उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटो के लिए हो रहे चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भले ही गठबंधन हो, लेकिन कुछ ऐसी सीटें भी है जहां दोनों पार्टियां आमने-सामने हैं. अमेठी सीट भी उनमें से एक है, जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जहां कांग्रेस ने अमेठी को अपनी परंपरागत सीट होने का दावा करते हुए अमिता सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने सीटिंग एमएलए गायत्री प्रजापति को टिकट दिया है. गायत्री प्रजापति को सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज कराने का निर्देश दिया.
2012 के विधानसभा चुनावों में गायत्री प्रजापति पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़े और कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे. इस जीत के बाद ही गायत्री प्रजापति आगे बढ़ते गए और राजनीति में कभी भी पिछे मुड़कर नहीं देखा. कांग्रेस के गढ़ अमेठी में अमिता सिंह को हराने के बाद गायत्री प्रजापति मुलायम सिंह के काफी करीबियों में शामिल हो गए और अखिलेश सरकार में मंत्री बनाए गए. 2012 में गायत्री प्रजापति को सिंचाई विभाग का जिम्मा मिला इसके अलावा उन्हें खनन मंत्रालय का भी स्वतंत्र प्रभार दिया गया. इसके बाद 2014 में समाजवादी पार्टी ने पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए गायत्री प्रजापति को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया.
यूपी में मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रजापति का कद तो बढ़ता गया, लेकिन इसके साथ उनके विवादों की लिस्ट भी लंबी होती गई. 2015 में आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ अभियान छेड़ दिया और उनके खिलाफ लोकायुक्त के पास तीन मामले दर्ज कराए गए. गायत्री प्रजापति पर आरोप लगा कि उन्होंने अवैध खनन के जरिए आय से अधिक संपत्ति जमा की, लेकिन सबूत के अभाव में यक केस बंद हो गया. इसके बाद 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए यह पता लगाने को कहा कि अवैध खनन हुआ है या नहीं. जिसके बाद अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को कैबिनेट से निष्कासित कर दिया. हालांकि मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद उन्हें फिर से कैबिनेट में वापस ले लिया गया.
2012 के विधानसभा चुनावों में गायत्री प्रजापति पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर अमेठी से चुनाव लड़े और कांग्रेस की अमिता सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे. इस जीत के बाद ही गायत्री प्रजापति आगे बढ़ते गए और राजनीति में कभी भी पिछे मुड़कर नहीं देखा. कांग्रेस के गढ़ अमेठी में अमिता सिंह को हराने के बाद गायत्री प्रजापति मुलायम सिंह के काफी करीबियों में शामिल हो गए और अखिलेश सरकार में मंत्री बनाए गए. 2012 में गायत्री प्रजापति को सिंचाई विभाग का जिम्मा मिला इसके अलावा उन्हें खनन मंत्रालय का भी स्वतंत्र प्रभार दिया गया. इसके बाद 2014 में समाजवादी पार्टी ने पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए गायत्री प्रजापति को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया.
यूपी में मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रजापति का कद तो बढ़ता गया, लेकिन इसके साथ उनके विवादों की लिस्ट भी लंबी होती गई. 2015 में आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ अभियान छेड़ दिया और उनके खिलाफ लोकायुक्त के पास तीन मामले दर्ज कराए गए. गायत्री प्रजापति पर आरोप लगा कि उन्होंने अवैध खनन के जरिए आय से अधिक संपत्ति जमा की, लेकिन सबूत के अभाव में यक केस बंद हो गया. इसके बाद 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए यह पता लगाने को कहा कि अवैध खनन हुआ है या नहीं. जिसके बाद अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को कैबिनेट से निष्कासित कर दिया. हालांकि मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद उन्हें फिर से कैबिनेट में वापस ले लिया गया.
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