प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
अपने अपहरण की साजिश में महिला खुद शामिल हुई। ये चौंकानवाली कहानी मुंबई से सटे विरार की है। 14 दिन पुलिस उसे ढूंढने में रात दिन एक किये हुए थी। लेकिन जब मामला खुला तो अपहरणकर्ता महिला का साथी निकला। पुलिस ने अब दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।
विरार के अर्नाला पुलिस में नूपुर नाम की महिला ने शिकायत दर्ज कराइ थी कि शिल्पी और वो 2 फरवरी को कार में जा रहे थे, तभी एक शख्स को धक्का लग गया। तनातनी इतनी बढ़ी कि वो जबरन कार में बैठ गया, फिर बंदूक की नोक पर शिल्पी को अगवा कर लिया।
लेकिन जब परतें खुलीं तो शिल्पी खुद हवालात पहुंच गई। पुलिस की मानें तो शिल्पी ने खुद अपने साथी अमरेश कुमार के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची थी। एडिशनल एसपी श्रीकृष्ण कोकाटे के मुताबिक प्लान को पुख्ता बनाने के लिए शिल्पी ने अपना मोबाइल फ़ोन भी ऑटो में ही छोड़ दिया था, लेकिन जब पुलिस ने उसके इतिहास को खंगाला तो मामले की कड़ियां जुड़ती गईं।
दरअसल साल 2013 में भी शिल्पी कानपूर में अपने अपहरण की साजिश रच घर से भागी थी। उस समय भी वहां की पुलिस ने उसे प्रेमी के साथ खोज निकाला था लेकिन तब पुलिस ने सिर्फ दोनों का बयान लेकर छोड़ दिया था। उसके बाद शिल्पी वापस अपने पति के साथ रहने लगी थी।
शिल्पी का इतिहास पता चलते ही विरार पुलिस को माजरा समझते देर नहीं लगी और शिल्पी के आशिक अमरेश कुमार को खोजती लुधियाना पहुंच गई। दोनों के पकड़े जाने पर पता चला कि वो वहां से बहरीन भागने की योजना बना रहे थे।
पुलिस के मुताबिक शिल्पी और अमरेश की पहचान फेसबुक के जरिये हुई थी। बाद में दोनों में दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। पेशे से होटल में कुक अमरेश साजिश को अंजाम देने के लिए 3 महीने पहले ही नौकरी छोड़ चुका था। कुछ दिन पहले दोनों ने अपना फेसबुक अकाउंट भी डिलीट कर दिया था ताकि पुलिस को उनके रिश्ते के बारे में पता ना चल सके।
विरार के अर्नाला पुलिस में नूपुर नाम की महिला ने शिकायत दर्ज कराइ थी कि शिल्पी और वो 2 फरवरी को कार में जा रहे थे, तभी एक शख्स को धक्का लग गया। तनातनी इतनी बढ़ी कि वो जबरन कार में बैठ गया, फिर बंदूक की नोक पर शिल्पी को अगवा कर लिया।
लेकिन जब परतें खुलीं तो शिल्पी खुद हवालात पहुंच गई। पुलिस की मानें तो शिल्पी ने खुद अपने साथी अमरेश कुमार के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची थी। एडिशनल एसपी श्रीकृष्ण कोकाटे के मुताबिक प्लान को पुख्ता बनाने के लिए शिल्पी ने अपना मोबाइल फ़ोन भी ऑटो में ही छोड़ दिया था, लेकिन जब पुलिस ने उसके इतिहास को खंगाला तो मामले की कड़ियां जुड़ती गईं।
दरअसल साल 2013 में भी शिल्पी कानपूर में अपने अपहरण की साजिश रच घर से भागी थी। उस समय भी वहां की पुलिस ने उसे प्रेमी के साथ खोज निकाला था लेकिन तब पुलिस ने सिर्फ दोनों का बयान लेकर छोड़ दिया था। उसके बाद शिल्पी वापस अपने पति के साथ रहने लगी थी।
शिल्पी का इतिहास पता चलते ही विरार पुलिस को माजरा समझते देर नहीं लगी और शिल्पी के आशिक अमरेश कुमार को खोजती लुधियाना पहुंच गई। दोनों के पकड़े जाने पर पता चला कि वो वहां से बहरीन भागने की योजना बना रहे थे।
पुलिस के मुताबिक शिल्पी और अमरेश की पहचान फेसबुक के जरिये हुई थी। बाद में दोनों में दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। पेशे से होटल में कुक अमरेश साजिश को अंजाम देने के लिए 3 महीने पहले ही नौकरी छोड़ चुका था। कुछ दिन पहले दोनों ने अपना फेसबुक अकाउंट भी डिलीट कर दिया था ताकि पुलिस को उनके रिश्ते के बारे में पता ना चल सके।
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