शिमला:
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि शिमला शहर का नाम बदलने की सरकार की कोई योजना नहीं है। मुख्यमंत्री ने राजधानी में संवाददाताओं से कहा, 'शिमला तथा ब्रिटिश हुकूमत के नाम वाले जगहों का नाम नहीं बदला जाएगा।'
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तरफ से नाम बदलने की मांग आई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार द्वारा गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने के फैसले के बाद वीएचपी की हिमाचल इकाई ने मुख्यमंत्री से शिमला का नाम 'शेमालय' करने का अनुरोध किया है। दावा किया गया है कि 'शेमालय' ही इसका पुराना नाम है।
वीएचपी पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'कल वे यह भी कह सकते हैं कि वीरभद्र को अपना नाम बदल लेना चाहिए।' वीएचपी ने कहा कि शिमला में स्थित सरकारी अतिथिगृह पीटरहॉफ का नाम बदलकर वाल्मीकि भवन तथा डलहौजी टाउन का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा जाए। डलहौजी टाउन की स्थापना सन् 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने की थी।
पीटरहॉफ ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सातवें वायसराय का निवास स्थान था। बाद में इस इमारत का इस्तेमाल पंजाब हाईकोर्ट के रूप में किया गया, जहां महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई। सन् 1981 में यह राजभवन बन गया, इसी दौरान इसमें भीषण आग लग गई।
इसके बाद इसकी मरम्मत की गई। शिमला ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, 1864-1939 तक ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तरफ से नाम बदलने की मांग आई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार द्वारा गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने के फैसले के बाद वीएचपी की हिमाचल इकाई ने मुख्यमंत्री से शिमला का नाम 'शेमालय' करने का अनुरोध किया है। दावा किया गया है कि 'शेमालय' ही इसका पुराना नाम है।
वीएचपी पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'कल वे यह भी कह सकते हैं कि वीरभद्र को अपना नाम बदल लेना चाहिए।' वीएचपी ने कहा कि शिमला में स्थित सरकारी अतिथिगृह पीटरहॉफ का नाम बदलकर वाल्मीकि भवन तथा डलहौजी टाउन का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा जाए। डलहौजी टाउन की स्थापना सन् 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने की थी।
पीटरहॉफ ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सातवें वायसराय का निवास स्थान था। बाद में इस इमारत का इस्तेमाल पंजाब हाईकोर्ट के रूप में किया गया, जहां महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई। सन् 1981 में यह राजभवन बन गया, इसी दौरान इसमें भीषण आग लग गई।
इसके बाद इसकी मरम्मत की गई। शिमला ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, 1864-1939 तक ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा था।
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