संजय राउत ने कहा कि गोपालकृष्ण केवल गांधी हैं इसलिए उनका समर्थन नहीं हो सकता....
- शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट के जरिये कांग्रेस से सवाल पूछा
- गोपालकृष्ण गांधी ने याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था
- गांधी ने राष्ट्रपति को ख़त लिखकर सज़ा रद्द की मांग की थी
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मुंबई:
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की गहमागहमी शुरू होने दौर में यूपीए के उम्मीदवार पर शिवसेना ने पहला निशाना दाग़ दिया है. पार्टी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि यूपीए उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी ने आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था.
मुंबई धमाके के आरोपी याकूब मेमन को केंद्र में कांग्रेस की सरकार रहते हुए फांसी देने का ऐलान हुआ था जिसके खिलाफ़ बहुत आवाजें बुलंद हुई थी. याकूब खुद अपनी फांसी को रद्द करवाने के लिए लंम्बी जिरह कर रहा था. इस बीच एक आवाज़ गोपालकृष्ण गांधी की थी. गांधी ने राष्ट्रपति को ख़त लिखकर यह गुजारिश की थी कि याक़ूब की फांसी की सज़ा रद्द की जाए.
अपनी दलील में गोपालकृष्ण गांधी ने कहा था कि जब याकूब ने भारतीय व्यवस्था के सामने खुद को सुपुर्द किया और उससे कानून से सहयोग की बात भी सामने आई हो तब उसे फांसी दिए जाना ठीक नहीं. गांधी ने राष्ट्रपति को याद दिलाया था कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम हमेशा से फांसी के खिलाफ़ थे. अपनी दलील को और मजबूत करने के लिए गांधी ने ख़त में ही राष्ट्रपति को बता दिया था कि वे अपने ख़त को इसलिए सार्वजनिक कर रहे हैं क्योंकि उनकी रखी बात तत्काल जनहित में सार्वजनिक होनी चाहिए.
इस संदर्भ को ताज़ा करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट के जरिए कांग्रेस से सवाल पूछा है कि याकूब मेमन को फांसी पर लटकाने का विरोध करने वाले गोपालकृष्ण गांधी को क्या आप उपराष्ट्रपति बनाने चले हो?
राउत ने NDTV इंडिया से बातचीत में कहा कि वे केवल गांधी हैं इसलिए उनका समर्थन नहीं हो सकता. देश के साथ जंग छेड़ने वाले याकूब को फांसी देने के समर्थन में जनमत था. तब गोपालकृष्ण गांधी जनमत के खिलाफ़ खड़े थे. ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति का किसी भी संवैधानिक पद पर होना ठीक नहीं है.
मुंबई धमाके के आरोपी याकूब मेमन को केंद्र में कांग्रेस की सरकार रहते हुए फांसी देने का ऐलान हुआ था जिसके खिलाफ़ बहुत आवाजें बुलंद हुई थी. याकूब खुद अपनी फांसी को रद्द करवाने के लिए लंम्बी जिरह कर रहा था. इस बीच एक आवाज़ गोपालकृष्ण गांधी की थी. गांधी ने राष्ट्रपति को ख़त लिखकर यह गुजारिश की थी कि याक़ूब की फांसी की सज़ा रद्द की जाए.
अपनी दलील में गोपालकृष्ण गांधी ने कहा था कि जब याकूब ने भारतीय व्यवस्था के सामने खुद को सुपुर्द किया और उससे कानून से सहयोग की बात भी सामने आई हो तब उसे फांसी दिए जाना ठीक नहीं. गांधी ने राष्ट्रपति को याद दिलाया था कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम हमेशा से फांसी के खिलाफ़ थे. अपनी दलील को और मजबूत करने के लिए गांधी ने ख़त में ही राष्ट्रपति को बता दिया था कि वे अपने ख़त को इसलिए सार्वजनिक कर रहे हैं क्योंकि उनकी रखी बात तत्काल जनहित में सार्वजनिक होनी चाहिए.
इस संदर्भ को ताज़ा करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट के जरिए कांग्रेस से सवाल पूछा है कि याकूब मेमन को फांसी पर लटकाने का विरोध करने वाले गोपालकृष्ण गांधी को क्या आप उपराष्ट्रपति बनाने चले हो?
Do you want Gopalkrishna Gandhi as VP ? who opposed hanging of 93 Mumbai Blast plotter Yakub Memon.
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) July 16, 2017
Jai Hind pic.twitter.com/wHPJ4wOT9t
राउत ने NDTV इंडिया से बातचीत में कहा कि वे केवल गांधी हैं इसलिए उनका समर्थन नहीं हो सकता. देश के साथ जंग छेड़ने वाले याकूब को फांसी देने के समर्थन में जनमत था. तब गोपालकृष्ण गांधी जनमत के खिलाफ़ खड़े थे. ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति का किसी भी संवैधानिक पद पर होना ठीक नहीं है.
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