बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
पटना:
बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण दो और विधान परिषद के सदस्यों की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है।
इन दोनों सदस्यों के नाम नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी हैं। ये फैसला, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सुनाया। इससे पूर्व भी एक और सदस्य, महाचन्द्र प्रसाद सिंह की सदस्यता जा चुकी है। महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। वहीं वुधवार को जिन दो सदस्यों की सदस्यता गई उनपर आरोप है कि न केवल जनता दल यूनाइटेड के सदस्य होने के बावजूद उन्होंने पार्टी विरोधी काम किया बल्कि खुलेआम पार्टी नेताओं, खासकर नीतीश कुमार की सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की।
नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी दोनों मांझी की पार्टी के स्टार प्रचारक थे और नरेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा में न केवल शामिल रहे बल्कि वहां सभा को भी संबोधित किया।
नरेंद्र सिंह, नीतीश कैबिनेट और बाद में मांझी कैबिनेट में वरिष्ठ सदस्य थे और पिछले साल जब नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब उसका उन्होंने खुलकर विरोध किया था। विधानसभा चुनावों में उनका एक बेटा बीजेपी की टिकट पर और दूसरा निर्दलीय मैदान में था और उन्होंने दोनों के लिए प्रचार किया था।
वहीं, सम्राट चौधरी पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने भाई और पिता शकुनि चौधरी दोनों के लिए प्रचार किया। हालांकि आज के फैसले के बाद इन तीनों सदस्य के पास पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का विकल्प है।
इन दोनों सदस्यों के नाम नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी हैं। ये फैसला, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सुनाया। इससे पूर्व भी एक और सदस्य, महाचन्द्र प्रसाद सिंह की सदस्यता जा चुकी है। महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। वहीं वुधवार को जिन दो सदस्यों की सदस्यता गई उनपर आरोप है कि न केवल जनता दल यूनाइटेड के सदस्य होने के बावजूद उन्होंने पार्टी विरोधी काम किया बल्कि खुलेआम पार्टी नेताओं, खासकर नीतीश कुमार की सार्वजनिक रूप से आलोचना भी की।
नरेंद्र सिंह और सम्राट चौधरी दोनों मांझी की पार्टी के स्टार प्रचारक थे और नरेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा में न केवल शामिल रहे बल्कि वहां सभा को भी संबोधित किया।
नरेंद्र सिंह, नीतीश कैबिनेट और बाद में मांझी कैबिनेट में वरिष्ठ सदस्य थे और पिछले साल जब नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तब उसका उन्होंने खुलकर विरोध किया था। विधानसभा चुनावों में उनका एक बेटा बीजेपी की टिकट पर और दूसरा निर्दलीय मैदान में था और उन्होंने दोनों के लिए प्रचार किया था।
वहीं, सम्राट चौधरी पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने भाई और पिता शकुनि चौधरी दोनों के लिए प्रचार किया। हालांकि आज के फैसले के बाद इन तीनों सदस्य के पास पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का विकल्प है।
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