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This Article is From Jun 06, 2016

दादरी में प्रतिबंध के बावजूद हुई महापंचायत में अखलाक के परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग

दादरी में प्रतिबंध के बावजूद हुई महापंचायत में अखलाक के परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग
बीजेपी नेता संजय राणा ने इस महापंचायत का आह्वान किया था, जिसका बेटा इस मामले में जेल में है
दादरी (उत्तर प्रदेश): दादरी के बिसाहड़ा गांव में पिछले साल सितंबर में गोमांस खाने के संदेह में भीड़ द्वारा मोहम्मद अखलाक को पीट-पीटकर मार डाले जाने के करीब नौ महीने बाद सोमवार को फिर इस गांव में तनाव की स्थिति रही। पुलिस की निषेधाज्ञा को धता बताते हुए बीजेपी और शिवसेना से जुड़े नेताओं के एक समूह ने यहां महापंचायत आयोजित की, जिसमें उन्होंने अखलाक के परिवार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

इससे पहले पुलिस ने इस महापंचायत की वजह से तनाव भड़कने की आशंका के मद्देनजर दादरी में धारा 144 (निषेधाज्ञा) लगा दी थी, जिसके तहत लोगों को इकट्ठा होने की इजाज़त नहीं होती।


अखलाक के परिवार के वकील ने कहा कि वह मथुरा की लैब रिपोर्ट को अदालत में चुनौती देंगे

हालांकि इसके बावजूद बीजेपी नेता संजय राणा के आह्वान पर सोमवार शाम उसी मंदिर में महापंचायत हुई, जहां से लाउड स्पीकर पर अखलाक के घर में गोमांस रखे होने की बात कही गई थी, जिसके बाद उग्र भीड़ ने उसके घर पर धावा बोल दिया था। वहीं पुलिस का कहना है कि गांव में शांति बनाए रखने के लिए उसने महापंचायत होने दे दी।

इससे पहले बीजेपी नेता राणा ने सोमवार सुबह कहा था कि गोवध को लेकर यहां लोगों में गुस्सा है, इसलिए इसे लेकर कुछ किया जाना जरूरी है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि गांव में किसी भी तरह का तनाव नहीं है। गौरतलब है कि पुलिस के मुताबिक अखलाक की हत्या के तार राणा के बेटे विशाल से जुड़े हुए हैं।

पिछले साल सितंबर में हुई थी मोहम्मद अखलाक की हत्या
पिछले साल 28 सितंबर को लोगों की भीड़ 56-वर्षीय मोहम्मद अखलाक के घर में घुस गई थी, और उसे पीट-पीटकर मार डालने के बाद उसके शव को भी घसीटकर सड़क पर ले आई थी। पिछले सप्ताह आई एक लैब रिपोर्ट में कहा गया कि घटनास्थल से लिया गया मांस का नमूना 'गाय या उसके वंश' का ही है। यह रिपोर्ट पहले आए एक अन्य दस्तावेज से अलग बात कहती है, जिसमें बताया गया था कि मांस बकरे का था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई इस नई रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाया है, और ज़ोर देकर कहा है कि एक व्यक्ति को पीट-पाटकर मार डालने वाली भीड़ को सज़ा दिया जाना महत्वपूर्ण है, उसका मकसद नहीं।

अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या मामले में जांच हो : गांववाले
लगभग 400 हिन्दू तथा 25 मुस्लिम परिवारों के बिसहड़ा गांव में रहने वालों का कहना है कि नई रिपोर्ट से साबित होता है कि अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या के मामले में जांच की जानी चाहिए, क्योंकि वह राज्य में गैरकानूनी है, हालांकि गोमांस रखना गैरकानूनी नहीं है।

पिछले साल भी एक मंदिर से पुजारी द्वारा यह घोषणा की गई थी कि अखलाक ने गोहत्या की है, और उसकी पत्नी रात के खाने में गोमांस पका रही है। इसी घोषणा के बाद सहिष्णुता के रास्ते पर चलते आ रहे गांव में हंगामा मच गया था।

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