![किसानों के खिलाफ पराली जलाने और कृषि कानून के विरोध संबंधी सभी केस रद्द करेगी पंजाब सरकार किसानों के खिलाफ पराली जलाने और कृषि कानून के विरोध संबंधी सभी केस रद्द करेगी पंजाब सरकार](https://c.ndtvimg.com/2021-09/ahf7a7ck_charanjit-singh-channitwitter650_625x300_20_September_21.jpg?downsize=773:435)
Punjab: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi)ने बुधवार को कहा कि पराली जलाने और केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के संबंध में किसानों पर दर्ज सभी केस रद्द लिए जाएंगे. उन्होंने कहा, 'हमचाहते हैं कि कोई किसान पराली नहीं जलाए. हम इस पर सख्त रुख अपनाएंगे लेकिन पराली जलाने सेसंबंधित अब तक के केसों को रद्द किया जा रहा है. मैं उनसे ( किसानों से) पराली नहीं जलाने की अपील करता हं क्योंकि इससे प्रदूषण फैलता है. किसानों पर दर्ज किए जा रहे सभी केसों को रद्द किया जा रहा है. 'सीएम चन्नी ने किसानों से भविष्य में पराली जलाने से बचने की भी अपील की. उन्होंने कहा, 'यह पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरनाक है. इसके साथ ही यह जमीन की उर्वरता को भी एक हद तक प्रभावित करता है. '
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यह फैसला चन्नी की संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)की 32 यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ पंजाब भवन में कल हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया. उनकी मांग को स्वीकार करते मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि वे जल्द ही किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से जल्दी ही मिलकर मिलकर केस को वापस लेने का ऐलान करेंगे. इसके साथ ही सीएम ने कपास की फसल के नुकसान के लिए मुआवजे की रकम को 12,000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 17,000 रुपये प्रति एकड़ करने के अपनी सरकार के फैसले की भी घोषणा की.चन्नी का यह ऐलान पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं के बीच आया है और इस सीजन में इस तरह की 69,000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं. सीएम चन्नी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम चाहते हैं कि राज्य में पंजाब के युवाओं को ही नौकरियां मिलें.इसके लिए हम एक सप्ताह के भीतर नया कानून लाएंगे.'यह 15 जनवरी, 2022 से लागू होगा. हरियाणा सरकार पहले ही राज्य के लोगों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला कानून बना चुकी है.
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बाद में, पराली जलाने के मुद्दे पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के फैसले को लागू किया जाना चाहिए जिसमें 2.50 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को फसलों के अवशेष के प्रबंधन के लिए निःशुल्क कृषि मशीनरी दी जानी चाहिए.मुख्यमंत्री चन्नी ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के शोक संतप्त परिवारों के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार पहले ही 152 पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी दे चुकी है. इसके अलावा उनमें से प्रत्येक को पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है. (भाषा से भी इनपुट)
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