मुंबई: 
                                        500-1000 के नोट का असर सिर्फ बैंक या एटीएम तक सीमित नहीं है वो लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जो दिहाड़ी मज़दूर है. जिनके रसोई की रोज़ाना अर्थव्यवस्था नकदी पर चलती है, मुंबई से सटे भिवंडी की तस्वीर पैसों की बेरुखी से बिगड़ने लगी है.
रविवार को भिवंडी में अनंत दिघे चौक के पास मज़दूर पिटे नोट वॉर में, तो बुधवार को फिर अपने ही पैसे निकालने की कोशिश में शांति नगर इलाके में पुलिस ने लाठियां भांजी, उस शहर में जो कहने को एशिया का मैनचेस्टर है.
इसी शहर में पावरलूम में काम करने वाले कमलेश तिवारी अपनी बिटिया की शादी के लिए परेशान हैं. पैसे हैं, लेकिन उनकी क़ीमत कागज़ के टुकड़ों से ज्यादा नहीं. 1 दिसंबर को बिटिया की शादी करनी है लेकिन समझ नहीं पा रहे कि इंतज़ाम कैसे करें. वह कहते हैं, "घर में पुताई करा ली, सामान का एडवांस दे दिया अब समझ ही नहीं आ रहा है कि शादी कैसे करूं.'' वहीं उनकी पत्नी पुष्पा तिवारी ने कहा, "चार-चार घंटे लाइन में लगते हैं हमारी बारी आई तो बैंक में पैसे ख़त्म हो गये अब क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा."
भिवंडी, मुंबई से 50 किलोमीटर दूर है, देश भर के 65 लाख पावरलूम में तकरीबन 15 लाख यहां हैं. नोटबंदी से कारोबारी परेशान हैं, कहते हैं उनके पास मज़दूरों को देने के पैसे नहीं. पावरलूम मालिक रोज़ाना गोदाम से यार्न उठाकर काम करते थे, लेकिन उनका कहना है कि नकदी के बगैर यार्न नहीं मिल रहा. पावरलूम मालिक अनीस सिद्दिकी ने कहा "यहां हालात बुरे हैं, अगर अभी लूम बंद करना पड़ा तो अप्रैल-मई के पहले नहीं खुल पाएगा."
भिवंडी में हर महीने 10 और 25 तारीख को मजदूरों को पगार मिलती थी, जो अब नहीं मिल रही. ऐसे में इन कारखानों में दिन-रात पसीना बहाने वाले मज़दूरों की रोटी एकाएक बंद हो गई. नकदी पर चलने वाले पावरलूम पहले भी मुश्किलों से जूझ रहे हैं, ऐसे में इस कदम से इस उद्योग को लगे झटके के लिये कोई उपाय ढूंढना होगा वो भी फौरन.
भिवंडी की लगभग 90 फीसदी आबादी सीधे या परोक्ष रूप से लूम कारोबार से जुड़ी है. सरकार चाहती है सिस्टम में नकदी आए, काले पैसे के कारोबार पर लगाम लगे लेकिन यहां जिनके पास पैसा है, खबरें ऐसी भी हैं कि वो मज़दूरों को जबरन 500-1000 की नकदी थमाने में जुटे हैं. यानी ऐसे ठुकराएं तो भी वो भूखे रहें, अपनाएं तो भी भूखे.
                                                                        
                                    
                                रविवार को भिवंडी में अनंत दिघे चौक के पास मज़दूर पिटे नोट वॉर में, तो बुधवार को फिर अपने ही पैसे निकालने की कोशिश में शांति नगर इलाके में पुलिस ने लाठियां भांजी, उस शहर में जो कहने को एशिया का मैनचेस्टर है.
इसी शहर में पावरलूम में काम करने वाले कमलेश तिवारी अपनी बिटिया की शादी के लिए परेशान हैं. पैसे हैं, लेकिन उनकी क़ीमत कागज़ के टुकड़ों से ज्यादा नहीं. 1 दिसंबर को बिटिया की शादी करनी है लेकिन समझ नहीं पा रहे कि इंतज़ाम कैसे करें. वह कहते हैं, "घर में पुताई करा ली, सामान का एडवांस दे दिया अब समझ ही नहीं आ रहा है कि शादी कैसे करूं.'' वहीं उनकी पत्नी पुष्पा तिवारी ने कहा, "चार-चार घंटे लाइन में लगते हैं हमारी बारी आई तो बैंक में पैसे ख़त्म हो गये अब क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा."
भिवंडी, मुंबई से 50 किलोमीटर दूर है, देश भर के 65 लाख पावरलूम में तकरीबन 15 लाख यहां हैं. नोटबंदी से कारोबारी परेशान हैं, कहते हैं उनके पास मज़दूरों को देने के पैसे नहीं. पावरलूम मालिक रोज़ाना गोदाम से यार्न उठाकर काम करते थे, लेकिन उनका कहना है कि नकदी के बगैर यार्न नहीं मिल रहा. पावरलूम मालिक अनीस सिद्दिकी ने कहा "यहां हालात बुरे हैं, अगर अभी लूम बंद करना पड़ा तो अप्रैल-मई के पहले नहीं खुल पाएगा."
भिवंडी में हर महीने 10 और 25 तारीख को मजदूरों को पगार मिलती थी, जो अब नहीं मिल रही. ऐसे में इन कारखानों में दिन-रात पसीना बहाने वाले मज़दूरों की रोटी एकाएक बंद हो गई. नकदी पर चलने वाले पावरलूम पहले भी मुश्किलों से जूझ रहे हैं, ऐसे में इस कदम से इस उद्योग को लगे झटके के लिये कोई उपाय ढूंढना होगा वो भी फौरन.
भिवंडी की लगभग 90 फीसदी आबादी सीधे या परोक्ष रूप से लूम कारोबार से जुड़ी है. सरकार चाहती है सिस्टम में नकदी आए, काले पैसे के कारोबार पर लगाम लगे लेकिन यहां जिनके पास पैसा है, खबरें ऐसी भी हैं कि वो मज़दूरों को जबरन 500-1000 की नकदी थमाने में जुटे हैं. यानी ऐसे ठुकराएं तो भी वो भूखे रहें, अपनाएं तो भी भूखे.
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