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This Article is From Aug 29, 2018

माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में हाउस अरेस्ट सुधा भारद्वाज ने सरकार पर साधा निशाना, दिया यह बयान...

सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ बोलने वाले और दलितों एवं आदिवासियों के लिए लड़ने वाले लोगों को 'मौजूदा सरकार' निशाना बना रही है.

माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में हाउस अरेस्ट सुधा भारद्वाज ने सरकार पर साधा निशाना, दिया यह बयान...
सुधा भारद्वाज ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ बोलने वाले को 'मौजूदा सरकार' निशाना बना रही है.
नई दिल्ली: माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में गिरफ्तार ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj)  ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ बोलने वाले और दलितों एवं आदिवासियों के लिए लड़ने वाले लोगों को 'मौजूदा सरकार' निशाना बना रही है. कई शहरों में कल की गई छापेमारी की कार्रवाई में भारद्वाज और कई अन्य वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.

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भारद्वाज को फरीदाबाद में उनके आवास पर पुलिस अधिकारियों की निगरानी में रखा गया है और उन्हें केवल उनके वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जो भी वर्तमान शासन के खिलाफ है, चाहे वह दलित अधिकारों, जनजातीय अधिकारों या मानवाधिकारों की बात हो, विरोध में आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ इसी तरह व्यवहार किया जा रहा है.'

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उन्होंने कहा, 'मेरा मोबाइल, लैपटॉप और पेन ड्राइव जब्त कर लिए गए हैं. मेरे जीमेल और ट्विटर अकाउंट के पासवर्ड भी ले लिए गए हैं' कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये छापे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला हैं और आपातकाल की यादें ताजा करते हैं. उनकी बेटी अनु भारद्वाज ने कहा, 'दस लोग थे. उनमें से हरियाणा पुलिस से केवल एक महिला कांस्टेबल थी. अन्य महाराष्ट्र पुलिस से थे. जब मां ने उनसे तलाशी वारंट दिखाने को कहा तो उन्होंने कहा कि वारंट उनके पास नहीं है.'

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उन्होंने कहा, 'उनके पास कुछ अन्य दस्तावेज थे. इसलिए मां ने उन्हें अंदर आने की अनुमति दी. मुझे आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन मां ने कहा कि वे पुणे में गिरफ्तारियों के सिलसिले में आये हैं.' महाराष्ट्र पुलिस ने माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में दिल्ली समेत कई राज्यों में कई स्थानों पर कुछ लोगों के घरों में छापेमारी की थी. पिछले साल 31 दिसंबर को 'एल्गार परिषद' के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गये थे. 

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कौन हैं सुधा भारद्वाज
सुधा भारद्वाज छत्तीसगढ़ में अपने काम के लिए जानी-पहचानी जाती हैं. वह 29 साल तक वहां रही हैं और दिवंगत शंकर गुहा नियोगी के छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की सदस्य के तौर पर भिलाई में खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ चुकी हैं. आईआईटी कानपुर की छात्रा होने के दौरान पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में बिताए दिनों में श्रमिकों की दयनीय स्थिति देखने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथ 1986 में काम करना शुरू किया था. नागरिक अधिकार कार्यकर्ता एवं वकील सुधा जमीन अधिग्रहण के खिलाफ भी लड़ाई लड़ती रही हैं और वह अभी पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की छत्तीसगढ़ इकाई की महासचिव हैं.

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