विज्ञापन
This Article is From Mar 12, 2019

Lok Sabha Election 2019 में बीजेपी और कांग्रेस के लिए उत्तर-पूर्व में 'करो या मरो' जैसे हालात

कांग्रेस का 1952 से पूर्वोत्तर मजबूत गढ़ रहा है. वह 2014 में आठ सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस ने असम में तीन, मणिपुर में दो व अरुणाचल प्रदेश, मेघालय व मिजोरम प्रत्येक में एक-एक सीट पर विजय हासिल की थी.

Lok Sabha Election 2019 में बीजेपी और कांग्रेस के लिए उत्तर-पूर्व में 'करो या मरो' जैसे हालात
लोकसभा चुनाव 2019 : इस बार 7 चरणों में होगा चुनाव (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)   और कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में कम से कम 25 लोकसभा सीटें जीतना करो या मरो की स्थिति है. पूर्वोत्तर के कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि क्षेत्र के आठ राज्यों में या तो भाजपा का शासन है या इसके सहयोगियों का, ऐसे में भगवा पार्टी को इसका फायदा मिलेगा.  हालांकि, अन्य राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को लेकर कड़ा रुख भाजपा की लक्षित सीट संख्या जीतने की राह में मुश्किल पैदा कर सकता है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार पूर्वोत्तर क्षेत्र 4.55 करोड़ लोगों का घर है. असम के 14 सीटों के लिए 11, 18 और 23 अप्रैल को तीन चरणों में मतदान होगा. मणिपुर और त्रिपुरा प्रत्येक में दो-दो सीटे हैं, और यहां दो चरणों में 11 अप्रैल और 18 अप्रैल को मतदान होगा. मेघालय (दो सीटें), नागालैंड (एक), अरुणाचल प्रदेश (दो), मिजोरम (एक) और सिक्किम (एक) में 11 अप्रैल को मतदान होंगे.  साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों ने एक साथ मिलकर 11 सीटें जीती थी, जिसमें भाजपा को आठ सीटें मिली थीं. राजग के सहयोगियों में नागा पीपुल्स फ्रंट (एक सीट), मेघालय पीपुल्स पार्टी (एक सीट) व सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एक सीट) शामिल हैं। भाजपा ने असम में सात सीटें व अरुणाचल प्रदेश में एक सीट जीती थी. 

जिन 5 मुद्दों की वजह से हारी थी मनमोहन सरकार, क्या पीएम मोदी ढूंढ़ पाए उनका समाधान

कांग्रेस का 1952 से पूर्वोत्तर मजबूत गढ़ रहा है. वह 2014 में आठ सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस ने असम में तीन, मणिपुर में दो व अरुणाचल प्रदेश, मेघालय व मिजोरम प्रत्येक में एक-एक सीट पर विजय हासिल की थी. पांच साल पहले असम के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने तीन सीटें, जबकि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने त्रिपुरा में दो सीटें हासिल की थी. असम के कोकराझार निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार नबा कुमार सरानिया (हीरा) विजयी रहे थे. राजनीतिक विश्लेषक समुद्र गुप्ता कश्यप का मानना है कि पूर्वोत्तर का परिदृश्य भाजपा व उसके सहयोगियों के पक्ष में ज्यादा है. उन्होंने कहा, "हालांकि, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 ने भाजपा की समग्र छवि पर कुछ नकारात्मक प्रभाव डाला है. असम गण परिषद (एजीपी) ने दो महीने पहले विधेयक को लेकर भाजपा की अगुवाई वाला गठबंधन छोड़ दिया है. इस विधेयक से कुछ नुकसान हो सकता है."

राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव 

कश्यप ने आईएएनएस से कहा, "यही कारण है कि भाजपा ने क्षेत्रीय पार्टी के साथ अपने रास्ते फिर से खोले हैं. नागरिकता मुद्दे की वजह से समर्थकों में आई कमी को रोकने के लिए भाजपा को कुछ कार्य करने होंगे."उन्होंने कहा कि नेफियू रियो की नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (नागालैंड में), जोरामथंगा की मिजो नेशनल फ्रंट (मिजोरम में) ने स्पष्ट तौर पर नागालैंड व मिजोरम में भगवा पार्टी के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ने की बात कही है. कोनराड के. संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को मेघालय की दो सीटों में से एक पर साझेदारी के लिए राजी करना मुश्किल होगा. एनपीपी, नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलांयस (एनईडीए) का सदस्य है. कश्यप ने कहा कि कांग्रेस के लिए यह मुश्किल भरा समय होगा, जिसे भाजपा व उसके सहयोगियों ने बीते तीन सालों में क्षेत्र से सफाया कर दिया है. पूर्वोत्तर में 27-28 फीसदी आबादी वाले जनजातीय लोग पहाड़ी क्षेत्र की राजनीतिक में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.  मणिपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व राजनीतिक विश्लेषक चिंगलेन मैसनम के अनुसार, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 ने बीते दो महीनों में क्षेत्र के लोगों की मानसिकता बदल दी है. 

Lok Sabha Election 2019: जावेद अख्तर ने रमजान में वोटिंग पर कह डाली ये बात, वायरल हुआ Tweet

उन्होंने कहा, "नागरिकता विधेयक ने पूरी तरह से राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है." मैसनम ने कहा, "राज्य सरकारों के पास प्रवासियों व घुसपैठ के मुद्दों पर सीमित अधिकार हैं. मेघालय व पूर्वोत्तर के राज्यों ने इन मुद्दों से निपटने के लिए कानून बनाने की कोशिश की, लेकिन जब संवैधानिक जानकारों ने इस तरह के कदम के खिलाफ राय जाहिर की तो वे ऐसा करने से पीछे हट गए." मैसनम ने कहा कि नागा शांति वार्ता समझौते की सामग्री का अप्रकाशन व 7वें वेतन आयोग और कुछ अन्य स्थानीय मुद्दों की सिफारिशों के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी के लिए आंदोलन से भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ेगा और कांग्रेस को कुछ हद तक मदद मिलेगी. त्रिपुरा (सेंट्रल) विश्वविद्यालय के शिक्षक व राजनीतिक टिप्पणीकार सलीम शाह ने आईएएनएस से कहा, "बढ़ती बेरोजगारी पूर्वोत्तर क्षेत्र के युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकती है. देश के दूसरे राज्यों के विपरीत पूर्वोत्तर में चुनावी राजनीति में मूल पहचान का मुद्दा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. पूर्वोत्तर की पहचान देश के दूसरे भागों से कुछ अलग है." पूर्वोत्तर के 25 लोकसभा सीटों में से दो सीटें -नागालैंड व मेघालय प्रत्येक में एक-एक- नेफियू रियो व कोनराड के.संगमा के मुख्यमंत्री बनने से दोनों राज्यों में क्रमश: खाली हैं. 

58 साल बाद गुजरात में कांग्रेस CWC की बैठक, चुनाव की रणनीति पर चर्चा​

 

इनपुट : आईएनएस

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com