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एक तरफ बाढ़, दूसरी तरफ बढ़ा हुआ जीएसटी, लुधियाना के व्यापारी हुए परेशान

लुधियाना के लिए समस्या उसकी भौगोलिक स्थिति भी है, क्योंकि आस-पास कोई बंदरगाह नहीं है, जिससे सामान विदेश भेजा जा सके.

एक तरफ बाढ़, दूसरी तरफ बढ़ा हुआ जीएसटी, लुधियाना के व्यापारी हुए परेशान

जीएसटी रिफॉर्म से जहां कई सेक्टर्स को बड़ा फायदा हुआ है, वहीं कुछ ऐसी इंडस्ट्री हैं, जहां इस बदलाव से बड़ा झटका लगा है. दरअसल भारत सरकार ने जैसे ही जीएसटी के नए स्लैब लागू किए, वैसे ही लुधियाना में मानो परेशानियां बढ़ गईं. एनडीटीवी ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में जाना कि आखिर क्यों लुधियाना के व्यापारी परेशान हो रहे हैं.

2500 रुपये से ऊपर लगा 18% जीएसटी

लुधियाना के ऊन और कपड़े के उद्योग के लिए एक और जहां बाढ़ की मार है तो वहीं दूसरी तरफ जीएसटी का वार है. दरअसल सरकार ने हाल ही में चार स्लैब की जगह दो स्लैब कर दिए हैं. ऊन और कपड़े के उद्योग पर पहले 12% का टैक्स लगता था, लेकिन अब इसे 5% और 18% के दायर में ला दिया गया है. समस्या ये है कि जो भी सामान 2,500 रुपये से ज्यादा का होगा, उस पर 18% जीएसटी लगेगा, जबकि उससे कम पर 5% टैक्स लगेगा. 

'सारा पैसा हमें देना पड़ेगा'

वियर क्लब एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद के थापर ने कहा, "जीएसटी की वजह से हमें बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. क्योंकि हमारे पास 5% और 12% का टैक्स लगता था, पर अब 12% से 18% हो गया है, जिसका मतलब है कि यह 13% बढ़ गया. ये सारा पैसा हमें देना पड़ेगा. प्रधानमंत्री को भी चिट्ठी लिखी है और हमने उनसे समय मांगा है कि, हम इस नए जीएसटी के साथ काम नहीं कर सकते क्योंकि ये सारा पैसा हमारी जेब से जाएगा."

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से कच्चा माल हुआ महंगा

लुधियाना के लिए समस्या उसकी भौगोलिक स्थिति भी है, क्योंकि आस-पास कोई बंदरगाह नहीं है, जिससे सामान विदेश भेजा जा सके. इसलिए देश में ही अपना वर्चस्व स्थापित करने की लुधियाना की कवायद आज भी जारी है. कच्चे माल में महंगाई का असर हुआ है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से आने वाला माल पिछले 2 सालों में 20 फीसदी तक महंगा हो गया है. 

लुधियाना के ऊन व्यापार पर बाढ़ ने फेरा पानी

विनोद के थापर ने आगे बताया कि, "देश में जितने भी ऊनी कपड़े बनते हैं, उसमें से 90 फीसदी लुधियाना में ही बनते हैं. लुधियाना के लिए इस समय सबसे बड़ी चुनौती है कि बाढ़ की वजह से उत्तर भारत में सारे रास्ते कट गए हैं और उनके अधिकतर खरीदार वहीं से आते हैं. तो नुकसान कुछ दिनों का नहीं, कई महीनों से हो रहा है. पहलगाम हमले में लगी धंधे को चोट अब मौसम की मार ने और गहरी कर दी है." बता दें कि लुधियाना को देश का “वुडन कैपिटल” कहा जाता है, लेकिन बाढ़ से जूझ रहे पंजाब में यहां के व्यापारी और कारोबारी भी परेशान हैं.

अब चिंता इस बात कि है कि, अगर जीएसटी को इसी तरह बढ़ाया गया तो ये दोहरी मार से भी ज्यादा खराब स्थिति पैदा कर देगी. लुधियाना में करीब 14,000 यूनिट हैं, जो इससे सीधे जुड़ी हैं और यही काम करती हैं. करीब 5 लाख लोग हैं, जो सीधे तौर पर इस धंधे से जुड़े हैं. सालाना 17,000 का टर्नओवर है, ये पिछले 2 साल में बेहतर नहीं हुआ है, इसमें 2,000 करोड़ रुपये निर्यात से आते हैं. बाकी 15,000 करोड़ रुपया देश में ही बिक्री से आता है.

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