भारतीय नौसेना का तरंगिनी जहाज
नई दिल्ली:
भारतीय नौसेना और ओमान की रॉयल नौसेना, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने पर दोनों की नौसेना की प्रशिक्षण पोत मस्कट से कोच्चि की यात्रा पर निकल चुकी हैं। इसका मकसद तो मसालों के पुराने मार्ग को याद करना है लेकिन इसी बहाने भारत की कोशिश हिंद महासागर पर अपने रसूख को बढ़ाना है। भारत का तरंगिनी और ओमान का शबाब ओमान 10 दिनों के लिए करीब 2880 किलोमीटर लंबे सफर पर निकल चुका है।
प्रोजेक्ट मौसम के तहत इस पुराने आर्थिक और सांस्कृतिक समुद्री रास्ते को पुर्नजीवित करने का प्रयास है। ये चीन के दक्षिण पूर्वी एशिया और मध्य एशिया में बढ़ते रणनीतिक, आर्थिक प्रभाव को रोकने में असरदार हो सकता है।
पुराने जमाने में समंदर में सफर मौसमी हवाओं के मुताबिक ही होता था और इन मौसमी हवाओं को अरबी में ‘मौसम’ कहा जाता है। भारत से मसालों और कपड़ों तथा ओमान से खजूर और सोने के फलते-फूलते व्यापार से दोनों सभ्यताएं फली-फूलीं और अनेक शताब्दियों से दोनों देशों की सभ्यता और व्यापारिक संबंधों में बढ़ोतरी हुई। उसके बाद से पांच लाख से भी अधिक भारतीयों ने ओमान में अपने घर बसाए जिससे दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत हुए।
भारतीय नौवहन प्रशिक्षण जहाज तरंगिनी 22 नवंबर, 2015 को मस्कट पहुंच गया। आयोजन की भावना के अनुरूप ओमान की वायुसेना के कैडिटों और युवा अधिकारियों को भारतीय नौवहन प्रशिक्षण पोत में और भारतीय नौसेना के कुछ अधिकारियों और कैडिटों को एसटीएस शबाब ओमान में मस्कट से कोच्चि तक साथ-साथ नौवहन के दौरान यात्रा करने का मौका मिलेगा।
कोच्चि में जब दोनों प्रशिक्षण जहाज आयेंगे तो 4 से 7 दिसंबर तक भव्य स्वागत और जोरदार समापन समारोह आयोजित होगा। इससे दोनों देशों के दरमियान राजनयिक और समुद्री संबंध मज़बूत होंगे।
प्रोजेक्ट मौसम के तहत इस पुराने आर्थिक और सांस्कृतिक समुद्री रास्ते को पुर्नजीवित करने का प्रयास है। ये चीन के दक्षिण पूर्वी एशिया और मध्य एशिया में बढ़ते रणनीतिक, आर्थिक प्रभाव को रोकने में असरदार हो सकता है।
पुराने जमाने में समंदर में सफर मौसमी हवाओं के मुताबिक ही होता था और इन मौसमी हवाओं को अरबी में ‘मौसम’ कहा जाता है। भारत से मसालों और कपड़ों तथा ओमान से खजूर और सोने के फलते-फूलते व्यापार से दोनों सभ्यताएं फली-फूलीं और अनेक शताब्दियों से दोनों देशों की सभ्यता और व्यापारिक संबंधों में बढ़ोतरी हुई। उसके बाद से पांच लाख से भी अधिक भारतीयों ने ओमान में अपने घर बसाए जिससे दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत हुए।
भारतीय नौवहन प्रशिक्षण जहाज तरंगिनी 22 नवंबर, 2015 को मस्कट पहुंच गया। आयोजन की भावना के अनुरूप ओमान की वायुसेना के कैडिटों और युवा अधिकारियों को भारतीय नौवहन प्रशिक्षण पोत में और भारतीय नौसेना के कुछ अधिकारियों और कैडिटों को एसटीएस शबाब ओमान में मस्कट से कोच्चि तक साथ-साथ नौवहन के दौरान यात्रा करने का मौका मिलेगा।
कोच्चि में जब दोनों प्रशिक्षण जहाज आयेंगे तो 4 से 7 दिसंबर तक भव्य स्वागत और जोरदार समापन समारोह आयोजित होगा। इससे दोनों देशों के दरमियान राजनयिक और समुद्री संबंध मज़बूत होंगे।
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