
सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
चुनाव के करीब आने के साथ-साथ भाजपा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की अगुवाई वाली सरकार में अपने भविष्य को लेकर भले ही अनिश्चितता की स्थिति में हो लेकिन उसे शिअद अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की राजनीतिक होशियारी और चुनाव प्रबंधन से प्रतिद्वन्द्वियों को चौंकाने की कला पर पूरा भरोसा है.
भाजपा के एक शीर्ष नेता ने बताया ‘‘उन्हें (सुखबीर को) पूरा विश्वास है और हमें उन पर भरोसा है. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हमारी सफलता को लेकर कुछ संदेह थे लेकिन उन्हें (सुखबीर को) पूरा विश्वास था और वह सही साबित हुए जबकि मतगणना शुरू होने से पहले कांग्रेस जश्न मना रही थी. वह कुशल राजनीतिज्ञ हैं.’’ शिअद भाजपा गठबंधन वर्ष 2012 में तमाम बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए सत्ता में आया था और भाजपा की तुलना में अकालियों का प्रदर्शन बेहतर रहा. इस आकस्मिक सफलता का श्रेय सुखबीर के चुनाव प्रबंधन कौशल को दिया गया जिन्होंने शिअद की चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभाई और उनके पिता तथा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बाद इससे दूर ही रहे.
राज्य में कांग्रेस एक दशक से सत्ता से बाहर है और अपनी वापसी के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है. आम आदमी पार्टी भी एक ताकत के रूप में उभर रही है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विषमताएं राजग पर भारी पड़ रही हैं.
भाजपा सूत्रों का मानना है कि विपक्षी दलों, खास कर आम आदमी पार्टी का ‘‘तेज’’ चुनाव प्रचार प्रभाव डाल सकता है लेकिन उन्हें बादल सरकार के विकास कार्यों तथा त्रिपक्षीय मुकाबले में मतों के बंटवारे के चलते पुन: सत्ता हासिल होने की उम्मीद है. आप राज्य में ड्रग और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बादल सरकार को निशाना बना रही है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भाजपा के एक शीर्ष नेता ने बताया ‘‘उन्हें (सुखबीर को) पूरा विश्वास है और हमें उन पर भरोसा है. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हमारी सफलता को लेकर कुछ संदेह थे लेकिन उन्हें (सुखबीर को) पूरा विश्वास था और वह सही साबित हुए जबकि मतगणना शुरू होने से पहले कांग्रेस जश्न मना रही थी. वह कुशल राजनीतिज्ञ हैं.’’ शिअद भाजपा गठबंधन वर्ष 2012 में तमाम बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए सत्ता में आया था और भाजपा की तुलना में अकालियों का प्रदर्शन बेहतर रहा. इस आकस्मिक सफलता का श्रेय सुखबीर के चुनाव प्रबंधन कौशल को दिया गया जिन्होंने शिअद की चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभाई और उनके पिता तथा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बाद इससे दूर ही रहे.
राज्य में कांग्रेस एक दशक से सत्ता से बाहर है और अपनी वापसी के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है. आम आदमी पार्टी भी एक ताकत के रूप में उभर रही है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विषमताएं राजग पर भारी पड़ रही हैं.
भाजपा सूत्रों का मानना है कि विपक्षी दलों, खास कर आम आदमी पार्टी का ‘‘तेज’’ चुनाव प्रचार प्रभाव डाल सकता है लेकिन उन्हें बादल सरकार के विकास कार्यों तथा त्रिपक्षीय मुकाबले में मतों के बंटवारे के चलते पुन: सत्ता हासिल होने की उम्मीद है. आप राज्य में ड्रग और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बादल सरकार को निशाना बना रही है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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