियों ने बसों की छतों पर चढ़कर पेट्रोल की बोतलें लहराईं और आत्मदाह की धमकी दी. पुलिस ने हस्तक्षेप कर आग लगाने की कोशिश को नाकाम किया.
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